महामारी, भुखमरी के बीच अब कुपोषण बना देश की सबसे बड़ी समस्या : राणा

Edited By prashant sharma, Updated: 04 Jan, 2021 05:39 PM

malnutrition now becomes the country s biggest problem amid epidemics

सामाजिक समस्याओं पर पैनी नजर रखने वाले राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि देश में भूख और खाद्य सुरक्षा से बड़ी समस्या पोषण सुरक्षा है।

हमीरपुर : सामाजिक समस्याओं पर पैनी नजर रखने वाले राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि देश में भूख और खाद्य सुरक्षा से बड़ी समस्या पोषण सुरक्षा है। जिस पर न केंद्र का सरकार का ध्यान है और न ही राज्य सरकारें गौर कर रही हैं। राणा ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की हवाई डींगें हांकने वाली सरकारें बताएं कि जब तक देश की माताएं अल्प पोषित होकर स्वयं कुपोषण का शिकार रहेंगी तो भारत के भावी भविष्य की पीढ़ी आत्मनिर्भर कैसे हो सकती है। महामारी के बीच इम्यून सिस्टम पर बड़ी-बड़ी डींगें हांकने वाले हाकिम भूल गए हैं कि इम्यूनिटी रातों रात हासिल नहीं की जा सकती है। यह लगातार वर्षों तक पोषक तत्वों वाले भोजन के सेवन से आती है और मौजूदा हालात यह हैं कि देश के 80 करोड़ लोग जिनमें से 50 फीसदी के करीब माताएं हैं या माताएं बनने वाली हैं। उनको भरपेट भोजन के लाले हैं। जैसे-कैसे नागरिक पेट भरने से वास्ता रखते हैं। पोषक तत्वों वाला भोजन तो उनकी रोजमर्रा की लिस्ट से करीब-करीब नदारद होता है। 

उन्होंने कहा कि वह वर्षों से पोषण की जटिल समस्या की स्टडी करते आ रहे हैं और अभी भी कर रहे हैं। जिसको लेकर सरकारें स्वास्थ्य और उसकी उत्पादकता के समक्ष खड़ी हो रही महत्वपूर्ण समस्याओं को लगातार नजरअंदाज कर रही हैं। कोविड-19 महामारी के बाद सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि इस देश की मूल समस्या खाद्य सुरक्षा और भूख से ज्यादा पोषण सुरक्षा की है। सबके लिए पोषण सुरक्षित करना हमारी कृषि नीति का मकसद होना चाहिए। लेकिन हम अभी तक वर्तमान में हाल-बेहाल कृषक वर्ग से गेहुं, धान, मक्का और बाजरा की फसलें उगाने की अपेक्षा कर रहे हैं। एक ही फसल और एक ही आहार हमें पोषण के संकट में धकेल रहा है। चाहे खेत हो या भोजन की थाली या फिर पेट विविधता में ही पोषण का भविष्य है इसके लिए कृषक वर्ग को विविधतापूर्ण खेती करने के लिए प्रेरित व उस खेती के सफल उत्पादन के लिए आधुनिक सुविधाएं मुहैया करवानी होंगी। ताकि देश में कुपोषण के शिकार हो रहे नागरिकों को पोषक तत्वों से भरपूर भोजन मिल पाए। 

उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 में टीनऐज गर्लस सर्वे के जरिए एक संस्था ने पहली बार देश की 12 करोड़ लड़कियों पर सर्वे किया। देश के सभी राज्यों के 600 से ज्यादा जिलों में 1 हजार से ज्यादा प्रशिक्षित सर्वेक्षण कार्यकर्ताओं ने 74 हजार किशोर उम्र की लड़कियों के सैंपल इक्-ा किए। जिनका कद, वजन व हिमोग्लोबिन स्तर मापने के बाद यह पाया गया कि देश की अधिकांश टीनऐज की लड़कियां कुपोषण का शिकार हैं। दुर्भाग्य यह है कि देश में किशोरियों के पोषण का कोई डाटाबेस सरकार के पास मौजूद नहीं है। सर्वे बताता है कि देश की आधी किशोरियां अनीमिया से पीड़ित है, हर दूसरी किशोरी का औसतन वजन कम है। ऐसे में आत्मनिर्भर भारत की कल्पना बेमानी है। जबकि सच में अगर भारत को आत्मनिर्भर बनाना है तो देश की माताओं और बहनों के पोषक भोजन पर सरकार को ईमानदारी से काम करना होगा।
 

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