निर्माणाधीन टनल धंसने के मामले पर बैठाई मैजिस्ट्रेट जांच, 4 मजदूरों की गई थी जान

Edited By Vijay, Updated: 22 May, 2021 11:10 PM

magistrate inquiry on under construction tunnel collapse case

गड़सा घाटी के पंचानाला में टनल धंसने के मामले पर मैजिस्ट्रेट जांच बैठाई गई है। एडीएम कुल्लू मामले की जांच रिपोर्ट तैयार करेंगे। इस हादसे में 4 मजदूरों की मौत हुई है और एक मजदूर बुरी तरह जख्मी हुआ है। एक अन्य मजदूर की किसी तरह सौभाग्य से जान बच गई...

कुल्लू/शिमला(ब्यूरो/निशा): गड़सा घाटी के पंचानाला में टनल धंसने के मामले पर मैजिस्ट्रेट जांच बैठाई गई है। एडीएम कुल्लू मामले की जांच रिपोर्ट तैयार करेंगे। इस हादसे में 4 मजदूरों की मौत हुई है और एक मजदूर बुरी तरह जख्मी हुआ है। एक अन्य मजदूर की किसी तरह सौभाग्य से जान बच गई है। अब मैजिस्ट्रेट जांच में हादसे के पीछे रही लापरवाही उजागर होगी। पिछले करीब डेढ़ दशक से अधिक समय से पार्वती प्रोजैक्ट का कार्य गड़सा घाटी में चला हुआ है। इतना बड़ा हादसा होना और 4 लोगों की जान जाने से कई सवाल भी उठ खड़े हुए हैं। यदि मौके पर सही एवं वैज्ञानिक तरीके से कार्य हो रहा होता तो हादसे के बाद भी मजदूरों को बचाया जा सकता था।

मलबे में फंसे मजदूरों को निकालने में देरी भी मौत के पीछे कारण

मलबे में फंसे मजदूरों को वहां से निकालने में देरी भी उनकी मौत के पीछे कारण रही। यदि समय पर मलबे से मजदूरों को निकाला जाता तो उनकी जान बच सकती थी। कुल्लू जिला प्रशासन को भी देरी से सूचना देने से कई बातें उठ रही हैं। मैजिस्ट्रेट जांच के साथ पुलिस ने भी मामला दर्ज किया हुआ है। पुलिस भी मामले की तह तक जाएगी और जांच करेगी। डीसी डाॅ. ऋचा वर्मा ने कहा कि इस घटना पर मैजिस्ट्रेट जांच बैठाई गई है। एडीएम की देखरेख में जांच टीम रिपोर्ट तैयार करेगी।

सबलैटिंग भी बड़ा कारण

हादसे के पीछे कार्य व ठेकों की सबलैटिंंग को भी कारण बताया जा रहा है। निर्माण कार्यों में ठेके तो अनुभवी लोगों को मिलते हैं लेकिन वे इस कार्य पर स्वयं मौजूद न रहकर कार्य किसी और को दे देते हैं। इसी तरह कार्य की आगे से आगे सबलैटिंग होती रहती है। इस वजह से कार्य से गुणवत्ता तो गायब होती ही है, साथ में कामगारों की जान को भी खतरा बढ़ जाता है। सबलैटिंग की प्रक्रिया में जो ठेकेदार पंक्ति में अंतिम स्थान पर खड़ा होगा, उसे पैसे भी कम ही मिल रहे होंगे। ऐसे में कामगारों को भी उचित दिहाड़ी तक नहीं मिल पाएगी और सुरक्षा उपकरण तो दूर की बात होगी। जांच में इस बात का भी पता लगाया जाएगा कि किन-किन बिंदुओं पर लापरवाही रही और कहां-कहां चूक हुई।

सीटू ने मृतकों के परिवारों को मुआवजे व रोजगार देने की उठाई मांग

उधर, सीटू राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने मृतकों के परिवार को 25 लाख रुपए प्रति मजदूर देने तथा मृतकों के हर परिवार से एक व्यक्ति को एनएचपीसी में रोजगार देने की मांग की है। सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने कहा कि यह बेहद दुख की बात है कि वर्तमान में आधुनिक तकनीक होने के बावजूद भी हिमाचल प्रदेश की निर्माणाधीन बिजली परियोजनाओं में मजदूरों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है। 

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