मैक्लोडगंज में विशेष पूजा और बौद्ध धर्म के 8 शुभ प्रतीकों के स्मरण से लोसर पर्व का आगाज

Edited By Vijay, Updated: 10 Feb, 2024 09:20 PM

losar festival

मैक्लोडगंज में तिब्बती समुदाय के लोगों ने लोसर पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया। वहीं तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा ने वर्चुअल माध्यम से समुदाय को तिब्बती लोसर पर्व की शुभकामना संदेश जारी किया।

धर्मशाला (जिनेश): मैक्लोडगंज में तिब्बती समुदाय के लोगों ने लोसर पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया। वहीं तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा ने वर्चुअल माध्यम से समुदाय को तिब्बती लोसर पर्व की शुभकामना संदेश जारी किया। इस मौके पर पूजा-अर्चना, गीत-संगीत और नृत्य के साथ मेहमाननवाजी का उल्लास धर्मगुरु दलाईलामा की नगरी मैक्लोडगंज में हर ओर देखने को मिला। लोसर पर्व की शुरूआत शनिवार को विशेष पूजा-अर्चना और बौद्ध धर्म के 8 शुभ प्रतीकों के स्मरण से हुई। वहीं रविवार को गीत-संगीत और नृत्य के आयोजन किए जाएंगे और घर-घर में मेहमाननवाजी का दौर चलेगा। लोसर का तीसरा दिन नववर्ष का पहला दिन माना जाता है। इस दिन तिब्बती समुदाय के लोग सुबह जल्दी उठकर और स्नान कर नई पोशाकें पहनकर पूजा करेंगे और फिर सैर-सपाटे व खरीददारी के साथ पर्व की खुशी मनाएंगे। देर रात तक नाच-गाने और विशेष पकवानों का लुत्फ उठाने का दौर चलता रहेगा। मैक्लोडंगज और धर्मशाला में रहने वाले निर्वासित तिब्बतियों ने अपने घरों को लोसर के लिए आकर्षक ढंग से सजा दिया है।
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सीएम सुक्खू ने तिब्बती समुदाय को दी शुभकामनाएं
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने लोसर पर्व पर तिब्बती समुदाय को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि मैक्लोडगंज में धर्मगुरु दलाईलामा का निवास करना हिमाचल के लिए गर्व की बात है। दशकों से तिब्बती समुदाय और हिमाचल के लोग आपसी सौहार्द के साथ रह रहे हैं। लोसर सभी के लिए खुशहाली की सौगात लेकर आए।

चीनियों ने हमारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को खत्म करने का किया प्रयास : दलाईलामा
दलाईलामा ने कहा कि निर्वासन में बड़ी कठिनाइयों से गुजरने और एक शक्तिशाली कम्युनिस्ट चीनी शासन के तहत रहने के बावजूद अधिकांश लोग तिब्बत के अंदर हैं तथा उनकी आस्था और आकांक्षा कम नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि चीनी शासक चाहते हैं कि तिब्बती अपने धार्मिक विश्वास को भूल जाएं लेकिन हमने अपने विश्वास और अपनी संस्कृति को और भी मजबूती से पकड़ रखा है, यह बहुत अच्छा है। दलाईलामा ने कहा कि आज न केवल तिब्बतियों के बीच बल्कि कुछ चीनियों के बीच भी बौद्ध धर्म में नए सिरे से रुचि बढ़ी है। उन्होंने कहा कि आजकल पश्चिमी देशों में बड़ी संख्या में लोग तिब्बती संस्कृति और आध्यात्मिकता में रुचि ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीनियों ने योजनाबद्ध तरीके से हमारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को खत्म करने का प्रयास किया है।
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