Edited By Vijay, Updated: 06 Dec, 2024 01:10 PM
साक्षर प्रदेश के लोग भी जालसाजी और धोखाधड़ी का शिकार हाे रहे हैं। इकोनॉमिक ऑफैंस के अंतर्गत आने वाले विभिन्न अपराधों के औसतन लगभग 500 मामले प्रदेश में प्रतिवर्ष सामने आ रहे हैं।
पालमपुर (भृगु): साक्षर प्रदेश के लोग भी जालसाजी और धोखाधड़ी का शिकार हाे रहे हैं। इकोनॉमिक ऑफैंस के अंतर्गत आने वाले विभिन्न अपराधों के औसतन लगभग 500 मामले प्रदेश में प्रतिवर्ष सामने आ रहे हैं। ऐसा उस प्रदेश में हो रहा है जहां साक्षरता दर देश में दूसरे स्थान पर है तथा राज्य को शत-प्रतिशत साक्षर श्रेणी में रखा गया है। इस प्रकार के इकोनॉमिक ऑफैंस को लेकर सजग रहने को लेकर लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। वहीं साइबर पुलिस समय-समय पर एडवाइजरी जारी करके जागरूक कर रही है परंतु जाने-अनजाने लोग साइबर क्राइम के जंजाल में फंस रहे हैं।
वर्ष दर वर्ष बढ़ रहे साइबर क्राइम के मामले
प्रदेश में वर्ष दर वर्ष साइबर क्राइम के मामले बढ़े हैं। वर्ष 2019, 2020, 2021 में साइबर क्राइम की शिकायतों का औसतन प्रतिदिन का आंकड़ा 11 था, वहीं 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर औसतन प्रतिदिन 23 शिकायतों तक पहुंचा और 2024 में बढ़कर प्रतिदिन 260 शिकायतों तक पहुंच गया है। प्रदेश के साइबर थानों में जुलाई माह तक साइबर थाना शिमला में 16.5 करोड़, साइबर थाना मंडी में 17.5 करोड़ और धर्मशाला साइबर थाना में 10 करोड़ की ठगी के मामले दर्ज किए हैं। जालसाजों ने 7 माह की अवधि में प्रदेश के लोगों से 44 करोड़ की जालसाजी की है।
कुछ मामलों में करोड़ों की धनराशि इन्वॉल्व
2020 में राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक अपराध की दर 10.8 प्रतिशत थी जो 2021 में बढ़कर 12.7 और 2022 में 14.0 प्रतिशत तक जा पहुंची। वहीं प्रदेश की बात की जाए तो प्रदेश में आर्थिक अपराध की दर 2020 में 7.3 थी जो 2021 में 7.0 रही वहीं वर्ष 2022 में 8.0 प्रतिशत रही। देशभर में 2022 में इकोनोमिक ऑफैंस की श्रेणी में दर्ज मामलों की संख्या 193385 थी। प्रदेश में जालसाजी, धोखाधड़ी व फ्रॉड के अतिरिक्त क्रिमिनल ब्रीच ऑफ ट्रस्ट की धाराओं के अंतर्गत भी मामले दर्ज किए गए। कुछ मामले तो ऐसे रहे जहां करोड़ों की धनराशि इन्वालव रही।
इस प्रकार के टूल किए जाते हैं उपयोग
फिशिंग: जालसाज ई-मेल, संदेश या वैबसाइट के माध्यम से पासवर्ड या क्रैडिट कार्ड नंबर जैसी निजी जानकारी चुराने का प्रयास करते हैं। ऐसा फर्जीवाड़ा किसी भरोसेमंद कंपनी या संस्था के नाम पर किया जाता है।
स्पूफिंग : अपराधी किसी और की पहचान की नकल कर धोखाधड़ी करते हैं। इसमें किसी के ई-मेल या वैबसाइट का नकली रूप बनाना शामिल हो सकता है।
मॉलवेयर: माॅलवेयर एक घातक सॉफ्टवेयर है जो कंप्यूटर या स्मार्टफोन को हानि पहुंचाता है। इसमें वायरस, वर्म्स और ट्रोजन हॉर्स शामिल होते हैं।
रैनसमवेयर : इस प्रकार की जालसाजी में शातिर आपके कंप्यूटर या डाटा को लॉक कर देते हैं और उसे अनलॉक करने की एवज में धनराशि मांगी जाती है।
ऑनलाइन शॉपिंग स्कैम : जालसाजों द्वारा फर्जी ऑनलाइन स्टोर्स बनाकर सोशल मीडिया में प्रसारित किए जाते हैं। ऐसे में लोग ऑर्डर कर माल मंगवाते हैं परंतु पैसे देने के बावजूद भी सामान नहीं भेजा जाता है।
साइबर ठगी से कैसे बचें
विशेषज्ञ बताते हैं कि पासवर्ड सदैव डिजिट, स्पैशल साइन व एलफाबैट का मजबूत मिश्रण होना चाहिए। वहीं समय-समय पर इसमें बदलाव भी किया जाना चाहिए। सार्वजनिक स्थानों पर यदि वाई-फाई का उपयोग किया जा रहा है तो सतर्कता बरतें व वीपीएन का उपयोग करें। किसी भी संदिग्ध ई-मेल और लिंक को न खोलें। अपनी निजी जानकारी आवश्यक होने पर ही मात्र विश्वसनीय साइट्स पर ही सांझा करें। फिर भी यदि आप जालसाजों का शिकार होते हैं तो तुरंत पुलिस या साइबर क्राइम सैल को सूचित करें।
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