शिमला में रोजाना सड़कों पर बर्बाद हो रहा लाखों लीटर पानी, जानिए क्या है कारण

Edited By Ekta, Updated: 13 Nov, 2018 04:16 PM

lakhs liters of water being wasted on daily road in shimla

राजधानी में रोजाना खस्ताहाल पेयजल लाइनों में लीकेज के कारण 28 फीसदी पानी सड़कों पर बर्बाद हो रहा हैं। शिमला में पेयजल व्यवस्था का जिम्मा संभाल रही शिमला जल प्रंबंधन निगम लिमिटेड कंपनी ने एक निजी संस्था वेबकॉस से पानी की लीकेज को एक सर्वे करवाया है।...

शिमला (वंदना): राजधानी में रोजाना खस्ताहाल पेयजल लाइनों में लीकेज के कारण 28 फीसदी पानी सड़कों पर बर्बाद हो रहा हैं। शिमला में पेयजल व्यवस्था का जिम्मा संभाल रही शिमला जल प्रंबंधन निगम लिमिटेड कंपनी ने एक निजी संस्था वेबकॉस से पानी की लीकेज को एक सर्वे करवाया है। सर्वे रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि एक दिन में लीकेज के कारण 28 प्रतिशत पानी की बर्बादी हो रही हैं, ऐसे में यदि लीकेज के कारण बर्बाद होने वाले पानी की बचत कर ली जाए तो रोजाना लाखों लीटर पानी जो सड़कों पर बह रहा है, वह लोगों को मिल सकेगा। 

सर्वे में यह भी बताया गया है कि कई लाइनों में जमीन के नीचे भी लीकेज हो रही है, जिसका कई बार पता नहीं लगाया जा सकता है। ऐसे में अंडर ग्राउंड लीकेज को रोकने के लिए लाइनों में वाटर सैंसर लगाने का सुझाव भी सर्वे करने वाली संस्था ने कंपनी को दिया है, ताकि लाइनों में सही तरीके से लीकेज को पता लगाया जा सके। शहर में ब्रिटिशकालीन वाटर सिस्टम है जो अब बदलते वक्त के साथ जबाव दे रहा है। जगह-जगह पानी की पाइपें फटी हुई है जिससे पानी सड़क पर बह रहा है। हालांकि नगर निगम ने अमृ्रत मिशन के तहत शहर में कई पेयजल लाइनें बिछाई है, पुरानी लाइन की जगहों पर नई पाइप लाइन बिछाई गई है। 

निगम ने हाल ही में संजौली से रिज स्टोरेज टैंक के लिए नई पेयजल लाइन बिछाई है, जिससे सप्लाई शुरू कर दी है, वहीं क्रेगनैंनों से ढली तक करोड़ों की लागत से नई लाइन बिछाई जा रही है, जबकि कोटी बंराडी योजना के लिए नई लाइन बिछाई गई है, जिससे लीकेज की समस्या को काफी हद तक रोकने की कोशिश की गई हैं। लीकेज के कारण बर्बाद होने वाले पानी की बचत करने से राजधानी में पानी की समस्या से पार पाया जा सकता है। इसके लिए लीकेज को दुरूस्त करने की जरूरत हैं।

शहर को रोजाना सप्लाई के लिए चाहिए 45 एम.एल.डी. पानी
राजधानी शिमला में रोजाना पानी की नियमित आपूर्ति के लिए 45 एम.एल.डी. से अधिक पानी की जरूरत रहती है। ऐसे में रोजाना लाखों लीटर पानी की यदि बचत कर ली जाए तो शिमला में पानी की कमी को दूर किया जा सकता हैं। इसके लिए पाईपलाईनों की लीकेज को दूर करने सबसे बड़ी चुनौती हैं।

खस्ताहाल लाइनों को रिप्लेस करेगी कंपनी
वहीं जल प्रबंधन कंपनी का दावा है कि शहर में जितनी भी पानी की लीकेज है उसे ठीक किया जाएगा। इसके लिए खस्ताहाल हो चुकी लाईनों को जल्द ही रिप्लेस किया जाएगा पुरानी लाइनों की जगहों पर नई लाइने बिछाई जाएगी ताकि लीकेज की समस्या से छुटकारा पाया जा सके। कंपनी ने लाईनों को बदलने के एस्टीमेट तैयार कर लिए है जल्द ही इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। 

लीकेज को दुरूस्त करने पर रहेगा कंपनी का फोकस: धर्मेंद्र गिल
जल प्रबंधन कंपनी के सी.ई.ओ-कम प्रबंध निदेशक धर्मेंद्र गिल का कहना है कि कंपनी ने शहर में पानी की लीकेज को लेकर वेबकॉस संस्था से एक सर्वे करवाया था। संस्था की सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि 28 फीसदी लीकेज रोजाना शहर में हो रही है, यह लीकेज खस्ताहाल पेयजल लाइनों के कारण हो रही है, ऐसे में कंपनी लीकेज की समस्या को खत्म करने पर फोकस कर रही हैं। कंपनी ने लक्ष्य रखा है कि आगमी 3 से 4 महीनों के भीतर 28 प्रतिशत में से लीकेज की समस्या को 10 प्रतिशत तक किया जा सके, ताकि लाखों लीटर पानी की बचत की जा सके ताकि लोगों को रोजाना पानी मिल सके। खस्ताहाल लाईनों को रिप्लेस किया जाएगा।

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