कुल्लू में किसान सभा व सीटू का प्रदर्शन, किसान विरोधी कृषि कानून वापस लेने की उठाई मांग

Edited By Vijay, Updated: 14 Dec, 2020 06:43 PM

kisan sabha and citu protest in kullu

किसान विरोधी कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर संयुक्त समन्वय संघर्ष समिति के आह्वान पर सोमवार को कुल्लू में हिमाचल किसान सभा व सीटू जिला कमेटी ने बाजार में रैली निकालकर डीसी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया, जिसमें सैंकड़ों किसानों व मजदूरों...

कुल्लू (दिलीप): किसान विरोधी कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर संयुक्त समन्वय संघर्ष समिति के आह्वान पर सोमवार को कुल्लू में हिमाचल किसान सभा व सीटू जिला कमेटी ने बाजार में रैली निकालकर डीसी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया, जिसमें सैंकड़ों किसानों व मजदूरों ने भाग लिया। प्रदर्शन को सभी किसान नेताओं ने संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने महामारी की आड़ में बिना संसद में चर्चा किए अध्यादेश लाकर 3 कृषि कानून पास किए जोकि देश के किसानों के विरोध में हैं। देश के पूंजीपतियों के पक्ष में लाए गए ये कानून देश के 85 फीसदी छोटे किसानों को बर्बाद करने वाले हैं। इन कानूनों के चलते देश में सरकारी मंडियों का अस्तित्व समाप्त होगा।

पूंजीपतियों और कंपनियों की मनमानी बढ़ेगी

मंडियां समाप्त होने से पूंजीपतियों और कंपनियों की मनमानी बढ़ेगी। ठेका खेती कानून से किसान और कंपनी के बीच विवाद होने पर किसानों को न्यायालय जाने का अधिकार नहीं रहेगा और कंपनियों की मनमानी होगी। आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधित कर दिया गया है, जिसमें अनाज, तिलहन, दलहन, आलू व प्याज इत्यादि के भंडार की खुली छूट दी है जिससे कंपनियां बड़े पैमाने पर अनाज व खाने-पीने की चीजों का भंडारण करेंगी। अनाज किसानों से मनमाने दामों पर खरीदेंगी और महंगे दामों पर बाजार में बेचेंगी। किसान कृषि कानूनों के विरोध में पिछले 6 महीनों से आंदोलन कर रहे हैं।

किसान विरोधी विधेयक वापस होने चाहिए

सीटू के राज्य सचिव प्रेम गौतम ने कहा कि जब यह अध्यादेश जारी किया था सरकार तब से लेकर अभी तक यह कह रही है कि हमारा कानून किसानों के हित का कानून है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे किसानों का आंदोलन हुआ आज केंद्र की सरकार कह रही है कि इसमें संशोधन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 99 प्रतिशत यह कानून किसान विरोधी है। उन्होंने कहा कि एपीएमसी की देश के अंदर लगभग 7000 सब्जी मंडियां हैं जिन्हें निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है। देश के अंदर खाद्यान्न का भंडार है जो एफ सीआई के पास रहता है, जिसे पूंजीपतियों के हाथों में बेचने जा रहे हैं और इस देश के जो किसान हैं जिनकी अपनी खेती है उनको अपनी खेती से बेदखल करने वाला यह कानून है। इसे देखते हुए किसानों ने कहा कि इसमें कोई संशोधन नहीं मानेंगे सिर्फ  2 ही बातें करेंगे ये किसान विरोधी विधेयक वापस होने चाहिए और जब तक यह नहीं होगा आंदोलन और तेज होगा।

शांता ने कौन से फल व सब्जियों पर की थी समर्थन मूल्य की घोषणा

प्रेम गौतम ने कहा कि जहां तक हिमाचल प्रदेश का संबंध है पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने बयान दिया है कि यह जो आंदोलन है इसके अंदर बहुत से संस्थान जुड़े हैं, जिनमें वामपंथी, नक्सलवादी व खालीस्थानी हैं। उन्होंने कहा कि शांता कुमार एक सामान्य नेता रहे हैं और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं तो वे बताएं कि हिमाचल प्रदेश के अंदर जो भी फसल तथा फल व सब्जी पैदा होते हैं किस-किस में उन्होंने समर्थन मूल्य की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि आज तक हिमाचल प्रदेश के अंदर मक्की, गेहूं व सेब के अलावा किसी फसल को समर्थन मूल्य नहीं दिया गया है। प्रदर्शन को सीटू जिला कोषाध्यक्ष भूप सिंह भंडारी, नौजवान सभा के नेता गोविंद भंडारी, छात्र नेता सुनील ठाकुर, सर चंद, चमन लाल, खेम चंद, अनिल कुमार व राम चंद आदि ने संबोधित किया।

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