पत्रकार सुरिंदर मिन्हास ने राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री से लगाई निष्पक्ष जांच की गुहार

Edited By Sahil Kumar, Updated: 24 Dec, 2025 04:50 PM

journalist surinder minhas appealed governor and cm for impartial investigation

फतेहपुर के पत्रकार सुरिंदर मिन्हास ने मीडिया के सामने रूबरू होकर अपनी पीड़ा का व्याख्यान करते हुए कहा कि 19 जनवरी 2025 को उनके द्वारा वायरल की गई एक खबर को किसी दूसरे निजी चैनल ने एडिट कर 21 जनवरी को वायरल किया था जिसमें मुख्यमंत्री के 18 जनवरी के...

फतेहपुर : फतेहपुर के पत्रकार सुरिंदर मिन्हास ने मीडिया के सामने रूबरू होकर अपनी पीड़ा का व्याख्यान करते हुए कहा कि 19 जनवरी 2025 को उनके द्वारा वायरल की गई एक खबर को किसी दूसरे निजी चैनल ने एडिट कर 21 जनवरी को वायरल किया था जिसमें मुख्यमंत्री के 18 जनवरी के ज्वाली दौरे की वीडियो को 21 जनवरी मंडी दौरे के साथ जोड़ कर वायरल किया गया था । जिस पर जहां 21 जनवरी को एडिट की हुई खबर को वायरल करने बाले निजी चैनल की बजाए पुलिस ने बिना जांच पड़ताल किए 19 जनवरी को वायरल हुई सच्ची खबर पर सुरिंदर मिन्हास के खिलाफ ही विभिन्न धाराओं के अंतर्गत एफआईआर दर्ज कर दी और उनका मोबाइल 21 जनवरी 2025 को जब्त कर लिया गया,जो अभी तक वापिस नहीं मिला है । 

पीड़ित पत्रकार ने बताया कि  जब उन्होंने मोबाइल जब्त होने का कारण जानने के लिए आरटीआई डाली तो उन्हें आरटीआई के जवाब में बताया गया कि उनके ऊपर एफआईआर दर्ज करवाई गई है । उन्होंने बताया कि जब मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू 18 जनवरी 2025 को ज्वाली दौरे पर आए थे तो उनकी गाड़ी को किसी युवक द्वारा रुकने का इशारा किया गया था व गाड़ी रुकी थी तथा मुख्यमंत्री महोदय ने उस युवक की बात सुनी थी । यही वीडियो उक्त युवक के किसी दोस्त ने बनाकर उन्हें व्हाट्सएप के माध्यम से भेजा था ।वहीं मुख्यमंत्री की गाड़ी को रुकबाने बाले युवक ने मुख्यमंत्री का धन्यवाद करने का वीडियो व्यान 19 जनवरी को व्हाट्सएप के माध्यम से भेजा था, जिसे उन्होंने 19 जनवरी को वायरल किया था ।


उसके बाद 21 जनवरी को जब मुख्यमंत्री का दौरा मंडी का था तो वहां एक पत्रकार द्वारा उनसे पूछा गया कि उनका काफिला रोका गया तो उन्होंने कहा कि नहीं । पीड़ित पत्रकार का कहना है कि उस पत्रकार ने यह नहीं पूछा कि आपका काफिला 18  जनवरी को रोका गया अपितु 21 जनवरी को रोका गया । मुख्यमंत्री ने जवाब दिया कि नहीं रोका गया । पीड़ित पत्रकार का कहना है कि मुख्यमंत्री ने पत्रकार के सवाल के अनुसार सही जवाब दिया था कि उनका काफिला नहीं रोका गया था, जबकि उस पत्रकार ने 18 जनवरी का जिक्र ही नहीं किया था ।

उन्होंने बताया कि इसी विषय पर कुछ अन्य जानकारी लेने के लिए जब उपमंडल पुलिस अधिकारी ज्वाली व थाना प्रभारी फतेहपुर से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी तो उनके द्वारा निर्धारित समय दौरान कोई भी जानकारी नहीं दी गई । वहीं जब आरटीआई के तहत जानकारी न मिलने पर पुलिस अधीक्षक नूरपुर के समक्ष अपील की गई तो वहां से अपील की सुनबाई न हो पाई व आख़िरकार अपील को यह हबाला देते हुए ख़ारिज कर दिया कि आपको दो बार बुलाया गया लेकिन आप नहीं आये जबकि पुलिस अधिक्षक कार्यलय से सुनबाई के लिए भेजा गया खत ही उन्हें देरी से मिलता रहा ,जिसके लिए अब पीड़ित पत्रकार ने राज्य सूचना आयोग से लिखित शिकायत कर आरटीआई एक्ट 2005 की अबहेलना किये जाने पर कार्रवाही को अपील की है । वहीं पीड़ित पत्रकार ने उनके ऊपर हुई एफआईआर के खिलाफ महामहिम राज्यपाल , मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश को भी उक्त दोनों वायरल खबरों की पैन ड्राइव भेजकर निष्पक्ष जांच की अपील की है ।

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