लांगणा में स्थापित है बर्षों पुरानी पंचमुखी महादेव की मूर्ति

Edited By Kuldeep, Updated: 05 Jun, 2023 04:34 PM

jogindernagar mahadev panchmukhi murti

गांव लांगणा में भगवान शिव की पंचमुखी मूर्ति स्थापित है, जिस कारण इसे पंचमुखी महादेव के नाम से भी जाना जाता है। कई वर्षों तक यह मूर्ति खुले आसमान के नीचे ही रही और बाद में एक छोटे से मंदिर का निर्माण कर इसे मंदिर के भीतर स्थापित किया गया।

जोगिंद्रनगर (वेद): गांव लांगणा में भगवान शिव की पंचमुखी मूर्ति स्थापित है, जिस कारण इसे पंचमुखी महादेव के नाम से भी जाना जाता है। कई वर्षों तक यह मूर्ति खुले आसमान के नीचे ही रही और बाद में एक छोटे से मंदिर का निर्माण कर इसे मंदिर के भीतर स्थापित किया गया। हर वर्ष यहां श्रावण मास में बिल्व पत्र से महादेव की पूजा की जाती है तथा प्रतिवर्ष 5 से 15 अगस्त तक शिव महापुराण कथा का भी आयोजन किया जाता है। क्षेत्र के बुजुर्गों का यह भी कहना है कि भगवान शिव की इस पंचमुखी मूॢत का इतिहास ब्रिटिश शासन के समय से जुड़ा हुआ है। पंचमुखी महादेव के भव्य मंदिर निर्माण के लिए समिति द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं।

ब्यास नदी में बहकर आई पंचमुखी मूर्ति को पाबो गांव का पंडित लेकर पहुंचा था कठियार
जनश्रुति के अनुसार पंचायत धार के पाबो गांव का एक पंडित ब्यास नदी पार कर अपने घर पाबो जा रहा था और उसे पता चला कि भगवान शिव की मूर्ति नदी में बहकर यहां आई है। इस मूर्ति को ले जाने के लिए नदी के दूसरे छोर के लोग पहुंचे हुए थे, लेकिन वे इसे ले जाने में असफल हो रहे थे। इस बीच पंडित ने शीशम पेड़ की जड़ में भगवान शिव की इस मूर्ति को देखा। जब उन्होंने मूॢत को प्रणाम कर स्पर्श किया तो मूर्ति डगमगाने लगी। पंडित ने मूर्ति को बड़ी आसानी से सिर पर उठा लिया तथा गांव धार पाबो की ओर चल पड़े। चलते-चलते जब पंडित वर्तमान मंदिर के समीप एक स्थान पर पहुंचे, जहां कभी मंडी राजा का कठियार हुआ करता था। इस स्थान पर पीपल के नीचे अटियाला बना हुआ था। पंडित मूर्ति को रखकर आराम करने लगा और जब बाद में दोबारा मूर्ति को उठाने का प्रयास किया तो मूर्ति जरा भी नहीं हिल पाई। कहते हैं कि उस समय से लेकर वर्ष 1970 तक यह मूर्ति इसी तरह कठियार वर्तमान में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला लांगणा के समीप खुले आसमान के नीचे ही रही।

मूर्ति ने पुन्नू नामक व्यक्ति को दिया स्वप्न, शूल में मंदिर बनाने का किया आग्रह
स्थानीय लोगों के अनुसार लांगणा स्कूल के समीप ही एक निजी मकान में पशु औषधालय हुआ करता था, जिसमें पुन्नू राम नामक कर्मचारी कार्यरत था। एक रात पुन्नू राम को सपने में भगवान शिव की मूॢत ने बताया कि आप नि:संतान हो, समीप के तालाब (शूल) के पास एक छोटा-सा मंदिर बनवा कर मेरी स्थापना करवाना, संतान के रूप में पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी। सुबह पुन्नू राम ने यह बात स्कूल में अध्यापकों को बताई। स्वप्न अनुसार यथा योग्य चंदा इक_ा कर एक छोटे से मंदिर का निर्माण किया गया, जिसके बाद पुन्नू राम के घर एक पुत्र का जन्म हुआ। मंदिर में समय-समय पर कई साधु महात्माओं ने भी निवास किया। यहां पर बाबा चरण गिरि की समाधि भी स्थापित की गई है। वर्तमान में बाबा बसंत गिरि यहां रहते हैं।

कैसे पहुंचें मंदिर
ब्यास नदी तथा सिकंदर धार के बीच बसा यह पंचमुखी महादेव का मंदिर मंडी जिले के उपमंडल जोगिंद्रनगर की पंचायत लांगणा के शूल में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला के समीप स्थित है। यहां पर पहुंचने के लिए जोगिंद्रनगर से सरकाघाट की ओर जाने वाली मुख्य सड़क पर नेरी गांव से लडभड़ोल-बैजनाथ सड़क पर लगभग अढ़ाई किलोमीटर चलकर पहुंचा जा सकता है। नेरी गांव से आगे चलकर कोटला प्रैण लिंक रोड के माध्यम से मंदिर के प्रांगण तक गाड़ी से भी पहुंचा जा सकता है।

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