हाल-ए -हिमाचल: सियासत के समीकरणों में संतुलन साधते जयराम

Edited By Ekta, Updated: 18 Oct, 2018 01:59 PM

jiaram thakur

लंबे इंतजार के बाद आखिरकार हिमाचल में एक साथ दस सियासी पद बंटे। अष्टमी पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पहले शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर में शीश नवाया और फिर देर शाम सियासी आकांक्षाओं की ज्वालाओं को शांत करने की प्रक्रिया के तहत निगमों बोर्डों के दस...

 

शिमला (संकुश): लंबे इंतजार के बाद आखिरकार हिमाचल में एक साथ दस सियासी पद बंटे। अष्टमी पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पहले शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर में शीश नवाया और फिर देर शाम सियासी आकांक्षाओं की ज्वालाओं को शांत करने की प्रक्रिया के तहत निगमों बोर्डों के दस मुखिया घोषित किए। दरअसल 2019 की चुनावी रण को ध्यान में रखकर मुख्यमंत्री और संगठन के थिंक टैंक लंबे समय से रणनीति बना रहे हैं। उसी की परिणीति थी कि नरेंद्र बरागटा और रमेश ध्वाला को कैबिनेट रैंक के साथ पद दिए गए। हालांकि आधा दर्जन नियुक्तियां बीच-बीच में पहले भी हो चुकी हैं। 

खैर नई तैनातियों के साथ एक साथ आठ जिलों को साधा गया है। दस नियुक्तियों में ऐसा करना बड़ी दक्षता का काम था जिसे अंजाम देकर मुख्यमंत्री ने सिद्ध कर दिया है कि जो उन्हें नया-नया कहते हैं वे अब देखने के लिए भी तैयार रहें। खासकर कुल्लू से राम सिंह और किन्नौर से सूरत नेगी की तैनाती यही संकेत दे रही है। ये दोनों ही अपने अपने जिलों में संगठन में संघर्षरत रही है। दिलचस्प ढंग से मुख्यमंत्री ने नई तैनातियां करते वक्त अपने जिला मंडी को इस बार बिल्कुल नजरअंदाज किया है। मंडी के साथ ही बिलासपुर भी खाली हाथ रहा है। योजना यही रही होगी कि इन्हें निजी तौर पर मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार त्रिलोक जम्वाल और ओएसडी महेंद्र धर्माणी संभाल लेंगे। 

कांगड़ा जिला से मनोहर धीमान की तैनाती सटीक निशाना है क्योंकि टिकट कटने के बाद से उनके बहाने एक बड़े वोट बैंक के कट जाने का डर था। उसे पहले ध्वाला और अब मनोहर के जरिए मनोहारी तस्वीर में बदलने प्रयास गया है। हालांकि अभी भी मध्य और पूर्वी कांगड़ा में कसर रह गई है। कोई शक नहीं कि आगामी चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा हमीरपुर संसदीय क्षेत्र को लेकर है। ऐसे में हमीरपुर और ऊना के हिस्से तीन ताज बांटकर बहुत कुछ सीधा करने का प्रयत्न किया गया है। मसलन विजय अग्निहोत्री और राम कुमार की तैनातियों से न सिर्फ उन्हें निजी सियासी लाभ मिलेगा बल्कि पार्टी को भी संबल मिलेगा। 

प्रवीण शर्मा की लंबे अरसे बाद हुई ताजपोशी का लाभ भी पार्टी को ही मिलेगा। एक लिहाज से अब एक केंद्रीय मंत्री, एक पूर्व मुख्यमंत्री, वर्तमान पार्टी अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष, दो कैबिनेट मंत्री, तीन-तीन चेयरमैन, डिप्टी चेयरमैन एक मुख्य प्रवक्ता, और दो ओएसडी इस हलके में हो गए हैं। यानी विधानसभा चुनाव में हुए नुक्सान को पार्टी पूरी तरह दूर करने के मूड में नजर आती है। यह हमीरपुर में बीजेपी के नवनिर्माण के संकेत हैं। कितना होता है यह वक्त बताएगा लेकिन जयराम ठाकुर ने यहां नजर सीधे 2022 वाली रखी है। शिमला जिला में भी सौगात जमकर बरसी है। 

गणेश दत्त और रूपा शर्मा को औहदेदारी देकर निश्चित ही कोई बड़ा संतुलन साधा गया होगा, जो निकट भविष्य में सामने आएगा। सोलन के हिस्से महज एक पद आया है और यहां अभी भी जिम्मेदारी मंत्री राजीव सहजल पर ही है। विधानसभा राजीव बिंदल भी यहां का अतिरिक्त चार्ज बखूबी संभाले हुए हैं और ऊपर से सांसद वीरेंद्र कश्यप का गृह जिला होने के नाते शेष भार उनके कांधों पर रहेगा ही। सारा ठेका सरकार का ही तो नहीं। इसी तरह सिरमौर में भी बलदेवों को बल देकर बिंदल का काम आसान बनाने की कोशिश की गई है। महिला शक्ति के हिस्से महज एक ही पद आया है। चुनाव अभी दूर ही है लिहाजा उम्मीद की जानी चाहिए कि महिला कोटे में भी सुधार होगा। सब सुधरेंगे  तभी सब सुधेरगा।  

 

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