CM ने प्रदेश के वार्षिक मानक आवंटन में वृद्धि का मामला नाबार्ड से उठाया

Edited By kirti, Updated: 21 Feb, 2020 03:13 PM

jairam thakur

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए प्रदेश का वार्षिक मानक आवंटन वर्तमान 700 करोड़ रुपए से कम से कम 1000 करोड़ रुपये तक बढ़ाने का मामला नाबार्ड से उठाया गया है। मुख्यमंत्री आज यहां नाबार्ड के अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक...

शिमला(योगराज): मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए प्रदेश का वार्षिक मानक आवंटन वर्तमान 700 करोड़ रुपए से कम से कम 1000 करोड़ रुपये तक बढ़ाने का मामला नाबार्ड से उठाया गया है। मुख्यमंत्री आज यहां नाबार्ड के अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आवंटन में वृद्धि से राज्य को ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि संबंधी अधोसंरचना सृजित करने के साथ-साथ इन क्षेत्रों में सड़क नेटवर्क में सुधार में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि स्वीकृति की शक्तियां नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालय को मिलनी चाहिए ताकि ग्रामीण अधोसंरचना विकास निधि (आरडीआईएफ) के अन्तर्गत स्वीकृतियों और कार्यान्वयन प्रक्रिया में तेजी आ सके। जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और प्रतिकूल मौसम के दृष्टिगत नाबार्ड को परियोजना कार्यान्वयन के लिए समयावधि को चार वर्ष से बढ़ाकर छः वर्ष करने पर विचार करना चाहिए। इससे धीमी गति से चल रही अथवा आरम्भ नहीं हुई परियोजनाओं में कमी आएगी और प्रदेश की प्रतिपूर्ति की स्थिति में भी सुधार होगा।
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उन्होंने कहा कि राज्य में परियोजनाओं के तीव्र कार्यान्वयन और इन पर शीघ्र कार्य पूरा करने तथा प्रतिपूर्ति के दावों में कागजी कार्रवाई में होने वाले विलम्ब को समाप्त करने के लिए नाबार्ड को अग्रिम मोबेलाइजेशन वर्तमान 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने पर भी विचार करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि विषम जलवायुगत परिस्थितियों के कारण प्रदेश में सड़क परियोजनाओं को पूरा करने में आम तौर पर 6 से 10 वर्ष का समय लग जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए नाबार्ड को रख-रखाव की निधि की अवधि 10 वर्ष से बढ़ाकर 15 वर्ष करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त रख-रखाव निधि चार प्रतिशत से कम निर्धारित ब्याज दर प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि नाबार्ड ने सूक्ष्म सिंचाई का दायरा बढ़ाने के उद्देश्य से राज्यों को सहायता प्रदान करने के लिए सूक्ष्म सिंचाई निधि (एमआईएफ) स्थापित की है। उन्होंने नाबार्ड से किसान क्रेडिट कार्ड के अन्तर्गत क्रेडिट सीमा तीन लाख से बढ़ाकर 6 से 10 लाख रुपए तक करने का अनुरोध किया। जयराम ठाकुर ने कहा कि पन विद्युत क्षेत्र प्रदेश सरकार का प्राथमिकता क्षेत्र है इसलिए नाबार्ड को राज्य में जल विद्युत परियोजनाओं के निष्पादन के लिए धनराशि उपलब्ध करवाने पर विचार करना चाहिए।

इसी प्रकार पर्यटन भी सरकार का प्राथमिकता क्षेत्र है, जिसके लिए उन्होंने नाबार्ड से उदार वित्तीय सहायता का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में रज्जू मार्गों और अन्य संबद्ध अधोसंरचना विकसित करने की बहुत संभावनाएं हैं। नाबार्ड के अध्यक्ष डाॅ. हर्ष कुमार भनवाला ने मुख्यमंत्री को अवगत करवाया कि नाबार्ड हिमाचल प्रदेश को विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं के लिए उदारतापूर्वक आर्थिक सहायता प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि नाबार्ड सिंचाई, ग्रामीण सड़कों, पेयजल, पुष्प क्रांति, सौर सिंचाई और मुख्यमंत्री नूतन पोलीहाउस योजना जैसी कई अन्य परियोजनाओं के लिए निधि प्रदान कर रहा है। सिरमौर जिले में सूखा प्रभावित क्षेत्र में कृषि पर निर्भर ग्रामीण समुदायों के लिए सतत आजीविका परियोजना जल्दी ही पूरी होने जा रही है, जिसके लिए 20 करोड़ रुपए का अनुदान सहयोग दिया गया है। उन्होंने कहा कि नाबार्ड प्रदेश के सभी जिलों के कृषि उत्पादक संगठनों को 8.50 करोड़ रुपए उपलब्ध करवा रहा है। मुख्य सचिव अनिल खाची, प्रधान सचिव वित्त प्रबोध सक्सेना और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुंडू सहित प्रदेश सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।

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