छात्रवृत्ति घोटाले मामले में जयराम सरकार ने लिया बड़ा फैसला, जानने के लिए पढ़ें खबर

Edited By Vijay, Updated: 21 Aug, 2018 10:03 PM

jairam government took big decision in scholarship scam case

सरकार ने छात्रवृत्ति घोटाले की जांच सी.बी.आई. से करवाने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया। इसके तहत छात्रवृत्ति मामले की जांच जो मुख्यत: 2013-14 से जारी है, उसको सी.बी.आई. को सौंपने का...

शिमला: सरकार ने छात्रवृत्ति घोटाले की जांच सी.बी.आई. से करवाने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया। इसके तहत छात्रवृत्ति मामले की जांच जो मुख्यत: 2013-14 से जारी है, उसको सी.बी.आई. को सौंपने का निर्णय लिया गया। इस घोटाले में बड़े नेताओं के साथ उनके रिश्तेदारों के नाम भी सामने आ रहे हैं। आरोप है कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शिक्षण संस्थानों ने छात्रवृत्ति की मोटी रकम को हड़पा। विभागीय जानकारी के अनुसार प्री-मैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक में वर्ष 2013-14 में 267 निजी शिक्षण संस्थानों ने यह छात्रवृत्ति ली है। इन संस्थानों को 38 करोड़ 8 लाख 15 हजार 309 की राशि जारी की गई। इसमें किए गए आवेदनों के लिए एक ही मोबाइल नंबर और एक ही आधार का इस्तेमाल किया गया।

आवेदनों के लिए हुआ एक ही बैंक खाते का इस्तेमाल
इसके अलावा वर्ष 2014-15 में 283 निजी शिक्षण संस्थानों को 62 करोड़ 36 लाख 55 हजार 984 रुपए क ी राशि बतौर छात्रवृत्ति जारी की गई है। वर्ष 2015-16 में भी 274 निजी शिक्षण संस्थान को 59 करोड़ 96 लाख 28 हजार 015 रुपए की छात्रवृत्ति दी गई है। सरकारी स्तर पर सामने आए तथ्यों में यह भी कहा गया है कि वर्ष 2016-17 में 924 संस्थानों को पोस्ट व प्री-मैट्रिक के लिए 210 करोड़ 01 लाख 56 हजार 973 रुपए राशि जारी की गई। आरोप है कि इस दौरान एक  ही बैंक खाते का इस्तेमाल विभिन्न आवेदनों के लिए किया गया है। इसी तरह एक ही संस्थान में हजारों की छात्रों की संख्या का होना कई सवाल खड़े करता है।

योजना में अनियमितताएं
मुख्यमंत्री ने बैठक के दौरान कहा कि छात्रवृत्ति योजना में अनेक अनियमितताएं पाई गईं हैं। कुछ संस्थानों में छात्रों की संख्या अविश्वसनीय रूप से अधिक है। प्रारंभिक जांच में सरकार के साथ केंद्र के विभिन्न संस्थानों का सम्मिलित होना व बहुत सारे संस्थानों का प्रदेश के बाहर होने के कारण सरकार की तरफ से यह निर्णय लिया गया है कि मामला जांच के लिए सी.बी.आई. को सौंपा जाए। उन्होंने कहा कि भविष्य में एक बैंक खाते पर एक ही छात्र को छात्रवृत्ति मिलेगी और बिना आधार नंबर के छात्रवृत्ति नहीं दी जाएगी।

ये रहे बैठक में मौजूद
मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक में शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने भी भाग लिया। इसके अलावा मुख्य सचिव विनीत चौधरी, अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं प्रधान सचिव मुख्यमंत्री डा. श्रीकांत बाल्दी, अतिरिक्त प्रधान सचिव मुख्यमंत्री संजय कुंडू, प्रधान सचिव तकनीकी शिक्षा आर.डी. धीमान, सचिव शिक्षा डा. अरुण शर्मा और निदेशक उच्च शिक्षा डा. अमरजीत सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी बैठक में मौजूद थे।

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