होला मोहल्ला मेला मैड़ी में उमड़ा जनसैलाब, श्रद्धालुओं ने जमकर उड़ाया गुलाल (Video)

Edited By Ekta, Updated: 22 Mar, 2019 11:43 AM

हिमाचल के जिला ऊना के डेरा बाबा बड़भाग सिंह में 10 दिवसीय प्रसिद्ध होला मोहल्ला मेले में आस्था का संगम देखने को मिला। विश्वविख्यात इस मेले में देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी हजारों की तादाद में श्रद्धालु नतमस्तक हुए। मेले के आठंवे दिन झंडे चढ़ाने की...

ऊना (अमित): हिमाचल के जिला ऊना के डेरा बाबा बड़भाग सिंह में 10 दिवसीय प्रसिद्ध होला मोहल्ला मेले में आस्था का संगम देखने को मिला। विश्वविख्यात इस मेले में देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी हजारों की तादाद में श्रद्धालु नतमस्तक हुए। मेले के आठंवे दिन झंडे चढ़ाने की रस्म अदा की गई और रंगों गुलाल से होली खेली गई, जिसमें श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। डेरा बाबा बड़भाग सिंह के इतिहास पर नजर डाली जाए तो बर्ष 1761 में पंजाब के कस्बा करतारपुर में सिख गुरू अर्जुन देव जी के बंशज बाबा राम सिंह सोढ़ी और उनकी धर्मपत्नी माता राजकौर के घर में बड़भाग सिंह जी का जन्म हुआ। उन दिनों अफगानों के साथ सिख जत्थेदारों की खूनी भिड़तें होती रहती थी। बाबा बड़भाग सिंह बाल्याकाल से ही आध्यातम को समर्पित होकर पीड़ित मानवता की सेवा को ही अपना लक्ष्य मानने लगे थे। 
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कहते है कि एक दिन वो घूमते हुए आज के मैड़ी गांव स्थित दर्शनी खड्ड जिसे अब चरण गंगा कहा जाता है, जा पहुंचे और यहां के पवित्र जल में स्नान करने के बाद मैड़ी स्थित एक बेरी के पेड़ के नीचे ध्यानमग्न हो गए। उस समय मैड़ी का यह क्षेत्र बिल्कुल वीरान था और दूर दूर तक कोई आबादी नहीं थी। कहते है कि यह क्षेत्र वीर नाहर सिंह नामक एक पिशाच के प्रभाव में था। नाहर सिंह द्वारा परेशान किए जाने के बाबजूद बाबा बड़भाग सिंह इस स्थान पर घोर तपस्या की तथा एक दिन दोनों का आमना सामना हो गया तथा बाबा बड़भाग सिंह ने दिव्य शक्ति से नाहरसिंह पर काबू पाकर उसे बेरी के पेड़ के नीचे ही एक पिंजरे में कैद कर लिया। कहते है कि बाबा बड़भाग सिंह ने नाहर सिंह को इस शर्त पर आजाद किया था कि नाहर सिंह अब इसी स्थान पर मानसिक रूप से बीमार और बुरी आत्माओं के शिंकजे में जकड़े लोगों को स्वस्थ करेंगे और साथ ही निःसंतान लोगों को फलने का आशीर्वाद भी देंगे।
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यह बेरी का पेड़ आज भी इसी स्थान पर मौजूद है तथा हर वर्ष लाखों की तादाद में देश-विदेश से श्रद्धालु आकर माथा टेककर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। ऐसी मान्यता है कि अगर प्रेत आत्माओं से ग्रसित व्यक्ति को इस कुछ देर के लिए इस बेरी के पेड़ के नीचे बिठाया जाए तो वो व्यक्ति प्रेत आत्मायों के चंगुल से आजाद हो जाता है। होला मोहल्ला मेला हर बर्ष फाल्गुन के विक्रमी महीने में पुर्णिमा के दिन आयोजित किया जाता है। दस दिनों तक मनाए जाने वाला यह मेला देश ही नहीं अपितु विदेश में भी खासा प्रसिद्ध है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल तथा देश के अन्यों हिस्सों से लाखों की तादाद में श्रद्धालु इस मेले में शरीक होने के लिए आते है।

श्रद्धालुओं की माने तो यहां पर सच्चे मन से जो भी मुराद मांगी जाए बाबा जी सभी मनोकामनाएं पूरी करते है। मेले में देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की तादाद को देखते हुए पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा चाक चौबंद की गई है। मेला क्षेत्र को नौ सैक्टरों में बांटा गया है तथा प्रत्येक सैक्टर में एक-एक सैक्टर मैजिस्ट्रेट तथा एक-एक पुलिस अधिकारी की नियुक्ति की गई है तथा मेले में 1400 के करीब पुलिस और होमगार्ड के जवानों की तैनाती की गई है। असामाजिक तत्वों पर नजर रखने के लिए मेला क्षेत्र में जगह जगह पर सीसीटीवी कैमरा भी स्थापित किए गए हैं।

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