हिमाचल के इस गांव में है अफसरों की 'खान', 6 महीने दुनिया से कटा रहता है इलाका

Edited By Ekta, Updated: 01 Jul, 2019 09:54 AM

himachal village

हर साल बर्फबारी के बाद 6 महीने देश और दुनिया से कटा रहने वाला हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति का छोटा सा गांव है ठोलंग। जनजातीय क्षेत्र में होने के कारण यहां के लोगों के पास सीमित साधन हैं तथा उन्हें काफी विकट परिस्थितियों में जीवन यापन करना पड़ता है...

मनाली (सोनू): हर साल बर्फबारी के बाद 6 महीने देश और दुनिया से कटा रहने वाला हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति का छोटा सा गांव है ठोलंग। जनजातीय क्षेत्र में होने के कारण यहां के लोगों के पास सीमित साधन हैं तथा उन्हें काफी विकट परिस्थितियों में जीवन यापन करना पड़ता है लेकिन प्रदेश का यह गांव अफसरों की खान है। इस गांव में 34 घर हैं और इसकी जनसंख्या 415 है। साक्षरता दर भी 100 फीसदी है। अब तक यह गांव देश व प्रदेश को 100 गजटिड ऑफिसर दे चुका है। ठोलंग गांव हिमाचल के अलावा जम्मू और कश्मीर को भी मुख्य सचिव तक के अधिकारी दे चुका है। औसतन हर घर से 3 लोग बतौर अधिकारी देश और प्रदेश में उच्च पदों पर सेवाएं दे चुके हैं या दे रहे हैं। 
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सर्दियों के मौसम में 6 माह तक यह गांव शेष विश्व से कटा रहता है। पढ़ने-लिखने की ज्यादा सुविधाएं नहीं हैं इसलिए युवाओं ने कुल्लू, शिमला, चंडीगढ़ और दिल्ली जैसे शहरों में जाकर पढ़ाई की और अफसर बने। विदेशों में भी कारोबार कर रहे हैं यहां के बाशिंदे। इसी गांव के लोग सिर्फ उपरोक्त क्षेत्रों में ही नहीं बल्कि मैनेजमैंट एम.बी.ए. क्षेत्र में 12, बैंक और बीमा क्षेत्र में 5, कृषि क्षेत्र में 2, एक डी.पी.आर.ओ., एक कानूनगो के साथ-साथ 2 व्यक्ति साऊथ अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में कारोबार कर रहे हैं। गांव के डा. पी.डी. लाल, सुनील कपूर व राम देव कपूर का कहना है कि उन्हें अपने गांव पर नाज है। यहां के लोगों ने विपरीत परिस्थितियां होते हुए भी अपने आप को मुख्य धारा से जोड़े रखा और निरंतर आगे निकलते गए। 6 माह शेष विश्व से कटे रहने के बाद भी गांव के लोगों ने ऐसी तरक्की कर दिखाई कि आज ठोलंग गांव सिर्फ जनजातीय क्षेत्रों ही नहीं बल्कि दूसरे गांवों के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गया है।

3 आई.ए.एस., 3 आई.पी.एस. और 3 एच.ए.एस. व गांव से 3 आई.ए.एस. ऑफिसर मिले हैं जिनमें सेवानिवृत्त चीफ सैक्रेटरी ए.एन. विद्यार्थी, जम्मू-कश्मीर एस.एस. कपूर व शेखर विद्यार्थी शामिल हैं। आई.पी.एस. में राम सिंह तकी, नाजिन विद्यार्थी, नोरबू राम, रघुवीर सिंह वर्मा, रामलाल ठाकुर व स्वर्ण एस.पी. ठाकुर शामिल हैं। लाहौल-स्पीति को पहला आई.ए.एस., डाक्टर, महिला डाक्टर, इंजीनियर, एयर फोर्स अधिकारी भी इसी गांव ने दिए हैं। 34 परिवारों ने प्रदेश को ही नहीं बल्कि देश को टॉप लेवल के अधिकारी दिए हैं। 3 आई.ए.एस., 2 आई.पी.एस., 7 आई.आर.एस., 14 एम.बी.बी.एस., 2 पायलट, 16 इंजीनियर्स, 5 पीएच.डी., 6 आर्मी ऑफिसर, 37 शिक्षक, 1 फिल्म उद्योग, 3 फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में, 2 वैटर्नरी, 3 आयुर्वैदिक डाक्टर, 2 हिमाचल सर्विसिज, 1 डिप्टी डायरैक्टर उद्यान विभाग, इसी गांव से 21 इंजीनियर बनकर देश की सेवा कर रहे हैं। जबकि 23 डाक्टर देश के कोने-कोने में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इंजीनियर, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में इस गांव के लोग काफी अहम भूमिका निभा रहे हैं।

गांव में आई.ए.एस. ने बनाई है लाइब्रेरी

पंचायत प्रधान सुरेश कुमार ने बताया कि ठोलंग गांव में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं के लिए आई.ए.एस. अधिकारी एस.एस. कपूर ने अपनी मां के नाम से एक लाइब्रेरी बनाई है। इस लाइब्रेरी में कई प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए किताबें रखी गई हैं। इसके अलावा गांव के अन्य लोग जोकि सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्र में अच्छा नाम कमा चुके हैं उन्होंने भी लाइब्रेरी में अनेक पुस्तकें दी हैं।

 

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