नज़रिया: यामी के चक्कर में मोदी को बिसरा दिया हिमाचल सरकार ने

Edited By Ekta, Updated: 31 Oct, 2019 03:57 PM

himachal government lost modi in yami affair

बत्ती गुल मीटर चालू.....यही वो फिल्म है जिसमें आखिरी बार यामी गौतम ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। उसके बाद अभी उनकी कोई फिल्म नहीं आई है। लेकिन इसी बीच एक बड़ी खबर आई है कि उनको अब हिमाचल सरकार ने अपनी चिर प्रचारित इन्वेस्टर्स मीट में ब्रांड...

शिमला (संकुश): बत्ती गुल मीटर चालू.....यही वो फिल्म है जिसमें आखिरी बार यामी गौतम ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। उसके बाद अभी उनकी कोई फिल्म नहीं आई है। लेकिन इसी बीच एक बड़ी खबर आई है कि उनको अब हिमाचल सरकार ने अपनी चिर प्रचारित इन्वेस्टर्स मीट में ब्रांड एम्बैसेडर बनाया है। हिमाचल से हैं। जन्म बिलासपुर में हुआ है। उनके इस चयन के साथ ही प्रदेश सरकारों की एक लम्बी हसरत आंशिक रूप से पूरी हो गई है। अरसे से हिमाचल की सरकारें ब्रांड एम्बैसेडर ढूंढ रही हैं।
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धूमल काल में दलाई लामा को ब्रांड एम्बैसेडर बनाने की बात हुई। तत्कालीन निर्बासित सरकार ने यह कहकर क्षमा मांग ली कि चूंकि दलाई लामा साक्षात बुद्ध के अवतार हैं तो यह संभव नहीं। फिर जब कांग्रेस काल आया तो मनकोटिया जी अनुपम खेर को हिमाचल का ब्रांड एम्बैसेडर चाहते थे। लेकिन उसी दौरान अनुपम बीजेपी की अनुपम छटा से प्रभावित हो गए तो मामला अटक गया। फिर प्रीति जिंटा को तत्कालीन बीजेपी सरकार ने अपना ब्रांड एम्बैसेडर बनाना चाहा।
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तत्कालीन पर्यटन निदेशक मुंबई में उनके साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर भी कर आए थे। लेकिन बात सिरे नहीं चढ़ी। उसके बाद कंगना रनौत की चर्चा हुई। लेकिन वहां भी मामला नहीं जमा। सभी मामलों में अर्थ एक महत्वपूर्ण विषय रहा। दरअसल हिमाचल के इन सपूतों का इन राजदूतों के रूप में नखरे उठाना काफी महंगा पड़ रहा था। प्रीति ज़िंटा ने तो कोई पैसा लेने से मना तक किया था लेकिन उनके क्रू का खर्च भी इतना ज्यादा था कि सरकार ने पीछे हटने में ही भलाई समझी।
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ऐसे में अब जाकर यामी गौतम के रूप में वह चिर इच्छा आंशिक रूप से पूरी हुई है। अब आप सोच रहे होंगे कि बार-बार आंशिक शब्द का प्रयोग क्यों किया जा रहा है। तो जनाब उसका उत्तर यह है कि हम  यामी गौतम को स्थायी रूप से अम्बैसेडर नहीं बना सके हैं।  सिर्फ इन्वेस्टर मीट के लिए ही ऐसा संभव हो पाया है और वह भी महज एक ही दिन के लिए। एक दिन के इस उपकार का वे पांच लाख लेंगी। उनके साथ उनकी टीम का आने जाने का रहने खाने और घूमने का सारा खर्च राज्य सरकार वहन करेगी।
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बस बड़ी खबर यही है कि यामी यामी हो रही है। हां एक सीक्रेट और जरूर बाहर आया है कि एक मंत्री जी यामी गौतम के मुरीद हैं। उन्होंने 2012 में अपने विधायक काल में यामी गौतम की विकी डोनर आठ बार देखी  थी। मंत्री बनने के बाद वे विशेष रूप से यामी गौतम से मिलने मुंबई भी गए थे। उसी परिचय की परिणिति मौजूदा रूप में हुई है। तो क्या एक मंत्री की ख़ुशी के लिए यह सब प्रपंच रचा जा रहा है ??? यह भी एक यक्ष प्रश्न है। पर हम मुए मीडिया वालों को तो आदत है ना जी ऐसे सवाल उठाने की। तरक्की तो पसंद ही नहीं है। आलोचक कहीं के -- जो ठहरे। पर आप यह जरूर सोचिएगा कि यामी गौतम और  इन्वेस्टर मीट में क्या, कितना और कैसा  सम्बन्ध  हो सकता है ??
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पीएम मोदी को भूल गई उनकी ही सरकार 

दिलचस्प ढंग से ब्रांड एम्बैसेडर चुनते समय बीजेपी सरकार अपने ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भूल गई। बिना शक मोदी इस समय खुद एक ब्रांड हैं। देश ही नहीं दुनिया में भी और इन्वेस्टर मीट में उनका आना भी तय बताया जा रहा है। बात यहीं ख़त्म नहीं होती। नरेंद्र मोदी ने तो हमेशा हिमाचल के ब्रांड अम्बैसेडर के रूप में काम किया है। उनके विदेशी दौरों पर वे न सिर्फ हिमाचली टोपी पहने हुए दिखे हैं बल्कि उन्होंने कई बार कहा है कि वे अपने साथ आधा दर्जन हिमाचली टोपियां रखते हैं और उन्हें अक्सर पहनते हैं।
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यही नहीं जब मोदी पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मिलने गए थे तो अपने साथ जो तोहफे ट्रम्प परिवार को लेकर गए थे उनमें श्रीमती ट्रम्प के लिए कांगड़ा का पारम्परिक चांदी का गोखरू और पालमपुर का शहद लेकर गए थे। ये पीएम मोदी का हिमाचल की ब्रांडिंग करने का लेवल है। लेकिन यामी यामी के चक्कर में प्रदेश सरकार के मंत्री जी और उनके कुछ पुच्छल अफसरों ने मोदी जैसे ब्रांड  को भी हाशिये पर धकेल दिया। तो क्या सरकार को मोदी से ज्यादा यामी पर भरोसा है ??? सवाल तो है न जी। 
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