हिमाचल को विश्व बैंक से मिला 1580 करोड़ का नया बजट

Edited By Updated: 31 Mar, 2017 01:07 AM

himachal got a new budget of 1580 crores from world bank

मध्य हिमालय जलागम विकास परियोजना 31 मार्च, 2017 के बाद बंद होने जा रही है। प्रदेश की 702 पंचायतों में विश्व बैंक की सहायता से चलने वाला यह प्रोजैक्ट भविष्य में इन पंचायतों में विकास कार्यों पर विराम लगा रहा है....

मौहल: मध्य हिमालय जलागम विकास परियोजना 31 मार्च, 2017 के बाद बंद होने जा रही है। प्रदेश की 702 पंचायतों में विश्व बैंक की सहायता से चलने वाला यह प्रोजैक्ट भविष्य में इन पंचायतों में विकास कार्यों पर विराम लगा रहा है। विश्व बैंक से चलने वाला यह एशिया का सबसे बड़ा कार्बनिक प्रोजैक्ट हिमाचल प्रदेश को 2005 में मिला था। प्रथम चरण में वर्ष 2013 तथा द्वितीय चरण में वर्ष 2013 से 2017 तक 6 अरब रुपए के प्रारूप से प्रदेश की 702 पंचायतों में जल, जंगल, जमीन, जन और जानवरों के विकास एवं संरक्षण को लगातार कार्य किया गया। विश्व बैंक के आकलन के बाद परियोजना के सकारात्मक पहलुओं को देखकर भविष्य में हिमाचल को कार्बनिक प्रोजैक्ट के लिए सफल क्षेत्र माना गया है। विश्व बैंक विश्व में कार्बनिक गैसों को कम करने के लिए 1 अप्रैल, 2017 के बाद दोबारा प्रदेश पर मेहरबान है।

1400 से अधिक युवा झेल रहे बेरोजगारी का दंश
31 मार्च को जहां विश्व बैंक का मध्य हिमालय जलागम विकास परियोजना कार्यक्रम स्थगित हो रहा है, वहीं 1 अप्रैल से प्रदेश में पर्यावरण विकास एवं संरक्षण के लिए विश्व बैंक के सहयोग से दोबारा 1580 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया है। प्रदेश में इस परियोजना को चलाने के लिए पंचायतों, मंडलों और प्रदेश स्तर पर सैंकड़ों अधिकारी व कर्मचारी हैं जिन्हें मार्च के बाद परियोजना से हटाया जाना तय है। प्रदेश की 702 पंचायतों में सहायक लेखाकारों और संगठन सहायकों के पद से 1400 से अधिक युवाओं को बेरोजगारी का दंश झेलना पड़ रहा है। वर्ष 2005 से 2017 तक पंचायत स्तरों पर कार्य चलाने के लिए जो लेखाकार एवं संगठन सहायिका नियुक्त की गई थीं उन्हें कुछ वर्षों से बाहर किया गया है।

सैंकड़ों कर्मचारी होंगे बाहर 
उधर, खंड और मंडल स्तर पर सेवाएं दे रहे सैंकड़ों कर्मचारियों-अधिकारियों का भी भविष्य अंधेरे में है। वर्तमान में चल रहे बजट सत्र में मध्य हिमालय जलागम विकास परियोजना के अनुबंध कर्मियों का कोई जिक्र नहीं हुआ है। 1 अप्रैल से विश्व बैंक की सहायता से चलने वाली भविष्य की योजना क्या है, इसका भी प्रदेश की जनता को ज्ञान नहीं है। 1 अप्रैल से नई योजना में पुराने अनुबंध कर्मियों को पंचायतों से लेकर प्रदेश स्तर तक किस तरह जोड़ा जा रहा है, इस पर परियोजना से बेरोजगार हो रहे लोगों की पैनी नजर है। अगर पूर्व में कार्य कर चुके सहायक लेखाकारों और संगठन सहायकों को इस परियोजना में समायोजित नहीं किया गया तो बेरोजगार अपने हक के लिए तरसते रहेंगे। 

अपने विभागों को लौट जाएंगे अधिकारी व कर्मचारी 
हिमाचल प्रदेश मिड हिमालय प्रोजैक्ट सोलन के मुख्य परियोजना निदेशक चंद्रभूषण पांडे ने बताया कि मध्य हिमालय जलागम विकास परियोजना में अब तक 6 अरब 95 करोड़ रुपए प्रदेश की 704 पंचायतों में विकास कार्यों पर खर्च हो चुके हैं। अप्रैल, 2017 के बाद इस परियोजना के स्थान पर एकीकृत परियोजना शुरू करने का प्रारूप बना है। अब तक इस परियोजना में कार्यरत विभिन्न विभागों के अधिकारी व कर्मचारी अपने विभागों को लौट जाएंगे। परियोजना में कार्यरत सभी अनुबंध कर्मचारियों को आगामी एकीकृत परियोजना में कार्यरत किया जाएगा। परियोजना में कार्य कर चुके सहायक लेखाकार संगठन सहायकों को भी इसमें समायोजित करने का पूरा प्रयास हो रहा है। भविष्य में इस परियोजना को चालू करने के लिए 15 अरब 8 करोड़ रुपए का प्रारूप बना है, जिसमें प्रदेश की चुनिंदा पंचायतों में प्राकृतिक स्रोतों, पर्यावरण संरक्षण एवं विकास के साथ सामाजिक स्तर को स्तरोन्नत किए जाने का कार्यक्रम है। 

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