Edited By Kuldeep, Updated: 20 May, 2024 05:25 PM
प्रदेश हाईकोर्ट ने राजधानी के हीरानगर स्थित बाल सुधार गृह में अमानवीय व्यवहार को लेकर जनहित याचिका में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।
शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने राजधानी के हीरानगर स्थित बाल सुधार गृह में अमानवीय व्यवहार को लेकर जनहित याचिका में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश राकेश कैंथला की खंडपीठ ने मामले में बनाए प्रतिवादी अधीक्षक कौशल गुलेरिया, कुक राहुल, रसोई सहायक योगेश और सिक्योरिटी गार्ड रोहित को भी नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने सभी प्रतिवादियों से 4 सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है। मामले पर सुनवाई 24 जून को निर्धारित की गई है। उमंग फाऊंडेशन के अध्यक्ष प्रोफैसर अजय श्रीवास्तव ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में बाल सुधार गृह में किशोरों से अमानवीय व्यवहार करने वाले दोषियों को उपयुक्त दंड देने की गुहार लगाई है। आरोप लगाया गया है कि यह बाल सुधार गृह की बजाय किशोरों के लिए टॉर्चर गृह बन गया है। हालांकि कम उम्र में अपराध को अंजाम देने वाले नाबालिगों को सुधारने हेतु इस बाल सुधार गृह में रखा जाता है।
इसमें एक दर्जन से अधिक किशोर रखे गए हैं। पत्र में कहा गया है कि एक किशोर को इस सुधार गृह से 7 मई को रिहा किया गया था जिसने प्रार्थी को टैलीफोन कर सुधार गृह की भयानक कहानियों के बारे में बताया और उसने वहां रह रहे अन्य किशोरों को बचाने की प्रार्थना की। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड सोलन को भी जुबानी और लिखित शिकायत में उसने अपने साथ हुई मारपीट और यातनाओं के बारे में बताया था। उसने आरोप लगाया है कि उसे और अन्य बच्चों के साथ निजी प्रतिवादी अक्सर मारपीट किया करते थे। आरोप है कि किशोरों से दुर्व्यवहार अक्सर अधीक्षक के कक्ष में होता है या ऐसे स्थान पर होता है जहां सीसीटीवी की नजर न पड़े। कभी-कभी तो कैमरे बंद भी कर दिए जाते हैं। आरोप है किशोरों को पर्याप्त भोजन भी नहीं दिया जाता। पत्र में रिहा किए गए किशोर द्वारा बताई कहानी के अनुसार अधीक्षक पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा गया है कि डीआईजी और जज से दोस्ती की धमकियां देते हुए किशोरों को अधीक्षक द्वारा पीटा जाता है।
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