हाईकोर्ट में निर्दलीय विधायकों के इस्तीफों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई 30 अप्रैल के लिए टली

Edited By Vijay, Updated: 25 Apr, 2024 08:52 PM

hearing on petition filed over resignation of independent mlas postponed

प्रदेश हाईकोर्ट में निर्दलीय विधायकों के इस्तीफों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई 30 अप्रैल के लिए टल गई। 3 निर्दलीय विधायकों ने इस्तीफे मंजूर न करने और उन्हें स्पीकर द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी करने के खिलाफ याचिका दायर की है। मुख्य न्यायाधीश एमएस...

शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट में निर्दलीय विधायकों के इस्तीफों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई 30 अप्रैल के लिए टल गई। 3 निर्दलीय विधायकों ने इस्तीफे मंजूर न करने और उन्हें स्पीकर द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी करने के खिलाफ याचिका दायर की है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष इस मामले पर सुनवाई हुई। इस मामले में प्रार्थियों की ओर से बहस पूरी होने के बाद कुछ समय के लिए स्पीकर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मामले पर वीडियो कांफ्रैंसिंग के जरिए सुनवाई की। उन्होंने मामले पर अपनी ओर से अगली बहस के लिए सुनवाई 30 अप्रैल दोपहर बाद सवा चार बजे निर्धारित करने का आग्रह किया, जिसे हाईकोर्ट ने स्वीकारते हुए सुनवाई 30 अप्रैल के लिए रखी गई। 

निर्दलीय विधायकों की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इस मामले में उन्होंने खुद जाकर स्पीकर के समक्ष इस्तीफे दिए, राज्यपाल को इस्तीफे की प्रतिलिपियां सौंपी, विधानसभा के बाहर इस्तीफे मंजूर न करने को लेकर धरने दिए और हाईकोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया तो उन पर दबाव में आकर इस्तीफे देने का प्रश्न उठाना किसी भी तरह से तार्किक नहीं लगता और इसलिए इससे बढ़कर उनकी स्वतंत्र इच्छा से बड़ा क्या सबूत हो सकता है। उनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कोर्ट को बताया कि प्रार्थियों को इस्तीफे का कारण बताने को बाध्य नहीं किया जा सकता। इतना ही नहीं, किसी विधायक को कानून के तहत इस्तीफे का कारण देने की मनाही है।

निर्दलीय विधायकों की ओर से उन्हें स्पीकर द्वारा जारी किए कारण बताओ नोटिस का हवाला देते हुए कहा गया कि स्पीकर ने भी उनके इस्तीफे की बात स्वीकार की है। फिर भी उनके इस्तीफे मंजूर नहीं किए जा रहे हैं। प्रार्थियों का कहना है कि उनके इस्तीफे मंजूर न करने की दुर्भावना स्पीकर के जवाब से जाहिर है जिसके तहत उन पर दबाव में आकर राज्यसभा चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में वोट डालने के गलत आरोप लगाए गए हैं। प्रार्थियों का कहना था कि यदि स्पीकर अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए उनके इस्तीफे मंजूर नहीं करता तो हाईकोर्ट के पास यह शक्तियां हैं कि वह जरूरी आदेश पारित कर उनके इस्तीफों को मंजूरी दे।

स्पीकर की ओर से कोर्ट को बताया गया कि अदालत स्पीकर को उन्हें संवैधानिक दायित्व का निर्वहन करने से नहीं रोक सकती जिसके तहत स्पीकर को इस्तीफे के कारणों की जांच का अधिकार दिया गया है। निर्दलीय विधायकों पर दबाव को दर्शाते हुए कहा गया कि राज्यसभा चुनाव के बाद ये निर्दलीय विधायक सीआरपीएफ की सुरक्षा में प्रदेश से बाहर रहे और इसी सुरक्षा में आकर अपने इस्तीफे सौंपे। बहस पूरी न होने पर आगामी सुनवाई मंगलवार को निर्धारित की गई है।

मामले के अनुसार देहरा से निर्दलीय विधायक होशियार सिंह चम्बयाल, नालागढ़ से निर्दलीय विधायक केएल ठाकुर और हमीरपुर से निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा ने विधानसभा की सदस्यता से 22 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष तथा सचिव को अपने इस्तीफे सौंपे थे। इस्तीफों की एक-एक प्रति राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल को भी दी थी। राज्यपाल ने भी इस्तीफों की प्रतियां विधानसभा अध्यक्ष को भेज दी थीं। प्रार्थियों का आरोप है कि विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने इन्हें मंजूरी नहीं दी और इस्तीफे के कारण बताने के लिए 10 अप्रैल तक स्पष्टीकरण देने को कहा। इन विधायकों ने कारण बताओ नोटिस को खारिज कर इस्तीफे मंजूर करने की गुहार लगाई है। निर्दलीय विधायकों का कहना है कि जब उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को व्यक्तिगत तौर पर मिलकर इस्तीफे दिए गए तो उनके इस्तीफे मंजूर करने की बजाय उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करना असवैंधानिक है।
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