MBBS कक्षाओं में दाखिले के मामले पर HC का बड़ा फैसला, पढ़ें खबर

Edited By Vijay, Updated: 13 Jul, 2018 08:52 PM

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प्रदेश हाईकोर्ट ने एम.बी.बी.एस. कक्षाओं में दाखिले के लिए उन छात्रों को पात्र ठहराया है जिनके अभिभावक बाहरी राज्यों अथवा केंद्र सरकार के अधीन सरकारी नौकरी में हैं या कभी रहे थे और इस कारण वे प्रदेश के किसी स्कूल से जरूरी 2 कक्षाएं पास नहीं कर सके।

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने एम.बी.बी.एस. कक्षाओं में दाखिले के लिए उन छात्रों को पात्र ठहराया है जिनके अभिभावक बाहरी राज्यों अथवा केंद्र सरकार के अधीन सरकारी नौकरी में हैं या कभी रहे थे और इस कारण वे प्रदेश के किसी स्कूल से जरूरी 2 कक्षाएं पास नहीं कर सके। कोर्ट ने उन छात्रों को भी दाखिले के लिए कंसीडर करने की राज्य सरकार को छूट दी है जिनके अभिभावक निजी क्षेत्र में कार्यरत हैं या कभी रहे थे। यह राहत केवल उन्हीं छात्रों को दी गई है, जिन्होंने हाईकोर्ट के समक्ष 29 जून से पहले रिट याचिका दायर कर काऊंसलिंग में भाग लेने की इजाजत मांगी थी। कोर्ट ने ऐसे छात्रों को केवल उसी सूरत में दाखिला देने के लिए कंसीडर करने के आदेश दिए हैं अगर सभी पात्र छात्रों को दाखिले के बाद कोई सीट बचती हो।


सरकार ने 2 श्रेणियों में बांट रखे हैं छात्र
उल्लेखनीय है कि सरकार ने बाहरी राज्यों से पढ़ाई करने वाले हिमाचली छात्रों को 2 श्रेणियों में बांटा है। पहली श्रेणी में वे छात्र हैं जिनके अभिभावक बाहरी राज्यों अथवा केंद्र सरकार के अधीन सरकारी नौकरी में हैं या कभी रहे थे। दूसरी श्रेणी में वे छात्र हैं जिनके अभिभावक निजी क्षेत्र में कार्यरत हैं या कभी रहे थे। अभिभावकों की राज्य से बाहर नौकरी या व्यवसाय होने के कारण यह छात्र हिमाचल प्रदेश के किसी स्कूल से जरूरी 2 कक्षाएं पास नहीं कर सके।


एम.बी.बी.एस. कोर्स के लिए प्रदेश के कोटे के तहत यह है शर्त
एम.बी.बी.एस. कोर्स के लिए प्रदेश के कोटे के तहत यह शर्त है कि छात्र ने कम से कम 2  चुनिंदा कक्षाएं हिमाचल के स्कूलों से पास की हों। सरकार ने मौजूदा सत्र में पहली श्रेणी के छात्रों को इस शर्त से छूट दी परंतु दूसरी श्रेणी के छात्रों को इस छूट का कोई लाभ नहीं दिया गया। दूसरी श्रेणी के कुछ छात्रों ने इस छूट का लाभ मांगते हुए कहा कि उनके साथ सरकार भेदभाव कर रही है। न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी ने अपने निर्णय में कहा कि दूसरी श्रेणी को छूट का लाभ देना या न देना सरकार के विवेक पर निर्भर करता है जबकि न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने न्यायाधीश धर्म चन्द चौधरी के इस मुद्दे पर दिए निर्णय पर असहमति जताते हुए कहा कि सरकार ने गलत ढंग से दूसरी श्रेणी के छात्रों को उपरोक्त छूट देने से मना किया अत: यह असंवैधानिक है।


ममाला तीसरे जज के पास भेजने दिए आदेश
खंडपीठ ने इस मुद्दे पर विरोधाभासी निर्णय होने के कारण इस मुद्दे पर फैसला तीसरे जज के निर्णय के लिए भेजने के आदेश दिए। उल्लेखनीय है कि शैक्षणिक सत्र 2013-14 से लेकर 2017-18 तक दोनों तरह की श्रेणियों के छात्रों को दाखिले में छूट दी गई थी जबकि इस बार दूसरी श्रेणी को यह छूट नहीं दी जा रही है।

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