कुल्लू के इस गांव की दर्दभरी दास्तां...जमीन धंसने से बेघर हुए परिवार, ऐतिहासिक मंदिर पर भी मंडराया खतरा

Edited By Jyoti M, Updated: 21 Sep, 2025 05:08 PM

harrowing tale from this kullu village land subsidence leaves families homeless

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले का मातला गांव आज एक बड़ी त्रासदी और अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहा है।

हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले का मातला गांव आज एक बड़ी त्रासदी और अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहा है। जो गांव कभी सेब, अनार और जापानी फलों की खुशबू से महकता था, वह आज भू-स्खलन, धंसती जमीन और चौड़ी होती दरारों के कारण भय और निराशा में डूबा हुआ है। इस आपदा ने न केवल ग्रामीणों के घरों को छीना है, बल्कि उनकी आस्था के केंद्र, प्राचीन आदि ब्रह्मा मंदिर को भी खतरे में डाल दिया है।

एक झटके में उजड़ गए आशियाने

मातला गांव के लगभग 70 परिवार एक ही पल में बेघर हो गए हैं। भारी बारिश और भू-स्खलन के कारण गांव के 33 मकान पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके हैं या रहने के लायक नहीं बचे हैं। जिन घरों में कल तक बच्चों की हंसी और परिवार का अपनापन था, वहां आज सिर्फ तबाही के निशान, गहरी दरारें और मलबा बिखरा पड़ा है। ग्रामीणों की हालत बेहद दयनीय है। उन्हें अपने पुश्तैनी घर छोड़कर तिरपालों के नीचे या खुले आसमान के नीचे में रहना पड़ रहा है। कई परिवार इतने मजबूर हैं कि वे अपने जानवरों के साथ पशुशालाओं में रात गुजार रहे हैं। इस मुश्किल घड़ी में बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग ठंड और लगातार हो रही बरसात के बीच जीने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

डेढ़ किलोमीटर तक फैली दरारें

यह खतरा अब केवल कुछ घरों तक सीमित नहीं रहा। गांव के नीचे की जमीन लगातार धंस रही है, जिससे मातला से लेकर जाखला गांव तक करीब डेढ़ किलोमीटर लंबी और गहरी दरारें पड़ गई हैं। स्थानीय निवासियों के अनुसार, ये दरारें हर गुजरते दिन के साथ और चौड़ी होती जा रही हैं, जिससे पूरे क्षेत्र पर एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है। लोगों में डर इस कदर है कि उन्हें हर पल किसी अनहोनी की आशंका सता रही है।

आस्था पर संकट: आदि ब्रह्मा मंदिर भी भूस्खलन की चपेट में

इस आपदा ने गांव की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को भी खतरे में डाल दिया है। गांव का सदियों पुराना आदि ब्रह्मा मंदिर भी भूस्खलन की चपेट में है। मंदिर के चारों ओर की जमीन लगातार नीचे धंस रही है, जिससे मंदिर की संरचना को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। ग्रामीणों की चिंता है कि अगर यही स्थिति बनी रही, तो यहां भक्त और भगवान दोनों ही सुरक्षित नहीं रहेंगे।

प्रशासन से मदद और पुनर्वास की गुहार

आपदा से प्रभावित ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और हिमाचल सरकार से तत्काल मदद की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि अब केवल मुआवजे या अस्थायी राहत से काम नहीं चलेगा। उन्हें और उनके परिवारों को किसी सुरक्षित स्थान पर स्थायी रूप से बसाने की जरूरत है। लोगों को डर है कि अगर प्रशासन ने जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो यह त्रासदी और भी विकराल रूप ले सकती है। इस भयानक त्रासदी और आंसुओं के बीच मातला के लोग अभी भी उम्मीद का दामन थामे हुए हैं। वे सरकार और प्रशासन से एक ही मांग कर रहे हैं कि उनके गांव को बचाया जाए, उन्हें एक सुरक्षित छत दी जाए और उनकी आस्था के प्रतीक आदि ब्रह्मा मंदिर को संरक्षित किया जाए।

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