Hamirpur: अनशन पर बैठे अभ्यर्थियों द्वारा जे.ओ.ए. के परिणाम को जल्द घोषित करने की मांग

Edited By Rahul Rana, Updated: 29 Jul, 2024 02:40 PM

hamirpur candidates on hunger strike demand early declaration of joa results

हमीरपुर स्थित राज्य चयन आयोग के परिसर में जे.ओ.ए. (जूनियर ऑफिस असिस्टेंट) पोस्ट कोड 817 के परिणाम को जल्द घोषित करने की मांग की जा रही है। इस मांग को लेकर अनशन पर बैठे अभ्यर्थियों का अनशन रविवार को 10वें दिन भी जारी रहा, जिसमें करीब 5 दर्जन से अधिक...

हमीरपुर: हमीरपुर स्थित राज्य चयन आयोग के परिसर में जे.ओ.ए. (जूनियर ऑफिस असिस्टेंट) पोस्ट कोड 817 के परिणाम को जल्द घोषित करने की मांग की जा रही है। इस मांग को लेकर अनशन पर बैठे अभ्यर्थियों का अनशन रविवार को 10वें दिन भी जारी रहा, जिसमें करीब 5 दर्जन से अधिक अभ्यर्थी मौजूद रहे। बता दें कि ये अभ्यर्थी 30 जुलाई का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि इन्हें उम्मीद है कि इस दिन उनके पक्ष में फैसला आएगा और काफी समय से लंबित पड़े उनके परिणाम को आयोग द्वारा घोषित कर दिया जाएगा।

अनशन पर बैठे अभ्यर्थियों स्वाति, मोनिका, त्रिशा, पंकज, अनिल,  आशीन, मनोज, हरदीप, अतुल, कार्तिक, विनय और नवीन ने उनके परिणाम घोषित करने में बरती जा रही लेटलतीफी के लिए आयोग के अधिकारियों को कसूरवार ठहराया हैं। उन्होंने कहा कि 30 जुलाई को अगर इसका कोई हल नहीं निकला तो वे अगला कठोर कदम उठाने को मजबूर होंगे, जिसकी जिम्मेदारी आयोग की होगी। उन्होंने कहा कि आयोग द्वारा हमारा परिणाम घोषित करने के बारे में पिछले करीब 5 बर्षों से तारीख पर तारीख दी जा रही है। मजबूरी में सामूहिक रूप से हमने शिमला में भी प्रदर्शन किया, फिर भी आश्वासन के अलावा कुछ हासिल नहीं हुआ।

हर जगह से थक-हारकर हमने बड़ी मुश्किल से पैसे जोड़कर माननीय सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां से कोर्ट ने हमारे हित में फैसला दिया और आयोग को हमारा परिणाम घोषित करने के बारे में आदेश दिए। उन्होंने कहा कि अब आयोग द्वारा उन आदेशों की भी अवहेलना करते हुए परिणाम को घोषित नहीं किया जा रहा है। उन्होंने दो टूक कहा कि उनका परिणाम अगर जल्द घोषित नहीं किया गया तो वे आयोग का घेराव करेंगे। उन्होंने आयोग के अधिकारियों पर यह भी आरोप लगाया कि आयोग के अधिकारी इस मामले को माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन बता कर हमें गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर मामला विचाराधीन है तो इसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा है।

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