Edited By Vijay, Updated: 14 Nov, 2024 04:21 PM
पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा छह मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) की नियुक्तियों को असंवैधानिक ठहराते हुए...
सुजानपुर (अश्वनी): पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा छह मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) की नियुक्तियों को असंवैधानिक ठहराते हुए निरस्त करने के फैसले ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की नीयत और निर्णय प्रक्रिया पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। सुक्खू को अब मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने का नैतिक अधिकार नहीं रहा है। राजेंद्र राणा ने मुख्यमंत्री पर जनता के पैसे बेबजह इस्तेमाल और सत्ता में बैठते ही गैरकानूनी कार्यों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने इन नियुक्तियों को जायज ठहराने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर बाहरी वकीलों को बुलाया, जबकि प्रदेश में पहले से ही एडवोकेट जनरल और असिस्टेंट एडवोकेट जनरल की 70 सदस्यीय फौज मौजूद थी। आखिर मुख्यमंत्री ने प्रदेश के खजाने को अपनी निजी संपत्ति समझकर इस तरह का अपव्यय क्यों किया? राजेंद्र राणा ने सवाल उठाया कि क्या मुख्यमंत्री की अपनी कानूनी टीम इतनी अक्षम है कि उसे छोड़कर बाहरी वकीलों पर करोड़ों खर्च करने पड़े?
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए इस फैसले के बाद अब यह सवाल उठता है कि इन असंवैधानिक नियुक्तियों से हटाए गए सीपीएस को दी गई सरकारी सुविधाओं और वेतन की भरपाई कौन करेगा? क्या मुख्यमंत्री अपनी जेब से यह रकम लौटाएंगे या फिर इन गलत नियुक्तियों के लिए जनता को ही कीमत चुकानी होगी?
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