Edited By Vijay, Updated: 13 Apr, 2023 12:25 AM

आज के इस आधुनिक युग में महिलाएं पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में साथ चल रही हैं। इसी कड़ी में कालका-शिमला हैरिटेज रेल मार्ग पर चलने वाली ट्रेन की पहली लोको पायलट बनने का गौरव दीप्ति मौंदेकर को प्राप्त हुआ है।
परवाणू (विकास): आज के इस आधुनिक युग में महिलाएं पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में साथ चल रही हैं। इसी कड़ी में कालका-शिमला हैरिटेज रेल मार्ग पर चलने वाली ट्रेन की पहली लोको पायलट बनने का गौरव दीप्ति मौंदेकर को प्राप्त हुआ है। 42 वर्षीय दीप्ति का जन्म छत्तीसगढ़ के रायपुर में हुआ। दीप्ति ने छत्तीसगढ़ से इलैक्ट्रिक इंजीनियरिंग की। वह शुरू से ही कुछ हटकर करना चाहती थीं। वह वर्ष 2006 में अंबाला रेलवे मंडल में पहली महिला लोको पायलट बनीं और जुलाई, 2020 में पदोन्नति पर नैरोगेज कालका-शिमला में 2 महीने की ट्रेनिंग लेकर कालका-शिमला मार्ग पर पहली लोको पायलट बनीं। दीप्ति ने आज की युवतियों को संदेश दिया कि महिलाएं अगर कुछ करने की ठान लें तो कोई कार्य मुश्किल नहीं होता, बस मन में कुछ कर गुजरने का जुनून होना चाहिए।
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