पूर्व पंचायत प्रधान की बहू ने जाली प्रमाण पत्र से हथियाई नौकरी, ऐसे हुआ पर्दाफाश

Edited By Punjab Kesari, Updated: 09 Dec, 2017 01:28 AM

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नादौन उपमंडल की एक पंचायत में जाली प्रमाण पत्र से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नौकरी हथियाने का मामला उजागर हुआ है।

नादौन: नादौन उपमंडल की एक पंचायत में जाली प्रमाण पत्र से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नौकरी हथियाने का मामला उजागर हुआ है। मामले का पर्दाफाश आर.टी.आई. कार्यकर्ता ओंकार चंद ने किया है। मामले के अनुसार वर्ष 2010 में उक्त पंचायत के प्रधान ने जाली प्रमाण पत्र तैयार कर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नौकरी प्राप्त करने के लिए अपनी बहू की मदद की। प्रधान ससुर ने बहू को नौकरी दिलाने के लिए सारे नियमों को ताक पर रख दिया। बिना पंचायत रिकार्ड में दर्ज करवाए ही बहू का अलग परिवार होने का प्रमाण पत्र जारी कर दिया। इस कार्य को करने में तत्कालीन पंचायत सचिव ने भी अपनी भूमिका निभाई तथा सत्यापन करके प्रमाण पत्र जारी कर दिया। 

साक्षात्कार के समय दिया जाली परिवार नकल का प्रमाण पत्र 
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के साक्षात्कार के समय बहू ने जाली परिवार नकल का प्रमाण पत्र जमा करवा दिया तथा उसे नौकरी भी मिल गई। करीब 7 साल से उक्त महिला आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रही है। मामले का पटाक्षेप तब हुआ जब आर.टी.आई. कार्यकर्ता ओंकार चंद ने देखा कि तत्कालीन प्रधान का परिवार तो एक साथ रहता है तथा उसकी बहू अलग नहीं रहती है। जानकारी लेने के लिए आर.टी.आई. मांगी गई तो पता चला कि जाली प्रमाण पत्र जारी कर नौकरी हथियाई गई है। पंचायत रिकार्ड में कहीं भी यह दर्ज नहीं है कि उसकी बहू अलग रहती है या उसका अलग से परिवार दर्ज है। मामले की जानकारी जिला पंचायत अधिकारी को दी गई जिस पर जिला पंचायत अधिकारी ने भी मामले की छानबीन करवाई तो मामला सही पाया गया। 

महिला को बर्खास्त करने का निर्देश जारी 
जिला पंचायत अधिकारी ने मामले की जानकारी संबंधित विभाग के निदेशक को भी दी तथा पूरे मामले की रिपोर्ट तथ्यों सहित सौंपी। निदेशक ने मामले पर कार्रवाई करते हुए जाली प्रमाण पत्र पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नौकरी पाने वाली महिला को बर्खास्त करने का निर्देश जारी किया है। वहीं आर.टी.आई. कार्यकर्ता ओंकार चंद ने विभाग से मामले में पुलिस में एफ.आई.आर. दर्ज करवाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अपात्र होकर जाली सर्टीफिकेट से नौकरी प्राप्त की गई तथा 7 साल से ज्यादा समय तक वेतन प्राप्त कर धोखाधड़ी की गई है। इस मामले में विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता पर उन्होंने संदेह व्यक्त किया है। 

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