वीरभद्र ने बिगड़ती अर्थव्यवस्था पर जताई चिंता, कहा-अब सामने आ रहे नोटबंदी और GST के दुष्प्रभाव

Edited By Vijay, Updated: 15 Sep, 2019 10:57 PM

ex cm virbhadra singh

पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने देश में बिगड़ती अर्थव्यवस्था पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि जी.डी.पी. का 4 फीसदी के आसपास पहुंच जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण व मंदी के दौर का परिचायक है।

शिमला: पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने देश में बिगड़ती अर्थव्यवस्था पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि जी.डी.पी. का 4 फीसदी के आसपास पहुंच जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण व मंदी के दौर का परिचायक है। उन्होंने इस बात पर भी गहरी चिंता व्यक्त की है कि टैक्सटाइल व ऑटोमोबाइल क्षेत्र बर्बादी के कगार पर आ खड़े हुए हैं और इन दोनों सैक्टरों से लाखों लोगों की छंटनी हो चुकी है और प्राइवेट सैक्टर में लगे लाखों लोगों की रोजी-रोटी पर तलवार लटक रही है। उन्होंने जारी बयान में कहा कि मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर की ग्रोथ सिर्फ 0.6 फीसदी रह जाना बेहद चिंतनीय है। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश को आर्थिक मंदी से उबारने की बजाय केंद्र सरकार व उनके मंत्री खुद ही अपनी पीठ थपथपा रहे हैं।

अपने पूरे राजनीतिक जीवन में आर्थिक मंदी का ऐसा दौर नहीं देखा

उन्होंने कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री वर्ष 2024-25 तक देश की अर्थव्यवस्था को 5 हजार अरब डॉलर तक ले जाने के सब्जबाग दिखा रहे हैं लेकिन दूसरी तरफ देश की अर्थव्यवस्था पाताल में जा रही है। उन्होंने कहा कि वह 56 साल से अधिक समय से राजनीति में सक्रिय हैं लेकिन अपने पूरे राजनीतिक जीवन में सरकार की गलत नीतियों के चलते देश में आर्थिक मंदी का ऐसा दौर नहीं देखा। उन्होंने कहा कि पहले आनन-फानन में लागू की गई नोटबंदी और बाद में तानाशाही तरीके से थोपी गई जी.एस.टी. ने देश के उद्योग व व्यापार जगत को तबाही के कगार पर खड़ा कर दिया है।

ऑटोमोबाइल सैक्टर में 3.5 लाख नौकरियां गईं

उन्होंने कहा कि ऑटोमोबाइल सैक्टर में 3.5 लाख नौकरियां जा चुकी हैं। इसी तरह असंगठित क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर लोग नौकरियां खो रहे हैं। सरकार युवाओं को रोजगार देना तो दूर रहा, प्राइवेट सैक्टर व असंगठित क्षेत्र से लोगों की हो रही छंटनी को भी नहीं रोक पा रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन और गलत नीतियों के कारण निवेशकों में उदासीनता है। किसानों को उनकी उपज के सही दाम नहीं मिल पा रहे हैं, इससे युवा वर्ग हताश व निराश है।

जनता को अंधेरे में रख रही केंद्र सरकार 

उन्होंने कहा कि देश में आर्थिक सुधारों की बुनियाद हिली हुई है। सरकार ने बिना किसी ठोस योजना के आर.बी.आई. से 1.76 लाख करोड़ रुपए लिए हैं और वित्त मंत्रालय के पास इन सवालों का कोई जवाब नहीं है कि सरकार इन पैसों का क्या करेगी। उन्होंने कहा नोटबंदी और जी.एस.टी. के दुष्प्रभाव अब सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार देश में अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत पर लगातार जनता को अंधेरे में रख रही है, जो अच्छी बात नहीं है।

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