सरकार में हम दो हमारे दो की संकीर्ण मानसिकता के चलते देश का भला संभव नहीं : विप्लव

Edited By Jinesh Kumar, Updated: 06 Jan, 2021 11:44 AM

due to the narrow mindset of our two in the government  viplav

केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार देश की जनता के लिए नहीं बल्कि कॉर्पोरेट घरानों की सेवा में कार्य कर रही है। सरकार के अंदर अप्रत्यक्ष रूप से संचालित हम दो हमारे दो नीति के रहते इस देश का कभी भला नहीं होने वाला है। कोई माने या न माने यह सच्च कि यह...

जसवां परागपुर (डी.सी.): केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार देश की जनता के लिए नहीं बल्कि कॉर्पोरेट घरानों की सेवा में कार्य कर रही है। सरकार के अंदर अप्रत्यक्ष रूप से संचालित हम दो हमारे दो नीति के रहते इस देश का कभी भला नहीं होने वाला है। कोई माने या न माने यह सच्च कि यह सरकार अपने पी.एम. मोदी और गृह मंत्री अमित शाह रूपी दो पहियों पर चल रही है और इस सरकार के आगे भलाई के कार्य करने के लिए भी देश नहीं प्रथमिकता में दो ही कारपोरेट घराने हैं। यह आरोप राज्य सभा से पूर्व सदस्य विप्लव ठाकुर ने 'पंजाब केसरी’ से बातचीत करते व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हमारा यह देश मुख्यत: किसान व जवान की ताकत से चलता है, लेकिन विडंबना आज यह है कि मोदी सरकार की नियत और नीतियों पर सेवा की बजाय सियासी स्वार्थ का रंग चढ़ा होने के कारण किसान-जवान दोनों देश की सुरक्षा के स्तम्भ हिले हुए हैं। कभी पुलवामा में जवान शहीद हो जाने और वर्तमान में जारी जन आंदोलन में सरकार की बेपरवाही से किसानों के शहीद होने की हृदय विदारक घटनाओं से देश को बार-बार रोना पड़ता है।

विप्लव ठाकुर ने मोदी सरकार से पूछा कि आप देश को यह स्पष्ट क्यों नहीं करते कि कृषि सुधार के नाम पर बनाए गए तीन कानून को किसान की मांग मुताबिक रद्द किस कारण नहीं कर रहे। कोई कहे कि मुझे कुछ भी खाना पीना नहीं है तो दूसरा कैसे उसके मुंह में जबरदस्ती कोई खाद्य पदार्थ ठूंस सकता है। सरकार बार-बार एक ही रट लगाए हुए है कि कानून किसानों के हित में हैं, लेकिन किसान कह रहा है कि हमें नहीं चाहिए भविष्य को उजाडऩे वाले यह कानून। तो ऐसे में सरकार संघर्षरत किसान के साथ  जबरदस्ती का रौव दिखाने पर क्यों तुली हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार को 'मैं न मानू’ वाला अपना चेहरा दिखाना यह दर्शाता है कि हम देश के लिए विशेष वर्गों के लिए सत्तासीन है। किसानों की इच्छा है कि कानूनों को रद्द किया जाए और सरकार उनकी मांग न मानने पर अपना जिद्दी मन बनाए बैठी है तो फिर लोग तो यह सही ही तो कह रहे हैं कि भाजपा के चेहरे वाली यह मोदी सरकार कारपोरेट घरानों के आगे बिक चुकी है।

उन्होंने किसानों के चल रहे जन आंदोलन पर अपनी यह चिंता व्यक्त की कि आज किसान ही नहीं जवान भी बराबर सरकार की बेरुखी से परेशान है। किसान अपना भविष्य बचाने के लिए मौसम की विपरीत परिस्थितियों में सरकार से जंग लड़ रहा है और दूसरी तरफ किसानों के ही बेटे देश की सीमाओं पर खड़े-खड़े अपने संघर्षरत परिवारों की चिंताओं में डूबे हुए हैं। सरकार के लिए यह कतई ठीक नहीं कि बह अपनी हठधर्मी के ऐसे व्यवहार से देश की दोनों बाजुओं किसान ब जवान को संकटमय परिस्थितियों में लाकर रखे।

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