RTI से खुलासा, 14 साल पहले जाली हस्ताक्षर की बलि चढ़ा दिया कर्मचारी

Edited By Vijay, Updated: 26 Feb, 2019 10:42 PM

disclosed by rti 14 years ago sacrifice of employee on fake signature

हिमाचल प्रदेश राज्य वन विकास निगम सीमित में तकरीबन 14 साल पहले यौन उत्पीडऩ के लिए मॉडल स्टैडिंग ऑर्डर नं.-130 के तैयार किए ड्राफ्ट में एक यूनियन के पदाधिकारी के जाली हस्ताक्षर कर एक दूसरी यूनियन के कर्मचारी को बलि चढ़ा दिया गया। इस मामले से पर्दा भी...

हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश राज्य वन विकास निगम सीमित में तकरीबन 14 साल पहले यौन उत्पीडऩ के लिए मॉडल स्टैडिंग ऑर्डर नं.-130 के तैयार किए ड्राफ्ट में एक यूनियन के पदाधिकारी के जाली हस्ताक्षर कर एक दूसरी यूनियन के कर्मचारी को बलि चढ़ा दिया गया। इस मामले से पर्दा भी तब उठा जब इतने साल बाद पीड़ित कर्मचारी ने आर.टी.आई. के तहत जानकारी ली, जिसमें पाया कि इस मॉडल स्टैंडिंग ऑर्डर के कर्मचारी यूनियनों व प्रबंधन के बीच संयुक्त ड्राफ्ट के ऊपर हुए हस्ताक्षर में एक कर्मचारी यूनियन पदाधिकारी के हस्ताक्षर ही जाली थे।

शिकायत के बाद बिठाई जांच में भी निगम में की लीपापोती

हालांकि इतने वर्षों में पीड़ित कर्मचारी व उसके परिवार को आर्थिक नुक्सान के साथ सामाजिक व मानसिक उत्पीडऩ सहन करना पड़ा, जिसकी भरपाई होना तो मुश्किल है लेकिन निगम में इस तरह की जालसाजी से हुए उनके नुक्सान पर अब यह संगीन मामला बनता नजर आ रहा है क्योंकि पीड़ित कर्मचारी ने इस मामले में जब निगम प्रबंधन को एफ.आई.आर. करवाने को लिखा तो निगम ने आनन-फानन में जांच बिठाकर मामले पर लीपापोती कर दी, जिस पर पीड़ित कर्मचारी अब इस मामले में स्वयं पुलिस में शिकायत दर्ज करने की तैयारी कर रहा है।

क्या था मॉडल स्टैंडिंग ऑर्डर और किसके हुए जाली हस्ताक्षर

वर्ष 2003 में वन निगम प्रबंधन द्वारा यौन उत्पीडऩ मामलों की जांच के लिए मॉडल स्टैंडिंग ऑर्डर नं.-130 का ड्राफ्ट बनाया गया, जिस पर वन निगम के तत्कालीन एम.डी., हि.प्र. राज्य वन निगम कर्मचारी महासंघ के प्रधान व इसी महासंघ की शिमला इकाई के महासचिव के हस्ताक्षर हुए। उस समय निगम प्रबंधन ने लेबर कमीशन से इसे सत्यापित करवाकर व 23 जून, 2004 में बी.ओ.डी. से अनुमोदित करवाकर अपने अधीनस्थ निदेशालय व मंडल स्तर के कार्यालयों को भी कार्रवाई के लिए सर्कुलेट किया। उसी दौरान इस ऑर्डर का हवाला देते हुए सर्विस बाई लॉज में संशोधन कर यौन उत्पीडऩ के एक तथाकथित मामले में वन निगम के एक कर्मचारी को भी बलि चढ़ा दिया गया जोकि भामसं के संघ का पदाधिकारी था। जब शिमला इकाई के महासचिव के हस्ताक्षर की आर.टी.आई. ली गई तो मालूम हुआ कि उसकी स्टैंप पर उनके हस्ताक्षर ही नहीं है तथा संबंधित स्टैंप पर जाली हस्ताक्षर हैं।

जांच कमेटी भी नहीं उठा पाई जाली हस्ताक्षरों से पर्दा

आर.टी.आई. से मालूम हुआ कि इस ऑर्डर नं.-130 पर खुलासा होने के बाद जब पीड़ित कर्मचारी ने इस मामले में निगम प्रबंधन को शिकायत भेजी तो निगम ने जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी गठित की लेकिन कमेटी भी यह पता नहीं लगा पाई कि हस्ताक्षर किसने किए हैं तथा जांच रिपोर्ट में यह लिखकर लीपापोती कर दी कि मॉडल स्टैंडिंग ऑर्डर पर जो हस्ताक्षर हुए हैं वह इसकी प्रति प्राप्त करने के लिए किए हैं जबकि यह ऑर्डर स्वयं पुष्टि कर रहा है कि यह प्रबंधन व महासचिव के बीच एग्रीमैंट हुआ है तथाशिकायतकत्र्ता ने अपनी शिकायत में शिमला बेसिड यूनियन के जाली हस्ताक्षर की जांच मांगी थी।

मामला काफी पुराना, खंगाला जाएगा रिकॉर्ड

हि.प्र. राज्य वन विकास निगम सीमित शिमला के कार्यकारी निदेशक के.एस. ठाकुर ने कहा कि मामला काफी पुराना है, जिसके बारे में मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है, फिर भी इस मामले में अभी कोई जांच हुई है तो रिकॉर्ड खंगाला जाएगा।

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