शिवरात्रि महोत्सव में दशकों बाद देखने को मिला अद्भुत 'देव खेल' (Watch Pics)

Edited By Ekta, Updated: 10 Mar, 2019 04:10 PM

dev khel

हिमाचल प्रदेश की प्राचीन देव संस्कृति का अपना एक स्मृद्ध इतिहास है। इसी देव संस्कृति का एक अहम हिस्सा है ’’देव खेल’’। ''देव खेल'' की सदियों पुरानी परंपरा इस बार के शिवरात्रि महोत्सव में देखने को मिली। मंडी जिला प्रशासन और देव समाज के प्रयासों से इस...

मंडी (नीरज): हिमाचल प्रदेश की प्राचीन देव संस्कृति का अपना एक स्मृद्ध इतिहास है। इसी देव संस्कृति का एक अहम हिस्सा है ’’देव खेल’’। 'देव खेल' की सदियों पुरानी परंपरा इस बार के शिवरात्रि महोत्सव में देखने को मिली। मंडी जिला प्रशासन और देव समाज के प्रयासों से इस देव खेल का आयोजन हो सका। इसका अधिक प्रचलन मंडी जिला की चौहारघाटी में है। यहां देव हुरंग नारायण को अराध्य देव माना जाता है और यह देव खेल इनके आहवान पर ही होती है। मंडी में सदियों से मनाए जाने वाले शिवरात्रि महोत्सव में देव खेल का आयोजन होता था। लेकिन जब राजाओं के राज समाप्त हुए और बागडोर प्रशासन के हाथों में आई तो देव खेल की परंपरा भी बंद हो गई।
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इस बार मंडी जिला प्रशासन और देव समाज ने मिलकर इस परंपरा को शुरू करने का निर्णय लिया। रविवार को मंडी शहर के ऐतिहासिक सेरी मंच पर इस देव खेल का आयोजन किया गया, जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ सेरी मंच पर पहुंची। देव खेल में देव हुरंग नारायण को मुख्य पुजारी विधिवत पूजा-अर्चना करने के बाद देवता की शक्तियों का आह्वान करता है। मंडी में देव खेल के प्रदर्शन के दौरान देव हुरंग नारायण के पुजारी राम लाल ने इस परंपरा का निर्वहन किया। इस दौरान राम लाल ने अपने हाथ में छोटी कुल्हाड़ी भी पकड़ी और अपने शरीर पर उससे वार भी किए, लेकिन राम लाल को कोई चोट नहीं आई। राम लाल ने बताया कि जब यह सारी प्रक्रिया होती है तो उसे कुछ भी याद नहीं रहता। यह सब देवता के आदेश और आशीवार्द से ही संभव होता है।
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उन्होंने बताया कि देव खेल से जहां इलाके को सुरक्षा का कवच मिलता है वहीं मौके पर मौजूद लोग यदि कोई मनोकामना मांगते हैं तो उसकी पूर्ति भी होती है। देव खेल में हालांकि अन्य देवी-देवताओं के पुजारी भी शामिल हुए लेकिन सिर्फ देव हुरंग नारायण के पुजारी ने ही इस परंपरा का निर्वहन किया। बाकी पुजारी अपनी जटाओं से अपने मुहं को ढंकते हुए दिखाई दिए। जब इस बारे में हमने पता किया तो मालूम हुआ कि देव खेल के दौरान किसी भी पुजारी को बात करने की अनुमति नहीं होती, इसलिए सभी अपना मुहं बंद रखते हैं। इसकी इस परंपरा को देखने के लिए लोग भी बड़ी संख्या में पहुंचे। यह पहला मौका था जब लोगों को इस प्राचीन संस्कृति को अपनी आंखों से देखने का अवसर मिला। कहा जा रहा है कि अब हर शिवरात्रि महोत्सव में देव खेल का प्रदर्शन किया जाएगा।
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