कुल्लू में डेढ़ सप्ताह तक नहीं होंगे देव कारज, जानिए क्यों

Edited By Punjab Kesari, Updated: 01 Oct, 2017 10:55 PM

dev karaj will not be one week and a half in kullu  know why

जिला कुल्लू के कई इलाकों में करीब डेढ़ सप्ताह से भी अधिक समय तक देव कारज नहीं होंगे। इस अवधि में देव कारजों पर विराम रहेगा।

कुल्लू: जिला कुल्लू के कई इलाकों में करीब डेढ़ सप्ताह से भी अधिक समय तक देव कारज नहीं होंगे। इस अवधि में देव कारजों पर विराम रहेगा। दशहरा उत्सव के कारण अन्य देव कारज नहीं निपटाए जाएंगे। सिराज और बाह्य सिराज के कई देवी-देवताओं को दशहरा उत्सव के बाद अपने देवालय पहुंचने में एक सप्ताह का समय लग जाएगा। देवी-देवताओं के हारियान क्षेत्र में न होने के कारण कोई और निमंत्रण देवी-देवता स्वीकार नहीं कर रहे हैं। कई जगहों पर मांगलिक कार्य घरों में हो रहे हैं लेकिन वहां देवी-देवताओं के निशान के तौर पर घंटी या त्रिशूल आदि भेजे जा रहे हैं।

किसी के घर नहीं जा पाएंगे देवरथ
दशहरा उत्सव में देवी-देवताओं की मौजूदगी की वजह से देवरथ किसी के घर नहीं जा पाएंगे। दशहरा उत्सव के कारण लोगों ने गृह प्रतिष्ठा जैसे कारज को आगे खिसका दिया है। जब देवी-देवता दशहरा उत्सव के बाद अपने हारियान क्षेत्र या देवालय में पहुंचेंगे तो उसके बाद ही वे अपने घर में देवता को बुलाएंगे। कुल्लू शहर व इसके आसपास कई लोग ऐसे भी हैं जो सराज, बाह््य सराज या जिले की ऊझी, पार्वती, खराहल व मरहाजा सहित अन्य घाटियों से आकर बसे हैं। उत्सव में बढ़ती भीड़ को देखते हुए पुलिस ने सुरक्षा घेरा कसा हुआ है। उत्सव में पहरा दे रहे 1600 के करीब जवान लगातार गश्त पर हैं। इस बार दशहरा उत्सव में भीड़ अधिक है।

रघुनाथ जी के दर्शन को लगी कतारें
अधिष्ठाता रघुनाथ जी के अस्थायी शिविर में दर्शन करने के लिए भारी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं जहां कड़े सुरक्षा प्रबंधों के बीच लोग प्रवेश कर रहे हैं। कई देवी देवता भी रघुनाथ जी के समक्ष माथा टेकने पहुंच रहे हैं। उत्सव के अंतिम दिन रघुनाथ जी की रथ यात्रा अस्थायी शिविर से लंका बेकर तक होगी। लंका दहन के प्रतीक के तौर पर लंका बेकर में बलि के साथ-साथ सूखी झाडिय़ों को एकत्रित करके उनमें आग लगाई जाएगी। उत्सव में लोग तो अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलते ही हैं उसी प्रकार देवी देवता भी उत्सव में रिश्तेदारी निभाते हैं। उत्सव में श्रृंगा ऋषि, गागाचार्य सहित अन्य ऋषियों के रथ भी पहुंचे हैं। पंडित प्रदीप शर्मा, नेत्र प्रकाश शर्मा, राम लाल शास्त्री सहित अन्य लोगों का कहना है कि उत्सव में देवी-देवताओं का भव्य मिलन भी होता है।

ढालपुर में निकली नृृसिंह की जलेब
वहीं लोगों के दुखों का निवारण करने के लिए देव समागम कुल्लू दशहरा में वर्षों से निकलने वाली भगवान नृसिंह जी की प्रतिकात्मक जलेब वीरवार को आरंभ हो गई है। राजा रूपी के अस्थायी शिविर से 5 दिनों तक निकलने वाली इस जलेब का शुभारंभ हुआ। देवता नृसिंह की जलेब में राज परिवार के मुखिया व भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने वर्षों से चली आ रही परंपरा का निर्वाह किया। जलेब ढालपुर से आरंभ होकर राजा की चानणी के पास समाप्त हुई। परंपरा के अनुरूप पहले दिन जलेब में महाराजा कोठी के पीज क्षेत्र के जमलु ऋषि तथा कोट कंडी के वीर का बाजा विशेष रूप से साथ चला।

8 देवताओं ने की शिरकत
इसके अलावा जलेब में देवता व्यास ऋषि, सीस के देवता जमदग्नि ऋषि, उड़सू के जमलू, आनी के भृगु ऋषि, मनीहार के गौतम ऋषि, रैला व गाड़ापारली के देवता खोड़ू सहित कुल 8 देवताओं ने अपने हारियानों के साथ शिरकत की। अंतर्राष्ट्रीय दशहरा उत्सव के प्रथम दिन जलेब में देवता कैलावीर लोट पीज, देवता जमदग्रि पीज, देवता हुरगू नारायण जौंगा महाराजा, देवता वीर कैला कमांद महाराजा, देवता गौहरी जौंगा कमांद, देवता बराधी वीर खलियाणी, देवता जमलू गड़सा हुरसू, देवता गौतम ऋषि हुरसू मनिहार देवताओं ने भाग लेकर जलेब की शोभा बढ़ाई।

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