हाल-ए-हिमाचल: बीजेपी में विवाद शुभ संकेत नहीं

Edited By Ekta, Updated: 22 Jul, 2019 01:27 PM

controversy in bjp not auspicious

डेढ़ साल से शांत चल रही हिमाचल बीजेपी में एक बार फिर से हलचल दिखाई दे रही है। कहीं मंडल विधायक पर मनमर्जी से काम करने के आरोप लगा रहे हैं तो कहीं नेता मंडल पर उनकी अनदेखी करने की बात कह रहे हैं। हाल ही में बीजेपी महिला मोर्चा की अध्यक्षा इंदु...

शिमला (संकुश): डेढ़ साल से शांत चल रही हिमाचल बीजेपी में एक बार फिर से हलचल दिखाई दे रही है। कहीं मंडल विधायक पर मनमर्जी से काम करने के आरोप लगा रहे हैं तो कहीं नेता मंडल पर उनकी अनदेखी करने की बात कह रहे हैं। हाल ही में बीजेपी महिला मोर्चा की अध्यक्षा इंदु गोस्वामी के इस्तीफे के बाद बीजेपी की यह भीतरी हलचल सतह पर तैर गई है। इंदु गोस्वामी के इस्तीफे की भाषा साफ कह रही है कि वे शीर्ष नेतृत्व से संतुष्ट नहीं थीं और उन्हें लग रहा था कि शीर्ष नेतृत्व उनकी अनदेखी कर रहा है। शीर्ष नेतृत्व यानी बीजेपी अध्यक्ष सतपाल सिंह ने उनका इस्तीफ़ा स्वीकार करके धनेश्वरी ठाकुर को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है। हालांकि यह फौरी नियुक्ति यह दर्शाने के लिए ही की गई लगती है कि सब ठीक है लेकिन जिस तरह से एकदम से इस्तीफा स्वीकार हुआ है वह कई सवाल भी खड़े करता है। ऊपर से धनेश्वरी ठाकुर की नियुक्ति भी सवालों के घेरे में है। धनेश्वरी ठाकुर की संगठन के प्रति समर्पिता पर कोई प्रश्न नहीं है। वे लम्बे समय से संगठन के लिए काम कर रही हैं लेकिन एक ही परिवार से महिला मोर्चा अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री होना अब चर्चाओं को जन्म दे रहा है।

धनेश्वरी ठाकुर गोबिंद ठाकुर की बहन हैं। गोबिंद ठाकुर पहले से ही अपनी कार्यशैली को लेकर चर्चित हैं। ऐसे में महिला मोर्चा की कमान धनेश्वरी ठाकुर को देना क्या यह नहीं दर्शाता की मौजूदा टीम के पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं ??? खैर यहां ज्यादा चर्चा सतपाल सत्ती की ही हो रही है। जिस अध्यक्ष ने विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव में दिन रात काम करके पार्टी को एक मुकाम दिलवाने को दिन रात पसीना बहाया उसका जाते जाते यूं आक्षेपों में घिरना समझ से परे है। चुनाव के बीच में जब उनके बोल बिगड़े थे तब वे लाइम लाइट में आये थे। बातचीत करने के सीधे और स्पष्ट अंदाज़ के चलते उनपर अक्सर मुंहफट होने के आरोप लगते रहे हैं। लेकिन अधिकांश समय इसे उनका स्वभाव मानकर नजरअंदाज किया जाता रहा है। आम धारणा यही है कि वे स्पष्टवादी हैं और संगठन के प्रति समर्पण को लेकर उनपर कोई प्रश्न नहीं है।

ऐसे में अब जब उनकी जगह नए अध्यक्ष की तलाश शुरू हो चुकी है और संगठन चुनाव प्रक्रिया से गुज़र रहा है तो उनपर इस तरह के आक्षेप कई चिंताओं को जन्म देते हैं। तो क्या जयराम युग में बीजेपी में अब एक और गुट पैदा हो रहा है ??/ यदि हां तो उसका बीज कौन बो रहा है ?? क्या इंदु गोस्वामी के इस्तीफे के बहाने बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष के पद को लेकर कोई बिसात बिछाई जा रही है ??? यह प्रश्न फिलहाल भले हवा में तीर हो लेकिन कोई यक्ष प्रश्न तो है नहीं जिसका जवाब बूझना और सूझना दुष्कर है। तो क्या नई टीम को सही रास्ता नहीं पता चल रहे और उसे जहां भी समतल दिख रहा है वे वहां दौड़ लगा रहे हैं ?? बिना किसी लक्ष्य के ?? या फिर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के शांत और सौम्य स्वभाव की ढाल में कुछ चीजें ऐसी पक रही हैं जो वास्तव में अवांछित हैं ?? हिमाचल में कांग्रेस नेताओं के मनमुटाव का खमियाज़ा भुगत रही है और भरी बरसात में सूखा रोग से परेशान है। ऐसे में जाहिर है कि बीजेपी में भी ऐसा होगा और बढ़ेगा तो यह शुभ संकेत नहीं है।

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