अपने 'हक' के लिए प्रिंसिपल संग सड़कों पर उतरे छात्र, देर रात प्रशासन से मिला ये आश्वासन(Video)

Edited By Ekta, Updated: 05 Oct, 2018 03:08 PM

चंबा जिले के जनजातीय क्षेत्र पांगी स्थित महाविद्यालय में साइंस के छात्रों को चंबा कॉलेज में शिफ्ट करने के सरकार के फरमान के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन देर रात नौ बजे तक चला। छात्र-छात्राएं किलाड बस स्टैंड के पास बीच सड़क धरने पर बैठे रहे और चक्का जाम...

चंबा (मोहम्मद आशिक): चंबा जिले के जनजातीय क्षेत्र पांगी स्थित महाविद्यालय में साइंस के छात्रों को चंबा कॉलेज में शिफ्ट करने के सरकार के फरमान के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन देर रात नौ बजे तक चला। छात्र-छात्राएं किलाड बस स्टैंड के पास बीच सड़क धरने पर बैठे रहे और चक्का जाम किया। इस बीच प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस के जवान भी मौके पर डटे रहे। प्रशासन ने तीन दिनों के भीतर बच्चों की मांग को प्रदेश सरकार के समक्ष हल करवाने का आश्वासन दिया है, जिसके बाद विद्यार्थी सड़क से उठे। लिहाजा विद्यार्थियों ने साफ किया है कि सोमवार तक उनकी समस्या का हल नहीं होता है तो वह फिर से आंदोलन की राह पर चलने के लिए मजबूर हो जाएंगे। 

बता दें कि प्रदेश सरकार ने पांगी महाविद्यालय में पढ़ रहे विज्ञान संकाय के 11 छात्रों को चंबा शिफ्ट करने का फरमान जारी किया है। इससे पहले चंबा कॉलेज से चार प्रोफेसरों को 15 दिनों की प्रतिनियुक्ति पर पांगी भेजने के आदेश सरकार ने जारी किए थे, लेकिन अचानक सरकार ने इन आदेशों को रद्द करते हुए बच्चों को ही चंबा कॉलेज शिफ्ट करने के आदेश जारी कर दिए। जिसके चलते विद्यार्थियों समेत अभिभावकों भी गुस्से में हैं। इस बीच देर रात 9 बजे तक विद्यार्थियों का धरना प्रदर्शन जारी रहा। मामले में पांगी कॉलेज के प्रिंसीपल डॉ. विपिन राठौर ने हस्तक्षेप करते हुए बच्चों को भरोसा दिलाया कि उनकी मांगों को सरकार के समक्ष रखा जा रहा है और आश्वासन दिया कि जल्द इन पर कार्रवाई होगी। 

एसडीएम डी. भारती पांगी के आश्वासन के बाद आंदोलन को फिलहाल स्थगित कर दिया है, लिहाजा अगर सोमवार तक उनकी मांग को नहीं माना जाता तो यहां फिर से वह आंदोलन करेंगें। विद्यार्थियों के चक्का जाम के दौरान डिग्री कॉलेज पांगी के प्रिंसीपल डॉ. विपिन राठौर ने प्रदेश सरकार के समक्ष कई सवाल दागे। उन्होंने कहा कि सरकार ने चार प्रोफेसरों को प्रतिनियुक्ति पर पांगी भेजने के आदेश दिए थे। इन प्रध्यापकों ने अपने राजनीतिक रसूख दिखाते हुए आदेशों को रद्द करवा लिया और हवाला दिया कि 10 बच्चों के लिए हजारों की पढ़ाई बाधित नहीं की जा सकती। उन्होंने सवाल उठाया कि वह अपने विद्यार्थियों को वाया किश्तवाड चंबा क्यों भेजें, अगर कोई दुर्घटना होती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। उन्होंने कहा कि वह प्रदेश के इकलौते ऐसे कॉलेज के प्रिंसीपल हैं, जो अपने विषयों को दो वर्षो से खुद पढ़ा रहे हैं। सरकार से उन्होंने पूछा कि पिछले 20 सालों से चंबा कॉलेज में ही डटे प्रध्यापकों की लंबे समय से तबादला क्यों नहीं हुआ। उन्होंने बच्चों की मांगों को जायज करार देते हुए कहा कि बच्चों की आवाज को उठाना कोई जुर्म नहीं है। 

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