गुज्जर के कोठे में पढऩे को मजबूर नौनिहाल, स्मार्ट तो दूर क्लास रूम तक नहीं

Edited By Kuldeep, Updated: 02 Mar, 2020 06:44 PM

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सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लास रूम व अन्य अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करवाने के सरकार द्वारा बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन जिला चम्बा में एक ऐसा भी स्कूल है जहां स्मार्ट तो दूर क्लास रूम तक नहीं हैं।

चम्बा, (काकू चौहान): सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लास रूम व अन्य अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करवाने के सरकार द्वारा बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन जिला चम्बा में एक ऐसा भी स्कूल है जहां स्मार्ट तो दूर क्लास रूम तक नहीं हैं। खुले आसमान तले ऊबड़-खाबड़ जमीन पर बैठकर विद्यार्थी पढ़ाई करने को विवश हैं। इससे सरकार के दावों की पोल खुलकर सामने आ रही है। बात हो रही है जिला के चुराह उपमंडल में स्थित प्राइमरी स्कूल कंगेला की। यह स्कूल एक गुज्जर के कोठे में चल रहा है। स्कूल में करीब 70 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं लेकिन उनके लिए न तो कोई क्लास रूम है और न ही पठन-पाठन की उचित सामग्री। बच्चे कोठे के बाहर टाट पट्टी बिछाकर बैठ जाते हैं। धूप से बचने के लिए बारी-बारी कोठे का आश्रय ले लेते हैं और बरामदे में चले जाते हैं। बरामदे में जगह कम है इसके चलते एक साथ इतने बच्चेे वहां नहीं बैठ पाते। जिसे ज्यादा गर्मी लगे वह कोठे के नीचे जाकर पढ़ाई करते हैं। शेष बच्चे कोठे के बाहर ऊबड़-खाबड़ जमीन पर पढ़ाई करते हैं।

बारिश में बच्चों को बिठाना मुश्किल हो जाता है

 बारिश होने पर समस्या अधिक बढ़ जाती है। जगह के अभाव में बच्चों को बिठाना मुश्किल हो जाता है और मजबूरन छुट्टी कर घर भेजना पड़ता है। वैसे तो स्कूल की व्यवस्था को देखकर पहले ही अभिभावक खराब मौसम में अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते हैं लेकिन अचानक बारिश हो जाए तो छुट्टी करनी पड़ती है। 1 अगस्त, 2019 को इस स्कूल के भवन पर पहाड़ी दरकने से मलबा आ गया था। इससे स्कूल भवन क्षतिग्रस्त हो गया है। उस दौरान एसडीएम तीसा व लोक निर्माण विभाग के एसडीओ सहित अन्य विभागीय अधिकारियों ने ज्वाइंट इंस्पैक्शन की थी और स्कूल को अनसेफ घोषित कर दिया था। इसके बाद स्कूल को गुज्जर के कोठे में शिफ्ट कर दिया गया। तब से यह स्कूल इस कोठे में ही चल रहा है। मौजूदा समय में स्कूल में 4 शिक्षक तैनात हैं। इनमें हैडमास्टर समेत 3 जेबीटी और एक एनआरएसटी शामिल है। ये शिक्षक भी कोठे के बाहर कुर्सी लगाकर विद्यार्थियों को पढ़ाने को मजबूर हैं।

जगह विभाग के नाम, नहीं मिला अब तक फंड

एसएमसी व पंचायत द्वारा नए स्कूल भवन के लिए प्रस्ताव पारित किए हैं। यही नहीं भवन निर्माण के लिए जगह चिन्हित कर ली है। जमीन को शिक्षा विभाग के नाम भी ट्रांसफर कर दिया गया है, लेकिन प्रशासन द्वारा अब तक बजट का प्रबंध नहीं किया गया। बजट के लिए भी प्रशासन को प्रस्ताव भेजे गए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे नए स्कूल भवन का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है और बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है।

कोठे को खाली करने के आदेश, कहां जाएंगे बच्चे

गुज्जरों के कोठे को सिर्फ दो माह के लिए उधार लिया गया था। उस दौरान गुज्जर अपने मवेशियों को लेकर पहाड़ों की ओर निकल गए थे। इसके चलते कोठे खाली पड़े हुए थे, लेकिन अब गुज्जर वापस आ गए हैं और उन्होंने शिक्षा विभाग को कोठे को खाली करने को कहा है। ऐसे में विद्यार्थियों के भविष्य पर तलवार लटक गई है। यही नहीं स्कूल का कुछ सामान स्थानीय लोगों के घरों में यहां-वहां पड़ा हुआ है। अब ग्रामीण सामान भी उठाने की बात कर रहे हैं।

गांव में पक रहा मिड-डे मील

बच्चों के लिए मिड-डे मील गांव में तैयार करना पड़ रहा है। इसके लिए एक स्थानीय निवासी ने निर्माणाधीन कमरा उधार दिया है जहां मि-डे मील वर्कर खाना तैयार करती है। मिड-डे मील के लिए भी उचित व्यवस्था न होने से विद्याॢथयों व स्टाफ को मुश्किलें उठानी पड़ रही हंै।

ऐसे में बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है

एसएमसी प्रधान महबूब का कहना है कि पिछले शैक्षणिक सत्र में स्कूल क्षतिग्रस्त हुआ था। अब नया सत्र शुरू हो गया, लेकिन न तो स्कूल के लिए किसी सरकारी भवन की व्यवस्था की गई न ही नए भवन का निर्माण शुरू हुआ है। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है। गुज्जरों के कोठे में सिर्फ साफ मौसम में ही बच्चे पढ़ाई कर पाते हैं बारिश होने पर यहां पढ़ाई नहीं हो पाती। प्रशासन व विभाग जल्द नए भवन की व्यवस्था करे। उपनिदेशक प्रारंभिक शिक्षा फौजा सिंह का कहना है कि स्कूल की वर्तमान स्थिति के बारे में संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी से जानकारी ली जाएगी और आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

 

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