स्वां नदी में रेत की कालाबाजारी, खनन माफिया हो रहा मालामाल

Edited By kirti, Updated: 29 Dec, 2019 04:12 PM

black marketing of sand in swan river

न कोई रोक न कोई बाधा। स्वां नदी में रेत की कालाबाजारी के जरिए मालामाल होने का खुला धंधा चल रहा है। नियम कहते हैं कि खनन के लिए किसी प्रकार की मशीनरी का प्रयोग नहीं होना चाहिए। हकीकत यह कि दिन में ही 6 जे.सी.बी. मशीनें दर्जनों टिप्परों को भरने में...

ऊना (सुरेन्द्र): न कोई रोक न कोई बाधा। स्वां नदी में रेत की कालाबाजारी के जरिए मालामाल होने का खुला धंधा चल रहा है। नियम कहते हैं कि खनन के लिए किसी प्रकार की मशीनरी का प्रयोग नहीं होना चाहिए। हकीकत यह कि दिन में ही 6 जे.सी.बी. मशीनें दर्जनों टिप्परों को भरने में जुटी हुई हैं। न कोई पुलिस न और न कहीं माइनिंग विभाग का कोई दखल। लगता है कि खनन माफिया पूरी व्यवस्था पर हावी हो चुका है। रेत के इस कारोबार में कई लोग खुलकर मौज उठा रहे हैं। खनन कारोबार इतना पनपा है कि देखते ही देखते लोग कुछ ही दिनों में मालामाल हो रहे हैं।

टिप्परों में मशीनों के जरिए रेत और बजरी को भरकर प्रदेश के बाहर भेजा जा रहा है। हालत यह है कि कुछ लोग बार्डर पार करवाने की जिम्मेदारी लेकर मोटी राशि वसूल रहे हैं। आखिर सवाल यह है कि व्यवस्था कहां है। खनन का यह खुला खेल किसके संरक्षण में चल रहा है। किसने जे.सी.बी. मशीनें स्वां नदी में लगाने की अनुमति दी है। रविवार को जब बसाल के क्षेत्र में हकीकत देखी गई तो यह हैरान करने वाली थी। यहां दर्जनों टिप्परों की लाइन और एक साथ 6 जे.सी.बी मशीनें खनन में लगी हुई थी। रखवाली के लिए एक पूरी टीम बड़ी-बड़ी गाडिय़ों में मौजूद थी। किसी की क्या हिम्मत कि इन मशीनों को खनन से रोक पाए। जिला मुख्यालय से कुछ ही दूरी पर स्थित बसाल खनन का सबसे बड़ा अड्डा बन चुका है।

रेत की खान मानों लोगों को मालामाल करने के लिए बनी हुई हो। यहां बेखौफ दिन-रात मशीनें दनदनाती हैं। कुछ लोगों की एक चेन बनी हुई है जो इसी कारोबार को अंजाम दे रहे हैं। सवाल यह है कि एजैंसियां कहां हैं। कायदे कानून को दरकिनार कर खनन की अनुमति क्यों दी गई है। कहां हैं खनन पर नजर रखने वाला विभाग।
यूं तो खनन पर नजर रखने के लिए 26 विभागों के अधिकारियों को अधिकृत किया गया है लेकिन मौके पर किसी की मौजूदगी नहीं। अंधाधुंध खनन ने प्रकृति को ही खतरे में डाल दिया है। स्वां नदी पर करोड़ों रुपए की लागत से लगा तटबांध खतरे में है। कई पेयजल और सिंचाई योजनाएं भी संकट में हैं। आखिर कौन है इसका कसूरबार। क्षेत्र के किसानों की मानें तो वह कई बार मामले को उठा चुके हैं।

उनके खेतों में लगी सिंचाई योजनाएं हांफने लगी हैं। अंधाधुंध खनन की वजह से पानी का तल नीचे सरकने लगा है। पूरे क्षेत्र में दिन रात टिप्परों और जे.सी.बी. मशीनों की दनदनाहट थमने का नाम नहीं लेती है। जब भी खनन पर नजर रखने के लिए गठित किए गए खनिज विभाग से इस संबंध में पूछा जाता है तो एक ही रटा रटाया जवाब मिलता है कि विभाग कार्रवाई में जुटा है। कई मशीनें जब्त की गई हैं और टिप्परों पर कार्रवाई की गई है। एस.पी. दिवाकर शर्मा कहते हैं कि पुलिस 500 से अधिक टिप्परों को जब्त कर चुकी है। कई जे.सी.बी. मशीनें भी जब्त कर उनके खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई गई है। पुलिस लगातार कार्रवाई में जुटी हुई है।

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