Himachal: विकलांग चुंहकू राम का नहीं कोई सहारा, पति-पत्नी व बच्चों के पास न रहने को मकान न खाने को रोटी

Edited By Kuldeep, Updated: 26 May, 2025 07:12 PM

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घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत तियूण खास के गांव तियूण (गढ़) निवासी अपंग चुंहकू राम व उसकी पत्नी भागा देवी की हालत गरीबी व हालात की मार के चलते बेहद दयनीय हो चुकी है।

बिलासपुर (विशाल): घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत तियूण खास के गांव तियूण (गढ़) निवासी अपंग चुंहकू राम व उसकी पत्नी भागा देवी की हालत गरीबी व हालात की मार के चलते बेहद दयनीय हो चुकी है। दुर्घटना में अपनी एक टांग खोकर 80 प्रतिशत विकलांग हो चुके चुंहकू राम व उसकी पत्नी भागां देवी की हालत यह है कि इस वृद्ध दंपति के पास न रहने को मकान है न खाने को रोटी व न ही इलाज के लिए पैसे हैं। दूसरों के रहमो-करम पर जी रहा यह दंपति कैसे न कैसे बस वक्त काट रहा है। इस दंपति को इंसानों की तरह जीने के लिए सरकारी सहायता की बेहद दरकार है लेकिन इस दंपति की किस्मत व हमारा सिस्टम ही कुछ ऐसा है कि इनकी इतनी बुरी हालत के बावजूद भी प्रशासन या सरकार इनकी मदद नहीं कर रहा।

चुंहकू की जुबानी, यह है उसकी जिंदगी की दयनीय कहानी
अपनी गरीबी से जंग लड़ते हुए जब चुंहकू राम सिली-सोलन में ठेकेदार के पास रेत निकालने वाली खान में मजदूरी कर रहा था तो खान से एक पत्थर छूट कर उसकी टांग पर आ गिरा। पीजीआई में इलाज के दौरान घायल चुंहकू राम की एक टांग काटनी पड़ी। चुंहकू राम की मजदूरी का काम तो छूट गया। खुद की व पति की रोटी का जुगाड़ करने व छोटे-छोटे बच्चों को पालने के लिए चुंहकू राम की पत्नी भागा देवी अब लोगों के घरों में दिहाड़ी लगाने लगी।

घर में बुजुर्गों के द्वारा बनाए गए कच्चे घर की ऊपरी मंजिल का एक कमरा चुंहकू राम के हिस्से में आया। कच्चे मकान के ऊपर वाले हिस्से में आना-जाना अपंग चुंहकू राम के लिए मुश्किल था। आखिर ग्राम पंचायत के द्वारा वर्ष 2007 में उन्हें मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 2 कमरे का घर दिया गया, जिस घर में उसका परिवार रहने लगा। दुर्भाग्य से वर्ष 2023 में प्रदेश में हुई भारी बारिश के कहर से गरीब चुंहकू का घर भी नहीं बच पाया। इस प्राकृतिक आपदा से चुंहकू राम का घर गिर गया। पटवार हलका ने सारे नुक्सान का जायजा लिया और सरकारी मदद का आश्वासन भी दिया लेकिन इस परिवार को आज तक कोई मदद नहीं मिल पाई।

जिला प्रशासन की ओर से आपात स्थिति में फौरी राहत के नाम पर दी जाने वाली तिरपाल तक भी चुंहकू राम को नहीं मिली। गांव के ही किसी मददगार ने इस परिवार को अपना तिरपाल दिया व गांव के पंचायत सदस्य मक्खन सिंह के खेत में तिरपाल का तंबू लगाकर इस परिवार ने अपना सिर ढका। बाद में ग्रामीणों की मदद से अपने गिरे हुए मकान की टीन को इकट्ठा कर उसका खोखा जैसा बनाया फिर उसके अंदर अपंग चुंहकू की चारपाई लगाई गई। उस छोटे से खोखे में रहना मुश्किल हुआ तो गांव के ही मददगार रूप लाल ने अपना एक कमरा उन्हें रहने के लिए दिया व उसी कमरे में आजकल चुंहकू राम का परिवार रह रहा है। चुंहकू राम व उसकी पत्नी भागा देवी के सिर पर आई आपदा अभी टली नहीं थी कि कुछ दिन बाद चुंहकू राम बीमार हो गया और सांस का मरीज बन गया।

उसे लगातार ऑक्सीजन की जरूरत पड़ने लगी तो इस दंपति के पास पैसे नहीं थे। स्थानीय लोगों ने एम्बुलैंस का इंतजाम कर उसे आईजीएमसी शिमला पहुंचाया। चुंहकू राम की जान तो बच गई लेकिन वक्त, हालात व गरीबी की मार से इस परिवार की हालत बहुत ही ज्यादा दयनीय हो चुकी है। अब चुहकू राम के दोनों बच्चे वक्त व हालात की मार सहते-सहते बड़े हो चुके हैं व दिहाड़ी लगाते हैं लेकिन फिर भी अभी इस परिवार को मानवीय स्तर पर बहुत ज्यादा मदद की जरूरत है।

अध्यक्ष जिला विश्वकर्मी सभा रमेश कौंडल का कहना है कि सरकार और जिला प्रशासन से मांग है कि वह चुंहकू राम के घर व हालातों का मौके पर पहुंच कर निरीक्षण करें तथा इस परिवार को तुरंत वे सब आर्थिक लाभ व सरकारी योजनाओं के लाभ दिए जाएं जो इस परिवार को मानव जीवन के न्यूनतम मापदंडों के अनुसार ढंग से जीने लायक बना सकें। इस बात की भी जांच हो कि आखिर आज तक इस परिवार को क्यों यथोचित मदद नहीं मिल पाई।

प्रधान तियूण खास पंचायत रूप लाल का कहना है कि चुंहकू राम के परिवार को बीपीएल सूची में डाला गया है। इस परिवार की पंचायत अपने स्तर पर मदद करने की कोशिश कर रही है। जिला प्रशासन व राजनेताओं से आग्रह है कि चुंहकू राम के परिवार की नियमों से बाहर जाकर भी मदद करें क्योंकि मुसीबत के मारे इस परिवार को मदद की जरूरत है।

 

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