ऊना में सामने आया जीएसटी का सबसे बड़ा घोटाला, 30 करोड़ से अधिक की रिकवरी

Edited By prashant sharma, Updated: 23 Apr, 2021 05:02 PM

biggest scam of gst revealed in una recovery of more than 30 crores

हिमाचल प्रदेश में ऊना जिले में फर्जी कंपनी बनाकर जीएसटी का घोटाला किए जाने का मामला सामने आया है। मामले में अब हिमाचल प्रेश राज्य कर एवं आबकारी विभाग कंपनी संचालक के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने की तैयारी कर रहा है।

ऊना : हिमाचल प्रदेश में ऊना जिले में फर्जी कंपनी बनाकर जीएसटी का घोटाला किए जाने का मामला सामने आया है। मामले में अब हिमाचल प्रेश राज्य कर एवं आबकारी विभाग कंपनी संचालक के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने की तैयारी कर रहा है। कंपनी संचालक द्वारा तीन फर्जी कंपनी बनाते हुए 30 करोड 40 लाख रूपए का जीएसटी घोटाले को अंजाम दिया है। हिमाचल प्रदेश राज्य कर एवं आबकारी विभाग द्वारा जीएसटी पोर्टल के माध्यम से एक कंपनी मेसर्स यूआर सिनटेर जो कि कंपनी अधिनियम व जीएसटी के तहत गगरेट में पंजीकृत थी, का निरीक्षण किया गया था। निरीक्षण के दौरान विभाग ने पाया कि कंपनी गलत तरीके से तीन अन्य फर्मों से अपने लिए खरीद दिखा कर आईटीसी का अनुचित लाभ ले रही थी। इन तीनों फर्मों को उक्त कंपनी के सीईओ द्वारा ही बनाया गया था और यह तीनों फर्म सिर्फ कागजों में ही काम कर रही थी।

विभाग ने इन सभी फर्मों का 11 अगस्त 2020 को निरीक्षण किया था। निरीक्षण के बाद कंपनी का सीईओ, उनके वकील और उनके लेखाकार समय≤ पर विभाग के अधिकारियों के समक्ष उपस्थित हुए। विभाग के समक्ष चली सुनवाई के दौरान फर्म के संचालक विक्रम सेठ ने शपथ पत्र देकर माना और कबूल किया कि यह तीनों फर्म उन्होंने ही अनुचित तरीके से आईटीसी का लाभ लेने के लिए पंजीकृत करवाई थी। उक्त फर्म के तीन निदेशकों में से एक निदेशक ने शपथ पत्र देकर माना कि इस समस्त फर्जीवाडे में उसकी कोई भूमिका नहीं है। जांच के दौरान एक महत्वपूर्ण तथ्य यह सामने आया कि प्रदीप जम्बाल, निदेशक के नाम पर समस्त जमीन खरीदी गई थी, लेकिन जिसकी इसको कोई जानकारी ही नहीं थी। अन्य दो निदेशकों की जीएसटी पोर्टल पर दिए गए पते के अनुसार लुधियाना में जाकर जांच की गई लेकिन ये वहां नहीं पाए गए। इसके अतिरिक्त दो फर्म जिन्हें मेसर्स यूआर सिनटेर समान बिकी करती थी वो भी फर्जी पाई गई और उनके मालिकों ने शपथ पत्र देकर बताया कि यह समस्त फर्जीवाडा विक्रम सेठ द्वारा किया गया है।

इसके इलावा तीन फर्में जिनसे मेसर्स यूआर सिनटेर खरीद करती थी वो भी फर्जी पाई गई और इन तीनों फर्मो के मालिकों का पता जीएसटी पोर्टल के अनुसार अमृतसर का था जिस पर विभाग द्वारा गठित जांच दल उक्त पते पर गया, परन्तु उन्होंने जांच दल को कोई भी बयान नहीं दिया। जांच में पता चला है कि यह समस्त फर्जीवाड़ा विक्रम सेठ ने फर्जी बिलों के आधार पर बैंक से लोन लेने के लिए किया था। संयुक्त आयुक्त राज्य कर एवं आबकारी राकेश भारतीय ने बताया कि इस पूरे मामले में 1 अरब आठ करोड 14 लाख 36 हजार 786 रूपए की खरीदी की गई है। मामले में 13 करोड़ 2 लाख 41 हजार 81 रूपए का इंडमिसिबल आईटीसी रद्द किया गया और ब्याज के रूप में 4 करोड़ 35 लाख 90 हजार 193 रूपए और जीएसटी के बराबर जुर्माना 13 करोड़ 2 लाख 41 हजार 81 रूपए कुल मिलाकार 30 करोड़ 40 लाख 72 हजार 355 रूपए की रिकवरी निकाली गई है। जीएसटी नियम के अनुसार 5 करोड़ से अधिक की टेक्स चोरी अपराध है। इस कारण कंपनी के सीईओ विक्रम सेठ को गिरफ्तार किया जा सकता है। विभाग अब पूरे मामले में प्रकरण दर्ज करने की तैयारी कर रहा है। 
 

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