Edited By Vijay, Updated: 15 Nov, 2023 05:03 PM
भाई-बहन के प्रेम का पर्व भाईदूज बुधवार को धूमधाम से मनाया गया। भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर बहनों ने उनकी लंबी आयु की कामना की। भाइयों ने भी आजीवन बहन की रक्षा का वचन दिया। रक्षाबंधन की तरह भाईदूज के त्यौहार का इंतजार बहनों को ही नहीं, बल्कि भाइयों...
चम्बा (रणवीर): भाई-बहन के प्रेम का पर्व भाईदूज बुधवार को धूमधाम से मनाया गया। भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर बहनों ने उनकी लंबी आयु की कामना की। भाइयों ने भी आजीवन बहन की रक्षा का वचन दिया। रक्षाबंधन की तरह भाईदूज के त्यौहार का इंतजार बहनों को ही नहीं, बल्कि भाइयों को भी रहता है। बहनों ने सुबह से ही पर्व की तैयारियां शुरू कर दी थीं। घरों में छोटे बच्चों ने भी यह त्यौहार मनाया। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए। यमुना ने उनका आदर-सत्कार कर पूजा की और भोजन करवाया। इससे प्रसन्न यमराज से यमुना ने वरदान मांगा कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाकर भोजन करेगा, उसकी दीर्घायु हो और बहन के घर हमेशा सुख-संपत्ति हो। तब से यह पर्व भाई-बहन के प्रगाढ़ प्रेम के नाम पर मनाया जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान और पूजा-अर्चना करने का भी विधान है। यम द्वितीया पर चित्रगुप्त की भी पूजा की जाती है। मान्यता है कि चित्रगुप्त यमलोक में धर्म-अधर्म, पुण्य-पाप का लेखा-जोखा करते हैं। उन्हें यमराज का वरदान था कि यम द्वितीया के दिन जो व्यक्ति चित्रगुप्त की पूजा करेगा, उसे स्वर्गलोक की प्राप्ति होगी।
भाई और बहन के प्रेम का पर्व हैं रक्षाबंधन व भाईदूज
बहनों के लिए रक्षाबंधन पर्व के बाद यह प्रमुख त्यौहार है। भाई और बहन के प्रेम का पर्व रक्षाबंधन व भाईदूज हैं। दोनों त्यौहारों में काफी हद तक समानता है। अंतर तो सिर्फ यह है कि रक्षाबंधन में भाइयों द्वारा बहन को उपहार दिया जाता है लेकिन भाईदूज पर बहनें अपने भाई को उपहार देती हैं। भाईदूज पर बहनों ने भाइयों की आरती उतारने के बाद यथाशक्ति उपहार भी दिए। बहनों को इसी बहाने रक्षाबंधन के बाद यह दूसरा मौका मिलता है भाई से उपहार प्राप्त करने का जिसमें भाई अपनी बहन को उपहार देता है।
सरकारी बसों में मुफ्त किया सफर
प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार जिले की सभी सरकारी बसों में महिलाओंं ने मुफ्त सफर किया। सुबह से लेकर शाम 5 बजे तक महिलाएं भाइयों के घर पहुंचीं। इस बारे में एचआरटीसी के पदाधिकारियों ने सख्त दिशा-निर्देश दिए थे कि हर महिला सवारी को सीट उपलब्ध हो और किसी प्रकार की कोई परेशानी आवाजाही के दौरान न हो।
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