Edited By Vijay, Updated: 14 Apr, 2024 10:26 PM
चुराह के देवीकोठी में निवास करने वाली बैरावाली भगवती माता अपनी बड़ी बहन चामुंडा भगवती से मिलने के लिए चम्बा रवाना हुईं। माता की पालकी के साथ गुर व बजंतरी मौजूद रहे....
चम्बा (रणवीर): चुराह के देवीकोठी में निवास करने वाली बैरावाली भगवती माता अपनी बड़ी बहन चामुंडा भगवती से मिलने के लिए चम्बा रवाना हुईं। माता की पालकी के साथ गुर व बजंतरी मौजूद रहे, जो माता की महिमा का गुणगान करते हुए पैदल ही ढोल-नगाड़ों, वाद्य यंत्रों के साथ अपने निवास से करीब 125 किलोमीटर का सफर करेंगे। भगत और पुजारी पैदल ही हर साल बैरावाली भगवती माता चम्बा में उनकी बड़ी बहन चामुंडा से मिलने के लिए पहुंचते हैं। दोनों भगवती 15 दिनों तक एक साथ चामुंडा मंदिर में ही रहती हैं। पुराने समय की इस प्रथा को आज भी माता के भक्त उसी अंदाज से मनाते चले आ रहे हैं। इन दोनों बहनों के मिलाप और इन दोनों के दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। इतना ही नहीं, माता के चिन्ह रूपी चरण पादुका को लोग अपने घर पर न्यौते के तौर पर और उनका आशीर्वाद लेने अपने घर पर भी ले जाते हैं, जहां सारी रात जगराते व माता की पूजा करके आशीर्वाद पाया जाता है।
2 देवी बहनों के मिलन पर होता है जातर मेले का आयोजन
2 देवी बहनों के मिलन के अंतिम दिन चामुंडा माता मंदिर परिसर में जातर मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में हजारों की तादाद में श्रद्धालु उपस्थिति दर्ज करवाकर 2 देवी बहनों के मिलन के गवाह बनते हैं। मिलन के अंतिम दिन आयोजित होने वाले जातर मेले में माता के गुर आशीर्वाद देंगे। उसके बाद अगले वर्ष मिलने का वायदा करके बैरावाली भगवती वापस अपने मूल निवास स्थान देवीकोठी को रवाना हो जाएंगी। बैरावाली भगवती के आगमन को लेकर चामुंडा माता मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। मंदिर परिसर में कारदारों के साथ स्थानीय लोग मिलन की खुशी में चुराही नाटी भी डालते हैं तथा देवी मां से सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। अप्रैल माह के आखिरी सप्ताह में जातर का आयोजन किया जाता है।
हिमाचल की खबरें Twitter पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here
अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here