सरकार के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री को चुनौती देने जा रहा युवा विधायक

Edited By Ekta, Updated: 04 Apr, 2019 10:56 AM

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कांगड़ा-चम्बा संसदीय क्षेत्र के इतिहास में पहली बार एक युवा विधायक, सरकार के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री को चुनौती देने जा रहा है। अभी तक यह संसदीय क्षेत्र दिग्गजों की भिड़ंत का गवाह रहा है। इस बार दोनों दलों ने जातिगत समीकरण ध्यान में रखकर नए उम्मीदवार...

धर्मशाला (सौरभ सूद/जिनेश कुमार): कांगड़ा-चम्बा संसदीय क्षेत्र के इतिहास में पहली बार एक युवा विधायक, सरकार के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री को चुनौती देने जा रहा है। अभी तक यह संसदीय क्षेत्र दिग्गजों की भिड़ंत का गवाह रहा है। इस बार दोनों दलों ने जातिगत समीकरण ध्यान में रखकर नए उम्मीदवार उतारे हैं जिनके बीच रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। इस सीट पर 1977 के बाद से भाजपा का दबदबा रहा है। भाजपा ने 2009 व 2014 में लगातार 2 चुनाव जीते हैं। इस बार भाजपा जीत की हैट्रिक लगाने पर उतरी है तो कांग्रेस युवा चेहरे के सहारे भाजपा के विजय रथ को रोकना चाहेगी। भाजपा उम्मीदवार किशन कपूर 4 दशक की राजनीतिक यात्रा में धर्मशाला विस तक सीमित रहे हैं। 

यह चुनाव तय करेगा कि शांता के बाद कपूर जिला कांगड़ा के निर्विवाद नेता बन पाते हैं या नहीं। उधर, कांग्रेस ने इस सीट पर लगातार 2 हार के बाद युवा नेता पवन काजल पर दांव लगाया है, जिनके लिए यह चुनाव राजनीतिक अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा, खासकर जब पार्टी बीते विस चुनाव में संसदीय हलके के 17 में से 14 विस इलाकों में हार के बाद गुटों में बिखरी हुई है। विधायक काजल पहली बार अपने हलके से बाहर निकल कर बड़ा चुनाव लड़ने जा रहे हैं, ऐसे में जिले के बड़े नेताओं का साथ भी उनके लिए जरूरी होगा। विस चुनावों के बाद से पस्त पड़ी कांग्रेस इस चुनाव में एकजुटता से लड़ी तो काजल के पास इस सीट पर इतिहास रचने का मौका जरूर होगा। 

किशन कपूर का परिचय 

प्रदेश सरकार में खाद्य, नागरिक एवं उपभोक्ता मामले मंत्री किशन कपूर का जन्म 11 जून, 1951 को कांगड़ा जिला के खनियारा में हुआ। उन्होंने धर्मशाला कॉलेज से इंटरमीडिएट तक की शिक्षा ग्रहण की है। इस बार पार्टी की तरफ से उन पर दाव खेला गया है। वह 5 बार विधायक चुने जा चुके हैं। उन्होंने वर्ष, 1990 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीता। इसके बाद वर्ष, 1993, 1998, 2007 और 2017 में विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। वह दूसरी बार कैबिनेट मंत्री बने हैं और पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। 

प्राथमिकताएं

भाजपा नेता किशन कपूर का कहना है कि उनकी प्राथमिकता जिला कांगड़ा में पर्यटन के विकास के लिए कार्य किए जाएंगे। पर्यटन के विकास के लिए केंद्र की योजनाएं पूरी तरह अमल में लाई जाएंगी। कांगड़ा-चम्बा संसदीय क्षेत्र में खेलों को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। कांगड़ा-चम्बा को एजुकेशन हब बनाने का प्रयास किया जाएगा। स्मार्ट सिटी के रुके हुए कार्यों को धरातल पर लाया जाएगा। युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए कांगड़ा-चम्बा संसदीय क्षेत्र में उद्योग स्थापित किए जाएंगे।

किशन कपूर का मजबूत पक्ष

किशन कपूर गद्दी समुदाय से आते हैं जिसके तकरीबन 17 फीसदी वोटर हैं। गद्दी समुदाय चम्बा-कांगड़ा के कई विस क्षेत्रों में परिणाम प्रभावित करने की क्षमता रखता है। 17 में से 3 सीटों पर गद्दी समुदाय के विधायक हैं। किशन कपूर युवावस्था में जनसंघ से जुड़ गए थे तथा 5 बार विधायक और तीसरी बार मंत्री बने हैं। 1985 से लगातार चुनावी अखाड़े में उतर रहे कपूर को चुनावी राजनीति का खासा अनुभव है। प्रधानमंत्री की लोकप्रियता से हिमाचल भी अछूता नहीं है। सरकार का साथ व अपने राजनीतिक गुरु शांता कुमार का आशीर्वाद कपूर को प्राप्त है। राष्ट्रवाद का मसला भी कपूर को लाभ दे सकता है।

चुनौतियां

भाजपा के सांसद लोकसभा क्षेत्र के लिए कोई बड़ी योजना लाने में नाकाम रहे हैं। चम्बा के सिकरीधार में सीमैंट कारखाने के अधूरे वायदे व कांगड़ा में रेल लाइन की दुर्दशा पर विपक्ष जरूर घेरेगा। कांगड़ा, पालमपुर और फतेहपुर विस में लंबे समय से चल रही पार्टी की गुटबाज़ी से भी कपूर को पार पाना होगा। साथ ही टिकट की दौड़ में शामिल रहे अन्य दावेदारों का भी समर्थन हासिल करना होगा। प्रदेश सरकार में बतौर मंत्री कपूर की सवा 1 साल के कार्यकाल की परफार्मैंस भी चुनाव में जनता की कसौटी पर परखी जाएगी।

पवन काजल का परिचय

राजनीतिक शुरूआत कांगड़ा विधानसभा से निर्दलीय विधायक के रूप में शुरू की थी। 2012 के विधानसभा चुनावों में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पवन काजल को 14 हजार 632 वोट मिले थे तथा जीत का मत प्रतिशत 29 फीसदी रहा था। निर्दलीय विधायक होने पर पवन काजल कांग्रेस सरकार में एसोसिएट विधायक रहे थे, वहीं 2017 के विधानसभा चुनावों में पवन काजल को कांग्रेस पार्टी ने कांगड़ा से अपना प्रत्याशी बनाया। इस दौरान कांगड़ा विधानसभा से पवन काजल को 25 हजार 549 वोट मिले। 2017 के विधानसभा चुनावों में जीत का मत प्रतिशत 43 फीसदी रहा। 

प्राथमिकताएं

काजल ने कहा कि मेरी प्राथमिकताएं कांगड़ा-चम्बा संसदीय क्षेत्र में विकास की रुकी हुई गति को बढ़ाना रहेगा। भाजपा के सांसद ने जो कार्य नहीं किए थे वो मात्र वायदे या जुमले ही कहे थे उन जुमलों को हकीकत में धरती पर लाऊंगा। उन्होंने कहा कि कांगड़ा विधानसभा में जितना भी मेरे द्वारा कार्य अब तक किया गया है मैं उससे पूरी तरह संतुष्ट हूं। इसी प्रकार का कार्य मैं कांगड़ा-चम्बा संसदीय क्षेत्र में करूंगा। मेरे विधानसभा क्षेत्र में मात्र एक ही पॉलीटैक्नीकल कालेज था मैंने शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए विधानसभा क्षेत्र में 2 कालेज खोले थे। इसी तरह मैं कांगड़ा-चम्बा संसदीय क्षेत्र में भी शिक्षा पर बल दूंगा।

काजल का मजबूत पक्ष

जनता से सीधा जुड़ाव और बेदाग छवि पवन काजल की खूबी रही है जिसके दम पर वो लगातार 2 विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। काजल अपने हलके के लोगों के सुख-दुख में हर वक्त शामिल रहते हैं। संसदीय सीट पर ओ.बी.सी. समुदाय के 4 लाख से अधिक मतदाता हैं। ओ.बी.सी. समुदाय दोनों दलों से उम्मीदवार उतारने की मांग करता रहा है। ऐसे में काजल को समुदाय का पूरा समर्थन मिल सकता है। नोटबंदी व जी.एस.टी. के कई प्रावधानों से प्रदेश का व्यापारी वर्ग थोड़ा बहुत नाराज है। साथ ही प्रदेश में बेरोजगारी के मुद्दे पर काजल को युवा वर्ग का समर्थन मिल सकता है।

चुनौतियां

विधानसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस गुटबाजी से जूझ रही है। लोकसभा चुनाव के टिकट को लेकर कांग्रेस नेताओं में काफी खींचतान हुई, ऐसे में काजल को कांग्रेस के बड़े नेताओं का समर्थन हासिल करना टेढ़ी खीर होगी। टिकट आबंटन में देरी के कारण कांग्रेस अभी तक चुनाव प्रचार शुरू नहीं कर सकी है जबकि भाजपा प्रत्याशी पूरे चम्बा जिला के अलावा कांगड़ा जिले के अधिकतर विस हलकों में प्रचार का पहला चरण पूरा कर चुके हैं। कांगड़ा विधानसभा हलके के बाहर अभी तक काजल की बड़ी पहचान नहीं है। संसदीय चुनाव में उनको सभी 17 विधानसभा हलकों में पैठ बनानी होगी, जिसके लिए लोकल कांग्रेस नेताओं का समर्थन हासिल करना होगा।

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