BBN की नदियां हो गईं जहरीली, सरकार और प्रशासन बने मूकदर्शक

Edited By Punjab Kesari, Updated: 12 Jun, 2017 02:39 PM

bbn of rivers gone toxic government and administration make bystander

बद्दी-बरोटीवाला व नालागढ़ (बी.बी.एन.) औद्योगिक क्षेत्र में बहने वाली नदियां जहरीली हो गई हैं।

सोलन: बद्दी-बरोटीवाला व नालागढ़ (बी.बी.एन.) औद्योगिक क्षेत्र में बहने वाली नदियां जहरीली हो गई हैं। इन नदियों का पानी इंसान तो दूर पशुओं के पीने के लायक भी नहीं रह गया है। उद्योगों से निकलने वाले रासायनिक कचरे के कारण ये नदियां प्रदूषित हो गई हैं। प्रदूषित पानी के कारण इन नदियों में मछलियों का मरना तो आम बात हो गई है लेकिन अब इसके कारण पशु भी मरने शुरू हो गए हैं। 


चर्चा होती है कार्रवाई नहीं
2 अप्रैल, 2011 को जिला परिषद की बैठक में बी.बी.एन. में जल प्रदूषण से फैल रही बीमारियों को लेकर मामला उठा था। तत्कालीन जिला परिषद उपाध्यक्ष हरदीप सिंह ने बैठक में इस मामले को उठाया था लेकिन 6 वर्ष बीत जाने पर भी इस मद पर चर्चा ही नहीं हो सकी क्योंकि अधिकांश बैठकों में या तो बोर्ड का प्रतिनिधि उपस्थित नहीं हुआ या फिर अन्य कारणों से इस पर चर्चा नहीं हो पाई थी। पिछले एक वर्ष से जिला परिषद अध्यक्ष धर्मपाल चौहान लगातार इस मामले को उठाते आ रहे हैं लेकिन इसमें कार्रवाई के नाम पर अभी तक कुछ नहीं हुआ है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मानें तो सभी फैक्टरियों में ट्रीटमैंट प्लांट लग चुके हैं। यदि ऐसा है तो सरसा व चिकनी खड्ड तथा बाल्द नदी का पानी काला क्यों होता जा रहा है। 


झागयुक्त हो चुका है सरसा नदी का पानी 
सरसा नदी का पानी आम दिनों की तरह बरसात में भी झागयुक्त रहता है। इससे स्पष्ट है कि बारिश के दौरान उद्योग कचरा व रासायनिक पानी को नदी में छोड़ रहे हैं। यही कारण है कि इस नदी में हमेशा ही झाग बनी रहती है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ऐसे उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई करने में अभी तक विफल रहा है। एक ओर अवैध खनन और दूसरी ओर उद्योगों के प्रदूषित पानी ने इन नदियों के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। 


बाल्द नदी भी कम प्रदूषित नहीं
बद्दी में बहने वाली बाल्द नदी भी कम प्रदूषित नहीं है। प्रदूषण के कारण इस नदी का पानी भी सरसा व चिकनी खड्डों के कारण काला पड़ गया है। हैरानी की बात यह है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इन नदियों को प्रदूषित करने वाले उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल हो रहा है। उद्योग नियमों को ताक पर रखकर रासायनिक पानी को बाहर छोड़ रहे हैं।


18 पशुओं की हो चुकी है मौत
पशुपालन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2015 में नदियों का गंदा पानी पीने के कारण 18 पशुओं की मौत हो गई थी और सैंकड़ों पशु बीमार हो गए थे। प्रदूषित पानी पीने के कारण पशुओं को निमोनिया व गैस्टोएनट्राइटस नाम की बीमारियां हो गई थीं। यही कारण है कि पशुपालन विभाग ने सरसा व चिकनी खड्ड के किनारे रहने वाले पशुपालकों को इन खड्डों का पानी पशुओं को न पिलाने की हिदायत दी है। 


उद्योगों द्वारा गंदा पानी छोड़ा जाता है
सूत्रों की मानें तो रात के समय या फिर बारिश के दौरान उद्योगों द्वारा गंदा पानी छोड़ा जाता है। कई उद्योग तो बिना किसी भय के दिन में भी पानी छोड़ देते हैं। यह पानी नालों के माध्यम से इन नदियों में मिल रहा है। इन नदियों पर आई.पी.एच. विभाग की पेयजल योजना कोई नहीं है। इसके कारण लोग इस पानी को पीने से बचे रहे लेकिन घुमंतू गुज्जरों के पशु इन नदियों के आसपास ही चरते हैं और इस पानी को पीते हैं। इसके कारण वे सबसे ज्यादा बीमार होते हैं। 

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