अब नहीं रहे बेरोजगार, बांस के उत्पाद बनाने का हुनर सीख मिला स्वरोजगार (PICS)

Edited By Vijay, Updated: 05 Jul, 2019 04:43 PM

bamboo project in una

हिमाचल प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनाएं चला रही हैं ताकि युवाओं को घर-द्वार पर ही आत्मनिर्भर बनने का मौका मिल सके। जिला ऊना में भी जिला प्रशासन व वन विभाग ने मिलकर बैंबूना परियोजना शुरू...

ऊना (सुरेंद्र): हिमाचल प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनाएं चला रही हैं ताकि युवाओं को घर-द्वार पर ही आत्मनिर्भर बनने का मौका मिल सके। जिला ऊना में भी जिला प्रशासन व वन विभाग ने मिलकर बैंबूना परियोजना शुरू की है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। बांस से बने फर्नीचर, डस्टबिन और घरों में इस्तेमाल होने वाले दूसरे सामान की बाजार में काफी मांग है। इसी को देखते हुए जिला ऊना की ग्राम पंचायत लमलैहड़ी में स्वयं सहायता समूह बनाकर 7 महिलाओं को बांस के विभिन्न उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग दी गई। मार्च, 2019 में त्रिपुरा से एक ट्रेनर विमल देव वर्मा को बुलाकर लमलैहड़ी में महिलाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया गया और अब वो इस काम में महारत हासिल कर कुशल कारीगर बन चुकी हैं। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अब फर्नीचर, टेबल लैंप व हैंगर आदि बना रही हैं, जिसकी बाजार में अच्छी मांग है।
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पिपलू मेले में बिका 17 हजार का सामान

बैंबूना प्रोजैक्ट का शुभारंभ ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने पिपलू मेले के दौरान 12 जून, 2019 को किया। मेले में बांस से बनाए गए उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई और विभिन्न उत्पादों को प्रदर्शित किया गया। मेला देखने आए लोग बांस से बने उत्पादों को देखकर काफी उत्साहित दिखे और 3 दिवसीय मेले में 17,100 रुपए के उत्पादों की बिक्री हुई। इस सफलता को देखकर अब वन विभाग बैंबूना प्रोजैक्ट के विस्तार की योजना बना रहा है ताकि अधिक से अधिक संख्या में लोगों को स्वरोजगार के अवसर मिल सकें।
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बैंबूना प्रोजैक्ट के फायदे अनेक

बैंबूना प्रोजैक्ट के अनेक फायदों को देखकर इसके लिए धन का प्रावधान जिला ग्रामीण विकास अभिकरण ऊना के माध्यम से किया गया और इस पैसे से वन विभाग ने बांस के उत्पाद बनाने के लिए जरूरी उपकरण खरीदे। इस प्रोजैक्ट के माध्यम से स्थानीय महिलाओं और युवाओं को प्रशिक्षण दिया गया, जिससे उन्हें आजीविका का अच्छा साधन मिल रहा है। बांस से बने प्रोडक्ट ईको फ्रैंडली हैं यानी इनसे प्लास्टिक की तरह प्रदूषण भी नहीं फैलता। बांस से बने उत्पादों की मांग बढ़ने से बांस का उत्पादन भी बढ़ेगा। बांस उगाकर जहां किसानों को अतिरिक्त कमाई का जरिया मिलेगा। वहीं मृदा कटान व भू-जल संरक्षण में भी मदद मिलेगी।
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क्या कहते हैं लाभार्थी

बैंबूना प्रोजैक्ट के तहत काम करने वाली महिलाओं संतोष कुमारी, पूजा देवी, बिंद्रा देवी, परमिंदर कौर, नगीता देवी व बिंद्रा का कहना है कि वन विभाग ने उन्हें बांस के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण प्रदान किया है, जिससे उन्हें आय का साधन मिला है। उन्होंने बताया कि पिपलू मेले का दौरान ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने 5100-5100 रुपए के चैक भी प्रदान किए थे।
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बांस उत्पादों को मिल रहा बाजार : डी.एफ.ओ.

इस प्रोजैक्ट के बारे में डी.एफ.ओ. ऊना यशुदीप सिंह ने बताया कि स्वयं सहायता समूह को न केवल बांस के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है बल्कि अपने उत्पाद बेचने के लिए बाजार भी उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा वन विभाग को बांस का फर्नीचर व दूसरे उत्पाद इस्तेमाल करने के निर्देश दिए जा रहे हैं, ऐसे में विभाग बांस के उत्पाद की खरीद कर रहा है। इसके अलावा ऊना में फर्नीचर बनाने वाली यूनिट से भी संपर्क किया गया है, जहां पर मांग के अनुसार बैंबूना के उत्पाद बिक्री के लिए दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही महिलाओं को डी.सी. कार्यालय परिसर में जगह देने पर विचार चल रहा है, जहां पर वह स्टाल लगाकर अपने उत्पाद प्रदर्शित कर सकती हैं।
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क्या कहते हैं ग्रामीण विकास मंत्री

ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि बैंबूना परियोजना से जिला में अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। आज बाजार में बांस से बने उत्पादों की भारी मांग है, जिसे देखते हुए ज्यादा से ज्यादा संख्या में युवाओं को इस प्रोजैक्ट के साथ जुड़कर लाभ लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार स्वरोजगार को अपनाने वालों के लिए हरसंभव मदद दे रही है। जल्द ही मुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना शुरू की जाएगी, जिसके अंतर्गत गांव में ही काम का प्रशिक्षण मिलेगा और अपने व्यवसाय शुरू करने के लिए सरकार आर्थिक मदद भी प्रदान करेगी। 

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