पहली बार गणना, हिमाचल में मिले 73 बर्फानी तेंदुए

Edited By prashant sharma, Updated: 23 Jan, 2021 10:53 AM

73 snowfall leopards found in himachal for the first time

हिमाचल प्रदेश बर्फानी तेंदुए और इसके शिकार बनने वाले जानवरों का मूल्यांकन करने वाला पहला राज्य बन गया है। पहली बार की गई गणना के बाद प्रदेश में 73 बर्फानी तेंदुए मिले हैं।

शिमला : हिमाचल प्रदेश बर्फानी तेंदुए और इसके शिकार बनने वाले जानवरों का मूल्यांकन करने वाला पहला राज्य बन गया है। पहली बार की गई गणना के बाद प्रदेश में 73 बर्फानी तेंदुए मिले हैं। राज्य वन विभाग के वन्यप्राणी प्रभाग ने प्रकृति संरक्षण फाउंडेशन बंगलूरू के सहयोग से राज्य में बर्फानी तेंदुए की गिनती की गई। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के स्नो लैपर्ड पॉपुलेशन असेसमेंट इन इंडिया के प्रोटोकोल के आधार पर बर्फानी तेंदुए का आंकलन किया गया है। प्रदेश के दस स्थलों भागा, हिम, चंद्र, भरमौर, कुल्लू, मियार, पिन, बसपा, ताबो और हंगलंग में हिम तेंदुओं का पता चला है। भागा अध्ययन से यह भी पता चला है कि बर्फानी तेंदुए की एक बड़ी संख्या संरक्षित क्षेत्रों के बाहर है जो यह दर्शाता है कि स्थानीय समुदाय हिम तेंदुए के परिदृश्य में संरक्षण के लिए सबसे मजबूत सहयोगी हैं। 

प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन्य प्राणी अर्चना शर्मा ने बताया कि हिम तेंदुए का घनत्व 0.08 से 0.37 प्रति सौ वर्ग किलोमीटर है। स्पीति, पिन घाटी और ऊपरी किन्नौर के हिमालयी क्षेत्रों में बर्फानी तेंदुए और उसके शिकार जानवरों आइबैक्स और भरल का घनत्व सबसे अधिक पाया गया। पहाड़ी इलाकों में कैमरा ट्रैप की तैनाती किब्बर गांव के आठ स्थानीय युवाओं की एक टीम के नेतृत्व में की गई थी। इस तकनीक के अंतर्गत एचपीएफडी तकनीक के 70 से अधिक फ्रंटलाइन स्टाफ को भी परियोजना के हिस्से के रूप में प्रशिक्षित किया गया। 

वन मंत्री राकेश पठानिया ने इस प्रयास के लिए वन्यप्राणी प्रभाग की सराहना करते हुए कहा कि लंबी अवधि के ऐसे आंकलन जमीनी स्तर पर संरक्षण के प्रभाव का पता लगाने में उपयोगी साबित हो सकते हैं और प्रदेश दूसरे राज्यों के लिए एक उदाहरण भी बन सकता है। पठानिया ने कहा कि राज्य में इस प्रकार के अध्ययन के परिणाम वन्य प्राणी प्रभाग द्वारा भविष्य में बर्फानी तेंदुए और उसके जंगली शिकार की आबादी का आंकलन करने के लिए एक लंबी अवधि की परियोजना स्थापित करने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान कर सकते हैं। एनसीएफ और वन्य जीव विंग ने इस प्रयास में सहयोग किया और मूल्यांकन को पूरा करने में तीन साल लग गए।
 

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