Edited By kirti, Updated: 18 Aug, 2018 12:18 PM
सदियों से नसीब बदलने का नाम नहीं ले रहा। केवल अल्फाजी तीर चलाकर राजनेता भी अपनी जिम्मेदारी से मुंह फेर लेते हैं और लोग धक्के खाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। नादौन अस्पताल का ऐसा ही हाल है जोकि हमीरपुर, कांगड़ा व ऊना जिला के लोगों की सेहत की संभाल...
नादौन : सदियों से नसीब बदलने का नाम नहीं ले रहा। केवल अल्फाजी तीर चलाकर राजनेता भी अपनी जिम्मेदारी से मुंह फेर लेते हैं और लोग धक्के खाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। नादौन अस्पताल का ऐसा ही हाल है जोकि हमीरपुर, कांगड़ा व ऊना जिला के लोगों की सेहत की संभाल करने का किरदार सदियों से निभा रहा है लेकिन खुद का स्वास्थ्य नहीं संवार पाया है। नेता भी वोट की राजनीति खेलकर केवल आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति तक सिमटे हुए हैं। कहना यह भी गलत नहीं है कि सरकारें बदलती रहती हैं लेकिन इस अस्पताल का आईना बदसूरत बना हुआ है। इन दिनों बरसात के मौसम में नादौन अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। बरसात के मौसम में होने वाली बीमारियों के चलते रोजाना भारी संख्या में मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। अस्पताल में मरीजों का दबाव बढ़ रहा है तथा स्वास्थ्य सुविधाएं चरमरा रही हैं। हालांकि अस्पताल के डाक्टर तो मरीजों का बाकायदा चैकअप कर रहे हैं परंतु उन्हें अस्पताल में भर्ती करना बड़ी समस्या बन रही है। अस्पताल में कमरों की कमी मरीजों पर भारी पड़ रही है। अपर्याप्त कमरों के चलते एक बैड पर 5-5 मरीजों का इलाज चल रहा है।
संक्रमण का खतरा बढ़ा, चैकअप करवाने आ रहे एडमिट मरीज
अस्पताल में इस तरह से मरीजों की एडजस्टमैंट से मरीजों को तो परेशानी उठानी पड़ ही रही है, साथ ही संक्रमण का खतरा भी बना हुआ है। बैडों पर अलग-अलग बीमारियों के मरीज दूसरों को भी बीमारियों में जकड़ सकते हैं।कई लोकल मरीज तो अस्पताल में मरीजों की भीड़ को देखते हुए शरीर में ग्लूकोज की ड्रिप लगाए हुए ही घर चले जाते हैं तथा डाक्टर के चैकअप के समय वापस अस्पताल आ जाते हैं।
सामुदायिक भवन में लगाए जाएं अतिरिक्त बैड
लोगों ने मांग की है कि जब तक अस्पताल के नए भवन का निर्माण कार्य पूरा नहीं होता अस्पताल परिसर में बने सामुदायिक भवन में मरीजों के बैड लगाने का प्रबंध किया जाए जिससे कि ज्यादा मरीज लाभान्वित हो सकें।