किसान ट्रैक्टर परेड में पकड़े गए 15 सरकारी मुलाजिम

Edited By prashant sharma, Updated: 28 Jan, 2021 05:03 PM

15 government officials caught in farmer tractor parade

राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं सुजानपुर विधायक राजेंद्र राणा ने किसानों की ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि किसानों ने 15 ऐसे लोग पकड़ कर दिल्ली पुलिस के हवाले किए हैं जिनके पास सरकारी मुलाजिम होने का आई कार्ड मिला है।

हमीरपुर : राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं सुजानपुर विधायक राजेंद्र राणा ने किसानों की ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि किसानों ने 15 ऐसे लोग पकड़ कर दिल्ली पुलिस के हवाले किए हैं जिनके पास सरकारी मुलाजिम होने का आई कार्ड मिला है। सरकार को इन मुलाजिमों के नाम उजागर करने होंगे क्योंकि ऐसे में साबित होता है कि दो महीने से शांतिपूर्ण चले किसान आंदोलन की ट्रैक्टर परेड के दौरान सियासत की गंदी साजिश रची गई थी। उन्होंने कहा कि यह सुनियोजित व प्रायोजित आतंक की साजिश थी, जिसको शांतिपूर्ण आंदोलन को गलत रास्ता दिखाने के लिए सरकारी संरक्षण का प्रयोग किया गया है। उन्होंने कहा कि तीन स्थानों सिंघु बार्डर, टिक्करी बार्डर व गाजीपुर बार्डर से ट्रैक्टर परेड निकली थी।

दो स्थानों सिंघु बार्डर और टिक्करी बार्डर पर कोई दिक्कत नहीं हुई। सिर्फ गाजीपुर बार्डर पर इसलिए दिक्कत हुई क्योंकि यह रूट दिल्ली पुलिस को दिया गया था और पुलिस ने इस रूट को बदल दिया और उस रूट पर बैरियर लगा दिए गए। जिससे साफ हो जाता है कि इस आंदोलन को गलत दिशा और दशा देने की मंशा से यह कृत्य किया गया था। सरकार और प्रशासन को इसकी पूरी जानकारी थी कि इस रूट से कौन लोग आ रहे हैं और उनको गलत दिशा और दशा कैसे देनी है। हालांकि अब इस हिंसा मामले में 50 लोगों को हिरासत में लिया गया है। ट्रैक्टर परेड में घायल पुलिस कर्मियों की संख्या भी बढ़कर 394 हो चुकी है, वहीं इस मामले में 25 लोगों पर एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है जबकि यह तय है कि अभी और लोगों पर भी एफआईआर दर्ज की जाएगी। सरकार अब इस आंदोलन में हुई हिंसा के नाम पर चुन-चुन कर किसानों को निशाना बनाएगी ताकि इस आंदोलन को नेस्तानाबूद किया जा सके लेकिन इस सबके बावजूद अब यह साबित होने में कोई कोर कसर नहीं बची है कि इस आंदोलन को भटकाने और कुचलने के लिए किसान प्रदर्शन से हिले सरकारी तंत्र व सरकार ने इस मामले को लेकर एक बड़ी साजिश रची थी अन्यथा लाल किले की प्राचीर तक यूं आंदोलनकारियों के भेष में शैतान नहीं पहुंचे होते।

किसान आंदोलन के 62 दिनों के संघर्ष को बर्बाद करने की साजिश के गुनहागार कौन बने, कैसे बने और क्यों बने, इस सबका जवाब सरकार को देना होगा। अपनी समस्याओं और शिकायतों के न सुने जाने पर लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करना संविधान व लोकतंत्र के विधान में सबका मौलिक अधिकार है लेकिन जब सरकार ही मौलिक अधिकारियों को निगलने पर अमादा हो तो कोई शिकायत करे भी तो किससे? इस गंभीर मामले में कानून व्यवस्था के सवालों से केंद्र सरकार खुद को अलहदा नहीं मान सकती और अब सरकार को बताना होगा कि शांतिपूर्ण किसान आंदोलन के विकराल होने के लिए इसके पहलुओं में बारूद किसने और क्यों भरा? क्या सरकार विपक्ष और किसानों को कोस कर सत्ता के समुख खड़े हुए इस बड़े प्रश्र को फिर देश से पूछा गया प्रश्र मानकर छोटा कर देगी यह जवाब भी सरकार को ही देना होगा। किसान संघर्ष की दास्तां को बदलने के लिए सरकार को कोई सार्थक प्रयत्न करना होगा अन्यथा इस देश का किसान सरकार को किसी भी स्तर पर माफ नहीं करेगा क्योंकि आखिरकार किसान की नजर में इस सबकी गुनाहगार सरकार ही तो है।
 

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