प्रदेश में बेसहारा पशुओं की संख्या में 12.91 फीसदी की हुई बढ़ौतरी

Edited By Jinesh Kumar, Updated: 18 Nov, 2020 10:50 AM

12 91 percent increase in the number of destitute animals in the district

एक समय था जब इंसान मवेशियों को अपने परिवार का सदस्य मान कर उनका भरण-पोषण करता था जबकि बदले में मवेशी भी इंसानों के व्यवहार के बदले में उन्हें काफी कुछ देते रहे हैं लेकिन जैसे-जैसे समय बदला लोगों ने अपने काम धंधे बदल लिए और समय के इस फेर में पीछे रह...

धर्मशाला (नवीन): एक समय था जब इंसान मवेशियों को अपने परिवार का सदस्य मान कर उनका भरण-पोषण करता था जबकि बदले में मवेशी भी इंसानों के व्यवहार के बदले में उन्हें काफी कुछ देते रहे हैं लेकिन जैसे-जैसे समय बदला लोगों ने अपने काम धंधे बदल लिए और समय के इस फेर में पीछे रह गए बेसहारा कहे जाने वाले पशु जिनका अब कोई भी मालिक नहीं है। किसानों की परेशानी का सबब बने बेसहारा पशुओं की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। हाल में तैयार हुई प्रदेश की पशु गणना की रिपोर्ट में जानकारी सामने आई है कि काफी संख्या में पशुओं को सड़कों पर खुले में छोड़ दिया जाता हैं। केंद्र सरकार की ओर से हर 5 साल में पशु गणना कराई जाती है। 2017 में पशु गणना संबंधी प्रक्रिया शुरु हो गई थी। पशु गणना में तैनात होने वाले कर्मचारियों को टै्रनिंग भी करवाई गई। पशु गणना का जिम्मा पशुपालन विभाग को सौंपा गया। गणना में गड़बड़ी रोकने के लिए पहली बार टेबलेट का इस्तेमाल किया गया तथा 2019 में यह गणना संपन्न करवा ली गई। प्रदेश की पशु गणना की रिर्पोर्ट के अनुसार बेसहारा पशुओं की संख्या में 12.91 फीसदी की बढ़ौतरी हुई है। 2012 में हुई 19वीं पशु गणना में प्रदेश में बेसहारा पशुओं की संख्या जहां 32160 थी तो अब 20वीं पशु गणना में यह संख्या बढ़कर 36311 तक पहुंच गई है। यानी की इस समय अवधि में बेसहारा पशुओं की संख्या में लगभग 12.91 फीसदी बढ़ौतरी हुई है।

पालतू पशुओं की संख्या में हुई कमी
20वीं पशु गणना के मुताबिक पालतू पशुओं की संख्या में भी कमी दर्ज की गई है। 19वीं गणना में जहां कैटल की संख्या 2149259 थी। अब यह कम होकर 1828017 पहुंच गई। 14.95 फीसदी कमी आई है। भैंसों की संख्या में 9.70 फीसदी कमी आई है। 19वीं गणना में जहां यह संख्या 716016 थी तो 20वीं गणना में यह संख्या 646565 रह गई। याक की संख्या में 33.58 फीसदी की कमी आई। 19वीं गणना में याक की संख्या 2921 थी। 20वीं गणना में यह संख्या 1940 रह गई। भेड़ों की संख्या में 1.68 फीसदी की कमी दर्ज हुई है। बकरी में 0.99 फीसदी, घोड़े व पोनी में 41.31 फीसदी की कमी, गधे की संख्या में 34.73 फीसदी कमी, ऊंटों की संख्या जहां 177 थी अब यह कम होकर 26 रह गई। 85.31 फीसदी की कमी आई है। इसके अलावा पोल्ट्री की संख्या में भी बढ़ौतरी दर्ज की गई है। बेकयार्ड व कर्मिशयल दोनों में 21.50 फीसदी बढ़ौतरी हुई है।

आवारा कुत्तों की संख्या में भी बढ़ौतरी
बेसहारा पशुओं की संख्या के साथ आवारा कुत्तों की संख्या में भी बढ़ौतरी हुई है। 2012 में हुई गणना के तहत जहां प्रदेश में 65220 आवारा कुत्ते थे, अब 20वीं गणना में यह संख्या बढ़कर 76933 तक पहुंच गई है। इस समय अवधि में लगभग 17.96 फीसदी बढ़ौतरी हुई है। उल्लेखनीय है कि आवारा कुत्तों के द्वारा लोगों को काटने के कई मामले सामने आते रहते हैं लेकिन अभी तक आवारा कुत्तों की समस्या से निजात नहीं मिल पाया है। पालतू कुत्तों की संख्या में 5.02 फीसदी बढ़ौतरी हुई है।

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