एनटीपीसी कोल डैम हाईड्रो पावर स्टेशन ने पार की डिजाइन क्षमता

Edited By Updated: 01 Oct, 2016 07:41 PM

bilaspur ntpc kol dam hydro power station design capacity

वित्त वर्ष 2017 के लिए निर्धारित 3054 मिलियन यूनिट की डिजाइन क्षमता के प्रति एनटीपीसी कोल डैम हाईड्रो पावर स्टेशन ने वर्तमान वित्त वर्ष की पहली 2 तिमाही में 2506.77 मिलियन यूनिट की डिजाइन क्षमता

बिलासपुर: वित्त वर्ष 2017 के लिए निर्धारित 3054 मिलियन यूनिट की डिजाइन क्षमता के प्रति एनटीपीसी कोल डैम हाईड्रो पावर स्टेशन ने वर्तमान वित्त वर्ष की पहली 2 तिमाही में 2506.77 मिलियन यूनिट की डिजाइन क्षमता के प्रति 2635.76 मिलियन यूनिट का विद्युत उत्पादन कर लिया है।


परियोजना प्रमुख संजीव किशोर ने बताया कि इस 2 तिमाही के दौरान डिजाइन क्षमता से ज्यादा का विद्युत उत्पादन हुआ है। 18 जुलाई, 2015 को कोल डैम स्टेशन की वाणिज्यिक घोषणा होने के बाद स्टेशन पूरी क्षमता पर विद्युत उत्पादन कर रहा है तथा टीम कोल डैम के अथक प्रयास के कारण जुलाई तथा अगस्त, 2016 के दौरान 107 प्रतिशत पीएलएफ  हासिल कर कोल डैम स्टेशन ने पूरे देश के हाईड्रो पावर स्टेशनों के बीच एक मिसाल स्थापित की है।

परियोजना प्रमुख ने बताया कि कोल डैम हाईड्रो पावर स्टेशन देश में अपनी तरह का ही स्टेशन है, जो पोंडेज सहित रन ऑफ  द रिवर स्कीम पर आधारित है। यह वृहत जलाशय और ऊंचे बांध वाले भाखड़ा हाईड्रो पावर स्टेशन के अपस्ट्रीम में स्थित है। उन्होंने बताया कि कोल डैम हाईड्रो पावर स्टेशन में 200 मैगावाट क्षमता वाली 4 यूनिट हैं, जिसकी कुल क्षमता 800 मैगावाट है तथा सालाना 3054 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन करने के लिए डिजाइन किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान की विद्युत उत्पादन को देखते हुए लग रहा है कि हम निर्धारित लक्ष्य को पार कर जाएंगे।

परियोजना प्रमुख संजीव किशोर ने यूनिट की उत्पादन क्षमता के बारे में बताया कि 200 मैगावाट की प्रत्येक मशीन 4.8 मिलियन यूनिट प्रतिदिन विद्युत उत्पादन के लिए डिजाइन की गई है जबकि 17 जून, 2016 को प्लांट की प्रत्येक मशीन से 5.2 मिलियन यूनिट का विद्युत उत्पादन हुआ और सभी मशीन को मिलाकर एक दिन में 20.86 मिलियन यूनिट का रिकार्ड विद्युत उत्पादन हुआ जबकि नदी में कम जल बहाव की स्थिति में न्यूनतम 1.36 मिलियन यूनिट प्रति मशीन विद्युत का भी उत्पादन हुआ।


परियोजना प्रमुख ने बताया कि पूरी परियोजना हिमाचल प्रदेश के मंडी, सोलन और बिलासपुर में फैली हुई है। उन्होंने यह भी बताया कि एनटीपीसी उत्तराखंड तथा पश्चिम बंगाल में 719 मैगावाट वाली 3 हाईड्रो पावर प्रोजैक्ट पर काम कर रही है तथा इसके अलावा 360 मैगावाट वाली 9 सौर ऊर्जा प्रोजैक्ट पर भी काम कर रही है।


70 प्रतिशत का विद्युत उत्पादन 5 महीनों में
चूंकि प्लांट का प्रचालन सतलुज नदी में उपलब्ध जल पर निर्भर करता है। अत: प्लांट से लगभग 70 प्रतिशत का विद्युत उत्पादन 5 महीनों यानी अप्रैल से अगस्त के बीच होता है जबकि शेष बाकी बचे 7 महीनों के दौरान होता है। उन्होंने कहा कि इस तरह से प्रोजैक्ट से उत्पन्न बिजली का 13.62 प्रतिशत हिमाचल प्रदेश सरकार को आपूर्ति की जाती है जबकि शेष बिजली की आपूर्ति दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू व कश्मीर तथा चंडीगढ़ को की जाती है, जबकि गैर-आबंटित बिजली भी हिमाचल प्रदेश को इसकी भागीदारी के अलावा दी जाती है तथा हिमाचल प्रदेश सबसे ज्यादा लाभान्वित होता है।

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