इस बार दशहरा उत्सव में भी होगा चुनाव प्रचार!

Edited By Punjab Kesari, Updated: 07 Sep, 2017 11:57 AM

this time dussehra festival also in will happen election campaign

सियासत को चमकाने के लिए भीड़ जुटाना सियासी लोगों का एक बड़ा मकसद रहता है। भीड़ जुटाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं। पंजाब प्रांत से सटे हिमाचल प्रदेश के इलाकों में तो सियासी कार्यक्रमों में दिहाड़ी देकर भीड़ एकत्रित करने का भी प्रचलन बढ़...

कुल्लू: सियासत को चमकाने के लिए भीड़ जुटाना सियासी लोगों का एक बड़ा मकसद रहता है। भीड़ जुटाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं। पंजाब प्रांत से सटे हिमाचल प्रदेश के इलाकों में तो सियासी कार्यक्रमों में दिहाड़ी देकर भीड़ एकत्रित करने का भी प्रचलन बढ़ रहा है। किसी रैली में यदि 15 से 20 हजार लोग पहुंचे तो उस रैली को हिमाचल में ऐतिहासिक कार्यक्रम की श्रेणी में जोड़ा जाता है। कुल्लू का अंतर्राष्ट्रीय दशहरा उत्सव भी एक ऐसा ही मौका है, जहां प्रतिदिन 70 हजार से एक लाख लोग जुटेंगे। देव नीति की आड़ में भी वोटरों को रिझाने का दौर चलता है। देवी-देवताओं को कई राजनीतिज्ञ अपने घर बुलाकर देव कारज का आयोजन करवाते हैं। अबकी बार चुनावी बेला पर हो रहे दशहरा उत्सव में तो देवलुओं की पूछ इतनी बढ़ जाएगी कि बुलावे पर कहां जाएं और कहां न जाएं, यह तय कर पाना भी उनके लिए मुश्किल होगा। चुनाव आचार संहिता लग गई तो राजनीतिज्ञों पर चुनाव आयोग की भी पैनी नजर रहेगी। 2012 में प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए और उस दौरान दशहरा उत्सव में कुल्लू सदर हलके से महेश्वर सिंह प्रत्याशी रहे। 


इस बार दशहरा उत्सव में राजनीतिज्ञ प्रचार करने से पीछे नहीं रहेंगे  
रघुनाथ जी के छड़ीबरदार होने के नाते उनकी दशहरा उत्सव में अहम भूमिका रहती है। उनके साथ चुनाव आयोग ने विशेष तौर पर अधिकारियों की तैनाती कर रखी थी। इसी तरह कांग्रेस प्रत्याशी सुंदर ठाकुर भी प्रत्याशी रहे और वह भी जब देवी-देवताओं के अस्थायी शिविरों में माथा टेकने गए तो उन पर भी चुनाव आयोग की पैनी नजर रही। अन्य प्रत्याशियों में गोविंद सिंह ठाकुर, राम सिंह, प्रेमलता, भुवनेश्वर गौड़, धर्मवीर धामी व खीमी राम भी देवी-देवताओं का आशीर्वाद लेने ढालपुर आए तो उन पर भी चुनाव आयोग द्वारा तैनात अधिकारी नजरें गड़ाए हुए रहे। इन पर नजर इसलिए रही कि कहीं ये दशहरा उत्सव में जुटी भीड़ और देवलुओं के बीच जाकर चुनाव प्रचार तो नहीं कर रहे हैं। कुल्लू का हर सियासी परिवार किसी न किसी तरह से देवी-देवताओं से जुड़ा हुआ है। अबकी बार चुनावी बेला पर हो रहे अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में राजनीतिज्ञ प्रचार करने से पीछे नहीं रहेंगे। भले ही इसके लिए तरीका कोई भी अपनाया जा सके जिससे चुनाव आयोग द्वारा तय नियमों का उल्लंघन भी न हो और काम भी निकल जाए।


हर देवता के शिविर में रहते हैं दर्जनों लोग
अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में निमंत्रण पत्र 305 देवी-देवताओं को भेजे गए हैं लेकिन उत्सव में 250 के करीब देवी-देवता लाव-लश्कर के साथ हर साल पहुंचते हैं। हर देवी-देवता के अस्थायी शिविर में भी दिन के समय हारियान क्षेत्रों से दशहरा उत्सव देखने आए दर्जनों लोग मौजूद रहते हैं। ऐसे में कुछेक देवी-देवताओं के शिविरों में भी कोई उम्मीदवार माथा टेकने के बहाने चुनाव प्रचार करे तो महज कुछ मिनटों में सैंकड़ों लोगों से मुलाकात हो जाएगी। 


कुल्लू के राज परिवार की अहम भूमिका
अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में कुल्लू के राज परिवार की अहम भूमिका रहती है। दशहरा उत्सव शुरू होने से लेकर समापन तक यह परिवार अहम भूमिका में रहता है। उत्सव में रघुनाथ जी की रथयात्रा, चानणी पर होने वाले तमाम आयोजन, जलेब और दशहरा उत्सव के अंतिम दिन रथयात्रा और लंका दहन में इस परिवार के सभी सदस्य मौजूद रहते हैं। 

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