इस तीर्थ स्थल का पानी करता है चर्म रोग दूर, जान जोखिम में डालकर पहुंचते हैं लोग

Edited By Punjab Kesari, Updated: 05 Feb, 2018 12:55 PM

this holy pilgrimage water does remove skin diseases

घास, पत्तियां, जड़ें, पेड़ों के छिलकों, पेड़-पौधों में तो औषधीय गुणों के बारे में सुना होगा लेकिन पानी में औषधीय गुणों की बात अटपटी सी लगती है। स्वत: फूट रही गर्म पानी की जलधारा के लिए कुल्लू के मणिकर्ण, खीरगंगा, वशिष्ठ और क्लाथ जैसे तीर्थ स्थल...

कुल्लू: घास, पत्तियां, जड़ें, पेड़ों के छिलकों, पेड़-पौधों में तो औषधीय गुणों के बारे में सुना होगा लेकिन पानी में औषधीय गुणों की बात अटपटी सी लगती है। स्वत: फूट रही गर्म पानी की जलधारा के लिए कुल्लू के मणिकर्ण, खीरगंगा, वशिष्ठ और क्लाथ जैसे तीर्थ स्थल विश्वविख्यात हैं। एक और तीर्थ स्थल है जहां तक पहुंचने के लिए कठिन डगर से होकर गुजरना पड़ता है। इस तीर्थ स्थल पर चर्म रोग से वर्षों से पीड़ित कई लोग पहुंचते हैं और यहां आकर आराम पाते हैं। हिमाचल ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न प्रांतों से भी चर्म रोगों से राहत पाने के लिए लोग यहां आते हैं। चर्म रोगों के राम बाण इलाज के लिए इस तीर्थ स्थल का पानी मशहूर है।


मणिकर्ण की तरह ही यहां भी गर्म पानी की जलधारा जमीन से उठ रही है। इस तीर्थ स्थल को 'हौसणू तीर्थ' के नाम से जाना जाता है। पार्वती घाटी के छिंजरा गांव के समीप भुंतर-मणिकर्ण सड़क से करीब 600 मीटर नीचे पार्वती नदी तक पहुंचने के बाद ही लोग इस तीर्थ स्थल के दर्शन कर पाते हैं और इसके पानी को इस्तेमाल कर पाते हैं। इस तीर्थ स्थल की खासियत यह है कि इसके पानी को साल में सिर्फ 5 या 6 महीने ही देखा जा सकता है और इस तीर्थ स्थल पर स्नान किया जा सकता है। साल के अन्य महीनों में इस तीर्थ स्थल के ऊपर से पार्वती नदी बहती रहती है। पार्वती नदी का बहाव इतना होता है कि अन्य दिनों में इस तीर्थ के दर्शन तक नहीं हो पाते। इन दिनों पार्वती नदी का जलस्तर काफी कम हो गया है और अब इस तीर्थ स्थल पर पहुंचकर लोग इसके पानी को इस्तेमाल कर रहे हैं और चर्म रोगों से भी राहत पा रहे हैं। 


पानी की सुगंध अलग
मणिकर्ण, खीरगंगा, वशिष्ठ, क्लाथ के गर्म पानी के चश्मों के पानी में भी चर्म रोगों को नष्ट करने की क्षमता है लेकिन हौसणू तीर्थ के पानी में यह क्षमता कई गुना अधिक बताई जा रही है। इस तीर्थ स्थल पर भी गर्म पानी का चश्मा है। भौगोलिक स्थिति के हिसाब से यह चश्मा ऐसी जगह है जो पहाड़ी के काफी नीचे का हिस्सा है। यह पानी की जलधारा भी जमीन में नीचे से ऊपर की ओर फूट रही है। लोग बताते हैं कि इस तीर्थ के पानी में कई प्रकार की जड़ी-बूटियां हैं और इसकी सुगंध भी अन्य तीर्थों के पानी के मुकाबले अलग है। खराब रास्ता होते हुए भी लोग जान जोखिम में डालकर इस जगह तक पहुंच रहे हैं। 


इस तीर्थ स्थल तक बने अच्छा रास्ता
छिंजरा निवासी पुरोहित प्रदीप शर्मा, संजीव शर्मा, कुलदीप शर्मा, कसोल के होटल कारोबारी गिरिराज बिष्ट, मणिकर्ण वैली होटलियर्स एसोसिएशन के प्रधान किशन ठाकुर, हुकम ठाकुर, राम कृष्ण ठाकुर, चांद शर्मा व पुजारी नरेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि हौसणू तीर्थ के बारे में कई बार दूसरे प्रांतों से आए लोग पूछते हैं। उन लोगों को कई बार इस तीर्थ तक पहुंचाया है। इस तीर्थ स्थल तक पहुंचने के लिए बेहतरीन रास्ते का निर्माण होना जरूरी है। वर्ष में हजारों लोग इस तीर्थ तक जाते हैं और इसके पानी से स्नान करते हैं। उन्होंने कहा कि इस तीर्थ स्थल का पानी चर्म रोगों के लिए रामबाण इलाज माना जाता है। यहां तक पहुंचने के लिए अच्छा रास्ता न होने के कारण यह तीर्थ स्थल गुमनामी के अंधेरे में भी छिपा हुआ है। प्रशासन को चाहिए कि इस तीर्थ स्थल तक पहुंचने के लिए अच्छा रास्ता बनाया जाए। 

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