शिक्षिका आत्महत्या मामला: CBI पर सवाल, CID पर भरोसा

Edited By Punjab Kesari, Updated: 07 Aug, 2017 10:02 AM

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सोलन के धर्मपुर क्षेत्र में नामी निजी स्कूल की शिक्षिका द्वारा आत्महत्या करने के मामले में आरोपी पति को कोर्ट से कोई राहत नहीं मिल पाई है।

शिमला: सोलन के धर्मपुर क्षेत्र में निजी स्कूल की शिक्षिका द्वारा आत्महत्या करने के मामले में आरोपी पति को कोर्ट से कोई राहत नहीं मिल पाई है। अतिरिक्त एवं सत्र न्यायाधीश सोलन ने आरोपी की जमानत याचिका रद्द कर दी है। अब आरोपी फिर से जेल पहुंच गया है। उधर, इसी मामले में जांच एजैंसी सी.आई.डी. ने तफ्तीश पूरी करने के लिए हाईकोर्ट से 6 सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा है। उधर, पीड़ित परिवार के परिजनों ने सी.बी.आई. की जांच पर सवाल उठाए हैं जबकि सी.आई.डी. पर भरोसा जताया है। इसी केस में सी.बी.आई. क्लोजर रिपोर्ट दे चुकी है लेकिन हाईकोर्ट ने इस रिपोर्ट पर सवाल उठाए थे। कोर्ट के ही आदेशों के बाद जांच सी.आई.डी. को दी गई है। राज्य की जांच एजैंसी गहनता से जांच कर रही है। इसी ने पिछले महीने शिक्षिका को आत्महत्या के लिए मजबूर करने के आरोप में मृतका के पति को गिरफ्तार किया था। 


सुसाइड नोट में पति के अलावा 3 और व्यक्तियों के नाम 
सुसाइड नोट में पति के अलावा स्कूल प्रबंधन से जुड़े 3 और व्यक्तियों के नाम भी थे लेकिन इन्हें अभी गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। बड़ा सवाल यह है कि क्या इन पर राज्य सरकार मेहरबान है? कहा जा रहा है कि सुसाइड नोट में जिन लोगों के नाम हैं, उनके तार सरकार तक जुड़े हैं। शक जताया जा रहा है कि ये व्यक्ति अपने रसूख का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। दरअसल शिमला की रहने वाली युवती की हरियाणा के यमुनानगर में शादी हुई थी लेकिन उसका पति उसे तंग करता था। इसके बाद विवाहिता ने सोलन के धर्मपुर क्षेत्र में शिक्षक की नौकरी ज्वाइन की। वह मैथ की टीचर रही है। यहां भी उसे प्रताडि़त किया जाने लगा। उसे स्कूल से टर्मिनेट करने की भी बातें हो रही थीं। इससे वह मानसिक दबाव में आ गई। 20 जनवरी, 2015 को शिक्षिका ने स्कूल के ही आवास में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उसने सुसाइड नोट में पति समेत 4 लोगों के नाम लिखे थे। उसने मौत के लिए इन चारों को जिम्मेदार ठहराया था। 


1600 पन्नों की जांच रिपोर्ट बनाने के बावजूद कोई नहीं हुआ गिरफ्तार
मृतका के भाई हेमंत कुमार ने 21 जुलाई को थाना धर्मपुर में पूरी घटना का बयान दिया था लेकिन पुलिस ने अगले दिन आई.पी.सी. की दफा 306 के तहत आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मामला दर्ज किया था। पीड़ित परिवार के परिजनों की याचिका के आधार पर हाईकोर्ट ने इसकी सी.बी.आई. जांच के आदेश दिए थे। सी.बी.आई. ने इसकी जांच की। करीब 1600 पन्नों की जांच रिपोर्ट बनाई लेकिन किसी को गिरफ्तार नहीं किया। इसके अधिकारी ने क्लोजर रिपोर्ट तैयार की। हाईकोर्ट ने इस क्लोजर रिपोर्ट को रिजैक्ट कर दिया। तत्कालीन जज जस्टिस राजीव शर्मा ने 22 सितम्बर, 2016 को इस रिपोर्ट पर असंतोष जाहिर किया था और इसकी री-इन्वैस्टीगेशन करने के आदेश दिए थे। दोबारा जांच स्टेट सी.आई.डी. को सौंपी गई। कोर्ट ने एस.एस.पी. रैंक के अधिकारी से जांच करने को कहा था। 


अब एस.पी. करेंगी जांच
एस.पी. क्राइम अंजुम आरा अब शिक्षिका आत्महत्या मामले की जांच करेंगी। इससे पहले जांच एस.पी. अशोक शर्मा कर रहे थे लेकिन उनका हाल ही में मंडी जिला के लिए तबादला हुआ है। अंजुम सोलन की एस.पी. रह चुकी हैं जिस कारण उन्हें केस को समझने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।


क्या कहते हैं मृतका के परिजन
मृतक शिक्षिका के भाई एडवोकेट हेमंत कुमार कहते हैं कि उन्हें सी.आई.डी. पर पूरा विश्वास है। जांच एजैंसी जरूर न्याय दिलाएगी। उनका कहना है कि स्कूल प्रबंधन से जुड़े लोग बहन को प्रताड़ित करते थे। वे उसे गैर-कानूनी ढंग से नौकरी से हटाना चाहते थे। हेमंत कुमार के अनुसार सुसाइड नोट में जितने भी नाम हैं, उन सभी को गिरफ्तार किया जाए। उन्होंने इस बात की पुष्टि की है कि सी.आई.डी. को जांच के लिए 42 दिन का वक्त और दिया गया है। उनका कहना है कि जांच कार्य में और तेजी लाई जाए। हेमंत ने बताया कि सी.आई.डी. ने मृतका के पति को गिरफ्तार किया था। अब उसकी कोर्ट से नियमित जमानत की याचिका भी रद्द हो गई है। उन्होंने बताया कि सी.बी.आई. चाहती तो बहन को न्याय मिल सकता था। अब न्याय सी.आई.डी. ही दिला सकती है।

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