Watch Video : बर्फानी तेंदुए पर नजर रखेंगे ट्रैप कैमरे

Edited By Punjab Kesari, Updated: 26 Nov, 2017 06:10 PM

स्नो लाइन (बर्फानी क्षेत्र) में अब ट्रैप कैमरे बर्फानी तेंदुए की मौजूदगी पर नजर रखेंगे। वाइल्ड लाइफ स्नो लाइन में ट्रैप कैमरे लगाने जा रहा है। इससे पता लगाया जा सकेगा कि कहां-कहां बर्फानी तेंदुए हैं। यही नहीं भालू समेत अन्य जानवरों की वर्तमान में...

धर्मशाला (नृपजीत): स्नो लाइन (बर्फानी क्षेत्र) में अब ट्रैप कैमरे बर्फानी तेंदुए की मौजूदगी पर नजर रखेंगे। वाइल्ड लाइफ स्नो लाइन में ट्रैप कैमरे लगाने जा रहा है। इससे पता लगाया जा सकेगा कि कहां-कहां बर्फानी तेंदुए हैं। यही नहीं भालू समेत अन्य जानवरों की वर्तमान में क्या स्थिति है, ये भी साफ होगी। हालांकि अभी इस संबंध में वन्य प्राणी विभाग के उच्चाधिकारियों को अपने विशेषज्ञ अधिकारियों के प्रशिक्षण पूरा करने का इंतजार है, जोकि देहरादून में प्रशिक्षण ले रहे हैं। जिनके प्रशिक्षित होने के बाद इस दिशा में वन्य प्राणी विभाग अपनी कदमताल शुरू करेगा। 
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ट्रैप कैमरे लगाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से किया जाएगा काम
ट्रैप कैमरे लगाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम किया जाएगा। वन्य प्राणी विभाग के उत्तरी क्षेत्र धर्मशाला के तहत जिला कांगड़ा में धौलाधार सेंक्चुअरी क्षेत्र और जिला चंबा के तहत कुगती, तुदां, सेचुतुआन समेत कई ऐसे स्थान हैं जहां बर्फानी तेंदुआ होने की विभाग के विशेषज्ञ अधिकारियों को भी उम्मीद है। इसके अलावा भालू सहित ऐसे जंगली जानवर जोकि अधिकतर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ही रहते हैं, की भी ट्रैप कैमरों से स्थिति जानी जा सकती है। विशेषज्ञ अधिकारियों का प्रशिक्षण पूरा करने के बाद ही उपरोक्त स्नो लाइन में ट्रैप कैमरे लगाए जाएंगे। स्नो लाइन में योजनाबद्ध तरीके से ट्रैप कैमरे लगाए जाने की योजना है। इसके लिए देहरादून में विशेषज्ञ अधिकारी प्रशिक्षण लेंगे और उनके प्रशिक्षित होने के बाद ही इस दिशा में कार्य शुरू होगा। 


यहां जंगली जानवरों की आवाजाही न के बराबर
ओपी सोलंकी, मुख्य अरण्यपाल उत्तरी क्षेत्र धर्मशाला वन्य प्राणी विभाग ने बताया कि ट्रैप कैमरे ऐसे स्थानों में लगाए जाते हैं जहां पर मनुष्य की आवाजाही बहुत ही कम या फिर न के बराबर रहती है। इसकी वजह यह भी है कि जिन क्षेत्रों में मनुष्य की आवाजाही रहती है, उन क्षेत्रों में जंगली जानवरों की आवाजाही न के बराबर होती है। ट्रैप कैमरे जिन क्षेत्रों में लगाए जाते हैं, उस क्षेत्र में जो भी गुजरता है उसकी फोटो आ जाती है। इन फोटो के आधार पर ही संबंधित जंगली जानवर की स्थिति का पता चल पाता है कि वह कितनी संख्या में उस क्षेत्र में मौजूद हैं।  

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