भाजपा के लिए सत्ता पर काबिज होना बड़ी चुनौती!

Edited By Updated: 15 Apr, 2017 10:18 AM

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भाजपा के लिए नगर निगम शिमला की सत्ता पर काबिज होना बड़ी चुनौती रहेगा।

शिमला: भाजपा के लिए नगर निगम शिमला की सत्ता पर काबिज होना बड़ी चुनौती रहेगा। पिछले चुनाव में भाजपा के सबसे अधिक 12 पार्षद चुनाव जीतकर आए थे लेकिन मेयर-डिप्टी मेयर पर माकपा के काबिज होने से उसके अरमान अधूरे रह गए। यानि सबसे अधिक 12 पार्षद वाली भाजपा नगर निगम में पूरी तरह से सत्ता सुख नहीं भोग पाई क्योंकि मेयर व डिप्टी मेयर जैसे पद माकपा को मिले। भले ही उसके 2 पार्षद चुनाव जीत पाए। इसके विपरीत पिछले चुनाव में कांग्रेस के 11 पार्षद चुनाव जीते थे। इस तरह नगर निगम शिमला की सत्ता पर काबिज रहने वाली कांग्रेस को पहली बार सत्ता से बाहर होना पड़ा। मौजूदा समय में चुनावी परिदृश्य बदल गया है क्योंकि इस बार मेयर व डिप्टी मेयर का चयन निर्वाचित पार्षदों में से होगा। 


इस बार पार्टी टिकट पर नहीं करवाए जा रहे चुनाव 
इस बार चुनाव पार्टी टिकट पर नहीं करवाए जा रहे हैं जिससे कांग्रेस, भाजपा व माकपा समर्थित उम्मीदवार ही मैदान में उतरेंगे। प्रदेश की सत्ता पर काबिज कांग्रेस पार्टी यह चुनाव हर हाल में जीतने का प्रयास करेगी क्योंकि इससे पहले उसे लोकसभा व भोरंज उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। हालांकि शिमला के बाद राज्य की दूसरी नगर निगम बनी धर्मशाला पर जरूर कांग्रेस का दबदबा रहा। कांग्रेस के पक्ष में सबसे बड़ी बात यह है कि इस समय राज्य में उसकी सरकार है। लिहाजा ऐसे में सरकार अपने अनुसार चुनाव के लिए सियासी बिसात बिछा सकती है और उसने ऐसा किया भी है। मसलन मेयर-डिप्टी मेयर पद के लिए सीधे चुनाव करवाने की बजाय पार्षदों में से चयन होगा तथा पार्टी टिकट पर प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगे। 


शिमला का चुनाव जीतना सत्ता के सैमीफाइनल के समान
पार्टी टिकट पर चुनाव न होने से राज्य स्तर पर सत्तारुढ़ दल कई सवालों से बच जाएगा और बड़े नेता भी चुनाव प्रक्रिया से दूर रह सकते हैं। भाजपा के लिए नगर निगम शिमला का चुनाव जीतना सत्ता के सैमीफाइनल के समान होगा। ऐसे में यदि भाजपा शिमला में नगर निगम की सत्ता पर काबिज होती है तो उसे मनोवैज्ञानिक लाभ मिलेगा। शिमला में कांग्रेस के काबिज होने का अर्थ यह भी होगा कि विधानसभा चुनाव में इस बार उसकी चुनौती और कड़ी होगी। विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा को मोदी लहर का आसरा भी रहेगा। इसके अलावा माकपा के लिए शिमला नगर निगम का चुनाव करो या मरो के समान होगा। उसके 2 प्रमुख नेता संजय चौहान और टिकेंद्र पंवर जो इस समय मेयर व डिप्टी मेयर हैं, सीधे चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इस बार माकपा को वार्ड स्तर पर मेहनत करनी होगी। 


पार्टी टिकट पर न होने से आजाद प्रत्याशियों के लिए बेहतर मौका
नगर निगम चुनाव पार्टी टिकट पर न होने से आजाद प्रत्याशियों के लिए भी यह बेहतर मौका होगा। ऐसे प्रत्याशी चुनाव जीतने की स्थिति में किसी भी दल का साथ दे सकते हैं। इससे कम बहुमत प्राप्त करने वाले प्रमुख दलों पर सत्ता पर पहुंचना आसान हो जाएगा। इस बार निगम में वार्डों की संख्या भी बढ़कर 34 हो गई है। यानि सत्ता में आसानी से काबिज होने के लिए किसी भी दल के लिए 18 सीटों का जीतना अनिवार्य होगा। इसमें महिलाओं की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होगी क्योंकि आरक्षण के चलते 17 वार्ड उनके लिए आरक्षित होंगे। इस तरह सामान्य श्रेणी लिए सिर्फ 13 वार्ड तथा अनुसूचित जाति के लिए 4 वार्डों का आरक्षण होगा।


वर्ष, 2011 की जनगणना हो सकती है वार्डों में आरक्षण का आधार
नगर निगम शिमला के चुनाव में वर्ष, 2011 की जनगणना वार्डों में आरक्षण का आधार हो सकती है। ऐसे में 50 प्रतिशत आरक्षण के तहत 17 वार्डों में महिलाएं चुनावी मैदानी में होंगी जबकि 13 वार्ड अनारक्षित हो सकते हैं। इसके अलावा 4 वार्ड अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हो सकते हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक नगर निगम चुनाव में वार्डों का आरक्षण जनगणना, 2011 के तहत होगा। यदि ऐसा हुआ तो इस बार चुनावी समीकरण बिगड़ भी सकते हैं। वार्डों का आरक्षण यदि 2011 के तहत हुआ तो राजधानी के ये वार्ड रिजर्व हो सकते हैं।


99 प्रतिशत काम किए पूरे: पार्षद
छोटा शिमला से कांग्रेस के पार्षद सुरेंद्र चौहान लगातार दूसरी बार यहां से पार्षद रहे हैं। सुरेंद्र चौहान का कहना है कि उन्होंने अपने 5 सालों के कार्यकाल में वार्ड में 2 पार्किंग 26 करोड़ की लागत से छोटा शिमला में बनाई हैं जिसमें 300 वाहनों के पार्क करने की व्यवस्था है जबकि विकासनगर में 200 गाड़ियों के पार्क करने की क्षमता वाली पार्किंग 20 करोड़ से तैयार की गई है जबकि 4 और पार्किंग अमृत मिशन के तहत वार्ड में बनाई जानी हैं। इसके अलावा वार्ड में 3 पार्क बनाए गए हैं। हर छोटे-बड़े क्षेत्र को सड़कों से जोड़ा गया है जबकि अमृत के तहत आंजी से न्यू शिमला तक सड़क बनाने की योजना को शामिल किया गया है। पार्षद ने बताया कि उनके वार्ड में 21 नाले हैं जिनमें से कुछ नालों को चैनेलाइजेशन कर लिया गया है जबकि कुछ के टैंडर कॉल कर दिए गए हैं। वार्ड में 90 प्रतिशत सीवरेज कनैक्टीविटी कर दी गई है, वहीं विकासनगर में हरी मंदिर के पास डिस्पैंसरी को खोला गया है। वार्ड में 3 रेन शैल्टर बनाए गए हैं। रास्तों व संपर्क मार्गों का निर्माण व उन्हें पक्का किया गया है। वार्ड के विकास के लिए हरसंभव प्रयास किए गए हैं। 

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