Sawan 2024 Special : ये है एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर, बनने में लग गए थे 39 साल

Edited By Rahul Singh, Updated: 18 Jul, 2024 03:29 PM

sawan 2024 special tallest jatoli shiva temple history

सावन के पावन महीने में भगवान भोलेनाथ के भक्तों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है जटोली शिव मंदिर, जो कि एशिया में सबसे ऊंचे मंदिरों में गिना जाता है। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के सोलन शहर से लगभग 7 किलोमीटर दूर स्थित है।

हिमाचल डैस्क : सावन के पावन महीने में भगवान भोलेनाथ के भक्तों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है जटोली शिव मंदिर, जोकि एशिया में सबसे ऊंचे मंदिरों में गिना जाता है। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के सोलन शहर से लगभग 7 किलोमीटर दूर स्थित है। इसका निर्माण दक्षिण-द्रविण शैली में किया गया और इसे बनाने में लगभग 39 साल का समय लगा। मंदिर का गुंबद 111 फीट ऊंचा है और इसे पहुंचने के लिए भक्तों को 100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर में विशेष रूप से स्थापित स्फटिक मणि से बने शिवलिंग और शिव-गौरी की प्रतिमा को मान्यताओं में विशेष महत्व दिया जाता है। आइए जानते हैं जटोली मंदिर से जुड़े कुछ खास बातें...

PunjabKesari

निर्माण का इतिहास:

इस मंदिर के निर्माण के लिए करोड़ों रूपए धन का उपयोग किया गया है, जो देश और विदेश के भक्तों द्वारा दान किया गया है। यही कारण है कि इसे बनाने में तीन दशक से अधिक समय लगा है।  इस मंदिर के निर्माण में स्थानीय लोगों का बड़ा संघर्ष और समर्पण था। इसका विशेषता यह है कि मंदिर के ऊपरी छत पर 11 फुट ऊंचा सोने का कलश स्थापित है, जो मंदिर को और भी प्रतिष्ठित बनाता है। माना जाता है कि भगवान शिव पौराणिक काल में यहां आए थे और यहां विश्राम करते थे। फिर 1950 के दशक में, स्वामी कृष्णानंद परमहंस यहां आए और उन्होंने जटोली शिव मंदिर का निर्माण शुरू किया। साल 1974 में उन्होंने इस मंदिर की नींव रखी, लेकिन उन्होंने 1983 में समाधि ली थी पर मंदिर का निर्माण कार्य नहीं रोका गया था और इसका काम मंदिर प्रबंधन समिति ने शुरू किया।

PunjabKesari

धार्मिक महत्व:
जटोली मंदिर भगवान शिव के उत्कृष्ट भक्तिभाव का प्रतीक है। यहां के शिवलिंग को स्फटिक मणि से बनाया गया है, जिसे धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्व दिया जाता है। इसके साथ ही, मंदिर में शिव-गौरी की प्रतिमा भी स्थापित है, जो भक्तों के लिए एक पवित्र आध्यात्मिक अनुभव का केंद्र है।

चमत्कारिक घटनाएं:
मान्यता है कि जटोली मंदिर में लगे पत्थरों को थपथपाने से डमरू जैसी ध्वनि सुनाई देती है, जिसे लोग शिव के आध्यात्मिक प्रतीक के रूप में मानते हैं। इसे एक चमत्कारिक स्थल के रूप में जाना जाता है, जहां प्रतिवर्ष सावन मास में लाखों भक्त आकर शिव-गौरी की आराधना करते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। मंदिर के उत्तर-पूर्व कोने पर ' जल कुंड' नामक एक  पानी की टंकी है, जिसे पवित्र गंगा नदी के रूप में पवित्र माना जाता है। कहा जाता है कि इस टंकी के  पानी में कुछ औषधीय गुण पाए जाते हैं जो त्वचा रोगों का इलाज कर सकते हैं। 

PunjabKesari

इसके अलावा यह भी माना जाता है कि यहां पर पहले पानी की समस्या आती थी। पानी की समस्या दूर करने के लिए स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने शिव को प्रसन्न करने के लिए कड़ी पूजा की, जिससे शिवजी ने प्रसन्न होकर अपने त्रिशूल से उस स्थान की जमीन पर प्रहार किया और वहां से पानी निकलने लगा,तब से लोगों को कभी भी पानी की समस्या नहीं हुई है।

 

Related Story

    Trending Topics

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!